Gyanvapi Masjid Controversy: "मस्जिद से पहले वहां विशाल सनातनी मंदिर था, मुस्लिम पक्ष वापस करे हिंदुओं का अधिकार", हिंदू महासभा के अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि ने कहा

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: January 26, 2024 08:25 AM2024-01-26T08:25:21+5:302024-01-26T08:29:21+5:30

ज्ञानवापी मस्जिद पर एएसआई की रिपोर्ट आने के बाद हिंदू महासभा के अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि महाराज ने कहा कि मुस्लिम पक्ष हिंदुओं को उनका अधिकार वापस करके एकता और भाईचारे का उदाहरण स्थापित करे।

Gyanvapi Masjid Controversy: "Before the mosque there was a huge Sanatani temple, the Muslim side should return the rights to Hindus", said Swami Chakrapani, President of Hindu Mahasabha | Gyanvapi Masjid Controversy: "मस्जिद से पहले वहां विशाल सनातनी मंदिर था, मुस्लिम पक्ष वापस करे हिंदुओं का अधिकार", हिंदू महासभा के अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि ने कहा

एएनआई

Highlightsज्ञानवापी पर एएसआई की रिपोर्ट आने के बाद हिंदू महासभा के अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि ने दिया बयान स्वामी चक्रपाणि ने कहा कि मुस्लिम पक्ष हिंदुओं को उनका अधिकार वापस करे मुस्लिम समाज बताए कि अगर मुगलों ने कुछ गलत किया तो वह उसका समर्थन नहीं करते हैं

नई दिल्ली: काशी के विवाद ज्ञानवापी मस्जिद का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा किये गये वैज्ञानिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट जारी करने के बाद हिंदू महासभा के अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि महाराज ने कहा कि मुस्लिम पक्ष हिंदुओं को उनका अधिकार वापस करके एकता और भाईचारे का उदाहरण स्थापित करे।

समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार वाराणसी की जिला अदालत ने एएसआई को वैज्ञानिक सर्वेक्षण का आदेश तब दिया था जब हिंदू याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि 17वीं सदी में बनी ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण पहले से मौजूद विश्वनाथ मंदिर के ऊपर किया गया है।

एएसआई की रिपोर्ट आने के बाद स्वामी चक्रपाणि ने कहा, "ज्ञानवापी मामले में एएसआई ने अपनी निर्णायक रिपोर्ट दे दी है। एएसआई की वैज्ञानिक रिपोर्ट से स्पष्ट है कि  मस्जिद के वर्तमान ढांचे से पहले वहां एक विशाल सनातनी मंदिर था। मैं मुस्लिम पक्ष से अपील करता हूं कि वे हिंदुओं के अधिकार उन्हें वापस सौंप दें और एक उदाहरण स्थापित करें कि अगर मुगलों ने कुछ गलत किया, तो मुस्लिम समाज की वर्तमान पीढ़ी उसका समर्थन नहीं करती है।"

ज्ञानवापी मस्जिद परिसर पर एएसआई की रिपोर्ट से पता चला है कि 17 वीं शताब्दी में पहले से मौजूद संरचना को नष्ट कर दिया गया था और इसके कुछ हिस्से को संशोधित और पुन: उपयोग किया गया था। वैज्ञानिक अध्ययनों के आधार पर, यह कहा जा सकता है कि "वहां" मौजूदा संरचना के निर्माण से पहले एक बड़ा हिंदू मंदिर मौजूद था।"

एएसआई ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि मस्जिद के मौजूदा ढांचे की पश्चिमी दीवार पहले से मौजूद विशाल हिंदू मंदिर के अवशेष का हिस्सा है।

एएसआई की रिपोर्ट के अनुसार, "मस्जिद के एक कमरे के अंदर पाए गए अरबी-फारसी शिलालेख में उल्लेख है कि मस्जिद का निर्माण औरंगजेब के 20वें शासनकाल (1676-77 ई.) में किया गया था। इसलिए यह प्रतीत होता है कि वहां पर पहले से मौजूद विशाल मंदिर की संरचना 17वीं शताब्दी में शासनकाल के दौरान नष्ट कर दी गई थी। उसके बाद औरंगजेब द्वारा मंदिर के कुछ हिस्से को मौजूदा मंस्जिद बनाने में  उपयोग किया गया था। एएसआई के किए गए वैज्ञानिक सर्वेक्षण में वास्तुशिल्प अवशेषों, कलाकृतियों, शिलालेखों और मूर्तियों के अध्ययन के आधार पर यह कहा जा सकता है कि वहां मस्जिद बनने से पहले एक हिंदू मौजूद था।"

रिपोर्ट में आगे कहा गया है, "मस्जिद की मौजूदा संरचना में केंद्रीय कक्ष और पूर्व मौजूदा संरचना के मुख्य प्रवेश द्वार, पश्चिमी कक्ष और पश्चिमी दीवार पर किये गये वैज्ञानिक अध्ययन और टिप्पणियों के आधार पर पता चलता है कि मौजूदा मस्जिद संरचना में पहले से मौजूद मंदिर संरचना के स्तंभों और स्तंभों का पुन: उपयोग किया गया है और मस्जिद की मौजूदा संरचना के शिलालेख , ढीले पत्थर पर अरबी और फ़ारसी शिलालेख, तहखानों में मूर्तिकला अवशेष आदि को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि मौजूदा ढांचे के निर्माण से पहले वहां एक बड़ा हिंदू मंदिर मौजूद था।''

Web Title: Gyanvapi Masjid Controversy: "Before the mosque there was a huge Sanatani temple, the Muslim side should return the rights to Hindus", said Swami Chakrapani, President of Hindu Mahasabha

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