हरियाणाः अनिल विज ने दी गृह मंत्रालय लौटाने की धमकी, विवाद बढ़ने पर नड्डा से मिलने पहुंचे सीएम खट्टर
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 3, 2020 11:43 AM2020-01-03T11:43:27+5:302020-01-03T11:43:27+5:30
विवाद बढ़ने के बाद गुरुवार को सीएम मनोहर लाल खट्टर हरियाणा भवन पहुंचे। उन्होंने कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की और अपना पक्ष सामने रखा।
हरियाणा में गृह विभाग के कामकाज को लेकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और गृह मंत्री अनिल विज के बीच विवाद काफी बढ़ गया है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक अनिल विज ने कहा कि अगर ये काम करने का तरीका है तो मुझे गृह मंत्रालय क्यों दिया। अगर वो चाहते हैं तो अपने पास रख लें। विवाद बढ़ने के बाद गुरुवार को सीएम मनोहर लाल खट्टरहरियाणा भवन पहुंचे। उन्होंने कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की और अपना पक्ष सामने रखा।
आपको बता दें कि पुलिस महकमे में हाल ही हुए आईपीएस अफसरों के तबादले को लेकर विज नाखुश हैं। यह तबादले उनकी असहमति के बावजूद किए गए हैं। अपनी नाराजगी का इजहार करते हुए विज ने मुख्यमंत्री को चिट्ठी भी लिखी। आईपीएस अफसरों के तबादलों की जो सूची विज के पास आई थी, उसे उन्होंने यह कहते हुए मुख्यमंत्री दफ्तर को लौटा दिया था कि गृह मंत्री के नाते वे खुद तय करेंगे कि किस अफसर को कहां नियुक्त करना है। अगर जरूरी समझेंगे तो मुख्यमंत्री दफ्तर से वे खुद सलाह कर लेंगे। लेकिन तबादलों की यह सूची विज की असहमति के बावजूद ज्यों की त्यों जारी कर दी गई।
इससे पहले विज ने गृह सचिव की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव आर.के खुल्लर को दिए जाने पर भी ऐतराज जताया था। विज का कहना था कि मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव के पास पहले ही बहुत काम होता है, ऐसे में गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव की जिम्मेदारी किसी अन्य अफसर को दी जाए। विज के विरोध के बाद खुल्लर की जगह गृह विभाग विजय वर्धन के हवाले कर दिया गया। विज के पास स्थानीय निकाय विभाग भी है।
इस विभाग का जिम्मा भी मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव वी. उमाशंकर के पास है। विज को यह भी पसंद नहीं है। उनका कहना है कि स्थानीय निकाय विभाग में मुख्यमंत्री दफ्तर के किसी आईएएस अफसर की बजाए कोई अन्य अधिकारी लगाया जाना चाहिए। इस बीच विज ने यह कह कर नया विवाद छेड़ दिया है कि सीआईडी महकमे का काम दोयम दर्जे का है। सीआईडी का कामकाज पिछले पांच साल से सीनियर पुलिस अधिकारी अनिल राव देख रहे हैं।
उन्हें मुख्यमंत्री खट्टर का विश्वस्त अफसर माना जाता है। गृह विभाग की जिम्मेदारी देते हुए विज को पुलिस विभाग तो दिया गया, लेकिन सीआईडी को इसमें शामिल नहीं किया गया। विज का कहना था कि सीआईडी पुलिस महकमे की ही शाखा है और कायदे से यह उन्हीं के पास होनी चाहिए। सीआईडी महकमा मिलने के बाद अब विज ने इस महकमे के कामकाज को घटिया करार दिया है। इससे ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि वे खट्टर के विश्वस्त अधिकारी अनिल राव की जगह किसी नए अधिकारी की नियुक्ति चाहते हैं। विज एक बार कुछ ठान लें तो फिर पीछे नहीं हटते। अब देखने वाली बात यह होगी कि गृह विभाग में विज अपनी कितनी चला पाते हैं।