ज्ञानवापी विवाद: काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत ने कहा, "वजूखाने में मिले 'शिवलिंग' की नियमित पूजा-अर्चना के लिए कोर्ट में जाएंगे"
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: May 22, 2022 06:00 PM2022-05-22T18:00:35+5:302022-05-22T18:08:15+5:30
ज्ञानवापी विवाद में दखल देते हुए काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉक्टर कुलपति तिवारी ने ऐलान किया है कि वो कोर्ट में याचिका दायर करके मस्जिद परिसर के वजूखाने में मिले 'शिवलिंग' की नियमित पूजा-अर्चना की मांग करेंगे।
वाराणसी: सिविल कोर्ट द्वारा आदेश दिये जाने के बाद ज्ञानवापी मस्जिद में हुए अंतिम दिन के वीडियो सर्वे के बाद हिंदू पक्ष की ओर से दावा किया गया था कि मस्जिद परिसर के वजूखाने में 'शिवलिंग' मिला है।
अब इस विवादित मामले में दखल देते हुए काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉक्टर कुलपति तिवारी ने ऐलान किया है कि वो कोर्ट में याचिका दायर करके मस्जिद परिसर के वजूखाने में मिले शिवलिंग की नियमित पूजा-अर्चना की मांग करेंगे।
विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉक्टर कुलपति तिवारी ने कहा, "जब इतने वर्षों का अज्ञातवास झेलने के बाद जब बाबा मिल ही गए तो उन्हें ऐसे नहीं छोड़ा जा सकता है। शास्त्रों के अनुसार तय पूजा पद्धति से उनकी नियमित अर्चना जरूरी है। इसलिए मैं कोर्ट में याचिका दायर करके उनकी पूजन-अर्चना और साफ-सफाई के लिए आज्ञा लेने के लिए जा रहा हूं।"
अपनी बात को सिद्ध करने के लिए मस्जिद परिसर के बाहर स्थित नंदी का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि काशी के कण-कण में शिव का वास है। इसलिए काशी को भोलेनाथ का आनंद कानन कहा जाता है। ऐसे में यह कहना कि बाबा मस्जिद के वजूखाने में मिले हैं, यह बात पूरी तरह से गलत है क्योंकि वो तो वर्षों से स्थापित नंदी महाराज इसकी गवाही स्वयं दे रहे हैं।
पूर्व महंत डॉक्टर कुलपति तिवारी ने कहा कि आदिकाल से उनका परिवार काशी विश्वनाथ की पूजा-अर्चना करता चला आ रहा है। पीढ़ियों से चल रहे पूजा कार्य को देखते हुए मस्जिद परिसर स्थित शिवलिंग की पूजा-अर्चना करना उनके परिवार का दायित्व है।
इस कारण वो कोर्ट में वो इस मामले को ले जाना चाहते हैं और इसके लिए वो बाकायदा विधिक राय भी ले रहा हैं। उन्होंने कहा कि सोमवार को वो वाराणसी की कोर्ट में इसके लिए बाकायदा केस दायर करेंगे।
इसके साथ ही महंत तिवारी ने कहा कि काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत की हैसियत से मुझे ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग के स्नान, शृंगार, भोग और आरती का अधिकार मिलना चाहिए और यह परंपरा ज्ञानवापी मस्जिद बनने से पहले से निभाई जा रही है। उनके पूर्वज सदियों से इस कर्तव्य का निर्वहन करते चले आ रहे हैं।