पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) को आदेश दिया है कि वह गुड़गांव रेपिड मेट्रो के संचालन में ‘बकाया कर्ज’ का 30 दिन में लेखा परीक्षण (ऑडिट) करे। अदालत ने 20 सितंबर के अपने आदेश में दिवालिया होने का सामना कर रही आईएलएंडएफएस की सहायक कंपनी को निर्देश दिया है कि वह 30 दिनों तक गुड़गांव रेपिड मेट्रो का संचालन जारी रखे। यह आदेश 16 सितंबर से प्रभावी होगा।
न्यायमूर्ति राकेश कुमार जैन और न्यायमूर्ति अरूण कुमार त्यागी की पीठ ‘हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण’ (एचयूडीए) और ‘रेपिड मेट्रो रेल गुड़गांव’ (आरएमजीएल) और ‘रेपिड मेट्रो रेल गुड़गांव साउथ लिमिटिड’ (आरएमजीएसएल) के बीच सेवा अनुबंध को खत्म करने पर सुनवाई कर रही थी। ये विशेष उद्देश्य वाले दो निकाय (एसपीवी) आईएलएंडएफएस ने शुरू की थी।
गुड़गांव मेट्रो देश की पहली पूरी तरह से निजी तौर पर विकसित की गई परियोजना है जिसे आईएलएंडएफएस ने बनाया है जो अब एनसीएलएटी में दिवालया प्रक्रिया का सामना कर रही है। इससे रेल सेवा के बंद होने का खतरा है। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि जहां तक रियायत अनुबंध के तहत परिभाषित 'ऋण देय' का संबंध है तो कैग को आदेश जारी किया गया है कि वह टीम गठित करके ‘बकाया कर्ज’ का ऑडिट करें।’’