हरियाणा चुनाव: भाजपा भी चल पड़ी 'परिवारवाद' की राह! मौजूदा विधायकों के मामले में तोड़ा नियम

By संतोष ठाकुर | Updated: September 27, 2019 08:18 IST2019-09-27T08:18:11+5:302019-09-27T08:18:11+5:30

हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019: चुनाव की घोषणा के साथ ही हरियाणा बीजेपी में टिकटों को लेकर होड़ मच गई है। हालांकि बीजेपी कह रही है कि टिकट काम के आधार पर दिये जाएंगे।

Haryana Election 2019 BJP also followed path of parivarvad! Rules not applied for sitting MLA | हरियाणा चुनाव: भाजपा भी चल पड़ी 'परिवारवाद' की राह! मौजूदा विधायकों के मामले में तोड़ा नियम

हरियाणा बीजेपी में टिकट को लेकर मची होड़ (फाइल फोटो)

Highlightsभाजपा ने छोड़ा ‘परिवारवाद’ का सिद्धांत, मौजूदा विधायकों के मामले में तोड़ा नियममौजूदा विधायकों के कार्यों के आधार पर परिवार के नियम से अलग हटकर पार्टी देगी टिकटपहलवान योगेश्वर दत्त को टिकट मिलना तय, सोनीपत के गोहाना से लड़ सकते हैं चुनाव

हरियाणा में भाजपा की टिकट हासिल करने के लिए नेताओं में होड़ मची हुई है. भाजपा के सांसद, विधायक, मेयर और जिलाध्यक्ष अपने परिवार के लिए टिकट मांग रहे हैं और उसके समर्थन में सभी दलील भी दे रहे हैं. हालांकि केंद्रीय नेतृत्व ने किसी भी पद पर आसीन अपने किसी भी नेता के परजिनों को टिकट देने से इनकार कर दिया है. लेकिन परिवारवाद का नियम उन पर लागू नहीं होगा जो मौजूदा समय में विधायक हैं. उन्हें परिवार के नियम से अलग उनके कार्यो के आधार पर भाजपा ने टिकट देने का निर्णय किया है. 

इससे पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह की पत्नी और जींद से भाजपा के सांसद बिजेंद्र सिंह की मां प्रेमलता को सीधा लाभ होना तय है. वह उजाना से विधायक हैं और राज्य में सभी की इस पर आंख लगी हुई है कि उन्हें फिर से भाजपा का टिकट हासिल होगा.

हरियाणा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला ने ‘लोकमत समाचार’ से बातचीत में कहा कि मौजूदा विधायकों को परिवार के आइने से देखना उनके साथ सही व्यवहार नहीं होगा.वह अगर पहले से विधायक हैं तो उनका आकलन उनके काम से होना चाहिए. यह समीक्षा हालांकि हम बिलकुल निष्पक्ष तरीके से करेंगे. अगर यह कहीं भी लगता है कि कोई मौजूदा विधायक कार्य के मापदंड पर उन्नीस रहा है तो उसको लेकर कठोर निर्णय तय है. भाजपा के अपने सिद्धांत हैं और यही उसे अन्य दल से अलग बनाती है. उन्होंने कहा कि प्रेमलता हों या फिर कोई अन्य मौजूदा विधायक हो, अगर उनके परिवार का कोई व्यक्ति सांसद, विधायक, मेयर, जिलाध्यक्ष है तो उन्हें केवल इसलिए टिकट से वंचित नहीं किया जाएगा कि वह उस संबंधित व्यक्ति के परिवार से है. लेकिन कार्य के आधार पर उनके टिकट का निर्धारण होगा. 

बराला ने साफ किया कि कोई भी सांसद, विधायक, मेयर या जिलाध्यक्ष अपने परिवार के लिए टिकट नहीं मांग सकता है. केंद्रीय नेतृत्व ने यह साफ कर दिया है कि नेताओं के परजिनों को टिकट नहीं दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि जहां तक दस में सात सांसदों की ओर से परजिनों के लिए टिकट मांगने का सवाल है तो वह यह स्पष्ट करना चाहेंगे कि नाम एक तय प्रक्रि या से आते हैं. ऐसे में किसी के चाहने से तो कभी भी भाजपा में टिकट नहीं मिल सकता है. 

उन्होंने अपनी उम्मीदवारी पर कहा कि वह प्रदेश अध्यक्ष हैं और ऐसे में वह स्वयं अपनी टिकट पर कोई निर्णय नहीं कर सकते हैं. यह आलाकमान तय करेगा. हालांकि यह तय है कि इस बार हम फिर से निश्चित तौर पर सरकार बना रहे हैं और हमारी सीट 75 के पार होगी.

दो सांसदों ने पीए के लिए टिकट मांगी

पहलवान योगेश्वर दत्त को भाजपा की ओर से टिकट मिलना तय है. वह सोनीपत के गोहाना या किसी अन्य सीट से चुनाव लड़ सकते हैं. इधर, भाजपा के हरियाणा के दो सांसदों ने परजिनों को टिकट नहीं मिलने की स्थिति में अपने पीए को टिकट देने की मांग पार्टी के समक्ष रखी है. उनका तर्क है कि ये ऐसी सीटों से उम्मीदवार है जहां उन्होंने या उनके परजिनों ने काम किया है. अगर किसी अन्य को यहां से टिकट जाती है तो उसका नुकसान हो सकता है. 

ऐसे में अगर परजिनों को टिकट नहीं दिया जा सकता है तो उनके कार्यों को देखते हुए उनके पीए को टिकट दे दी जाए. राज्य में भाजपा सूची को लेकर सुभाष बराला ने कहा कि राज्य के टिकटों का फैसला 29 सिंतबर को हो जाएगा. हमें उम्मीद है कि हम उस दिन सभी टिकट जारी करने के लिए तैयार होंगे. उस समय तक केंद्रीय नेतृत्व से सभी सीटों पर नाम तय हो जाएंगे.

Web Title: Haryana Election 2019 BJP also followed path of parivarvad! Rules not applied for sitting MLA

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