Haryana Elections Results 2024: लोकसभा चुनावों में मिली हार के बाद हरियाणा का विधानसभा चुनाव बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के लिए बेहद अहम था। बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती और उनके सियासी वारिस आकाश आनन्द के लिए भी यह कड़ी परीक्षा का चुनाव था। परीक्षा इस लिए कहना उचित होगा क्योंकि हरियाणा में बसपा को चौथे दर्जे की पार्टी होने का खिताब हासिल था।
ऐसे चुनावी गणित के बीच मायावती ने हरियाणा में इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) से गठबंधन कर अपने अस्तित्व को मजबूती प्रदान करने की कोशिश इस बार की थी। परंतु हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के बीच हुई सीधी सियासी जंग में बसपा का एक भी प्रत्याशी चुनाव नहीं जीत सका। बसपा उम्मीदवारों की हार पार्टी सुपीमो मायावती और उनके भतीजे आकाश आनंद के लिए बड़ा झटका है। हरियाणा में मिली हार का असर अब यूपी में बसपा की सियासत पर पड़ेगा।
ऐसा नहीं है कि मायावती ने बिना किसी गुणा-गणित के हरियाणा के चुनाव मैदान में उतरी थी। मायावती ने हरियाणा में 37 सीटों पर उम्मीदवार इस बार खड़े किए थे और उनकी इनेलो ने 51 सीटों पर चुनाव लड़ा था। जिन 37 सीटों पर मायावती ने उम्मीदवार खड़े किए थे, उनमें 13 सीटें ऐसी थी, जहां पर बसपा का पारम्परिक कहा जाने वाला मतदाता दस से 28 प्रतिशत के बीच था, जबकि छह सीटों पर उसके मतदाता पांच से दस प्रतिशत के मध्य थे।
इन सीटों पर मायावती को जीत मिलने की उम्मीद थी, इसलिए उन्होंने अपने भतीजे आकाश आनन्द को हरियाणा में चुनाव प्रचार की कमान सौंपी और खुद भी पांच बड़ी चुनावी रैलियों को संबोधित करने पहुंची लेकिन मायावती के इस चुनाव प्रचार का कोई असर नहीं हुआ, जबकि मायावती ने हरियाणा में चुनाव प्रचार करते हुए दलित समाज से कांग्रेस का बहिष्कार करने की अपील की थी। यह दांव चलते हुए मायावती ने हरियाणा में दलित समाज पर अपनी पकड़ होने का संकेत दिया था।
पार्टी के सभी उम्मीदवार चुनाव हार गए, जबकि इनेलो के दो उम्मीदवार चुनाव जीतने में सफल रहे। हरियाणा में मिली बसपा की शिकस्त को लेकर यूपी में यह कहा जा रहा है कि हरियाणा में कांग्रेस का मात देने की राजनीति पर काम कर रही मायावती हरियाणा में अपना वोट बैंक भी गंवा बैठी। बीते विधानसभा चुनाव में बसपा को 4.14 प्रतिशत वोट मिले थे, जबकि इस चुनाव में बसपा को मात्र 1.74 प्रतिशत वोट ही हासिल हुए। यह चुनाव परिणाम बसपा की लिए बड़ा झटका है।
हरियाणा में सफल नहीं हुए आकाश
दरअसल बसपा सुप्रीमो मायावती को हरियाणा के इस चुनाव ने अपने भतीजे का सियासी भविष्य चमकने की उम्मीद थी। इसलिए उन्होंने आकाश आनन्द को हरियाणा चुनाव में अहम किरदार अदा करने के लिए वहां भेजा। हरियाणा में आकाश ने इस बार हरियाणा में दलित युवाओं का वोट बसपा के पक्ष में लाने को लेकर गांव-गांव में चौपाल लगाई।
हरियाणा में युवा मतदाता 52 प्रतिशत से अधिक हैं और वहां युवाओं के तौर पर विभिन्न दलों के कई नेता हैं लेकिन इन सब के बीच आकाश आनन्द को युवा दलित नेता के रूप में मायावती ने उभारने का प्रयास किया। परंतु मायावती का यह तुरुप का इक्का असरदार साबित नहीं हुआ और हरियाणा में आकाश आनन्द ना तो बसपा को चौथे पायदान से उठा कर तीसरे पायदान पर लाने में सफल हुए और ना ही वह पार्टी के किसी उम्मीदवार को ही जीता सके।
यहीं नहीं हरियाणा में पार्टी के पारम्परिक वोट बैंक में आकाश आनंद इजाफा नहीं कर सके। अब यूपी में आकाश को अपनी सियासी समझ को साबित करने में जूझना होगा, हरियाणा चुनाव में मिली हर के बार यह कहा जा रहा है।