चंडीगढ़: पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने पूर्व क्रिकेटर युवराज सिंह को जातिवादी टिप्पणी के कथित इस्तेमाल के एक मामले में हरियाणा पुलिस के सामने पेश होने को कहा है. मामले से जुड़े वकीलों ने कहा कि अदालत ने पुलिस को यह भी निर्देश दिया कि गिरफ्तारी की स्थिति में उन्हें जमानत पर रिहा किया जाए.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, इससे पहले हरियाणा पुलिस ने हाईकोर्ट से कहा था कि पूर्व क्रिकेटर युवराज सिंह को औपचारिक रूप से गिरफ्तार करने की जरूरत है. हांसी की एसपी नितिका गहलौत ने हाईकोर्ट की पीठ को बताया कि युवराज ने अपमानजनक अर्थों में इस शब्द का इस्तेमाल अनुसूचित जाति के लिए किया, जिसके परिणामस्वरूप जाति के लोगों का अपमान हुआ.
पुलिस ने अदालत को बताया कि जांच लगभग पूरी हो चुकी है. आरोपों की प्रकृति को देखते हुए, इस मामले में उनकी औपचारिक गिरफ्तारी के लिए उनकी व्यक्तिगत उपस्थिति आवश्यक है. इसलिए, उन्हें जांच अधिकारी के सामने पेश होने का निर्देश दिया जाना चाहिए.
पुलिस फरवरी में दायर पूर्व क्रिकेटर की एक याचिका पर जवाब दे रही थी जिसमें प्राथमिकी को रद्द करने की मांग की गई थी.
अप्रैल 2020 में कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान एक इंस्टाग्राम लाइव वीडियो के दौरान अनजाने में की गई टिप्पणी के लिए माफी मांगने के आठ महीने बाद, 14 फरवरी को उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी.
प्राथमिकी हांसी के रजत कलसन की शिकायत पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153-ए (शत्रुता को बढ़ावा देना) और 153-बी (राष्ट्रीय-एकता के लिए पूर्वाग्रही दावे) और अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति रोकथाम और अत्याचार अधिनियम, 1989 के तहत दर्ज की गई थी.
बीते 25 फरवरी को हाईकोर्ट ने पुलिस से कहा था कि वह उन पर कोई दंडात्मक कार्रवाई न करे. वहीं. पूर्व क्रिकेटर ने दावा किया था कि उनके बयान का गलत मतलब निकाला गया.