क्या प्रियंका गांधी का पति होना है रॉबर्ड वाड्रा का असली अपराध, बन चुके हैं बीजेपी-आप के चुनावी हथियार?

By जनार्दन पाण्डेय | Published: September 3, 2018 09:35 AM2018-09-03T09:35:23+5:302018-09-03T10:14:34+5:30

इंडिया अगेंस्ट करप्‍शन के बैनर तले अरविंद केजरीवाल ने पहली बार रॉबर्ट वाड्रा पर जमीन की खरीदफरोख्त में रसूख का फायदा उठाकर गैरकानूनी ढंग से लाभ कमाने का आरोप लगाया था। आइए जानते हैं रॉबर्ट वाड्रा का पूरा मामला, कब-कब क्या-क्या हुआ।

Gurugram-manesar Land deal case, Roberts Vadra Land deel case | क्या प्रियंका गांधी का पति होना है रॉबर्ड वाड्रा का असली अपराध, बन चुके हैं बीजेपी-आप के चुनावी हथियार?

रॉबर्ट वाड्रा की फाइल फोटो

गुड़गांव, 3 सितंबरः नेहरू-गांधी परिवार की बेटी प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा और पूर्व हरियाणा सीएम भुपेंद्र स‌िंह हुड्डा पर गुड़गांव-मानेसर लैंड डील को लेकर एक एफआईआर दर्ज होने के बाद यह मामला एक बार फिर से चर्चा में है। हरियाणा के मानेसर के पुलिस उपायुक्त राजेश कुमार ने एफआईआर खेड़कीदौला पुलिस स्टेशन में दर्ज करवाई गई है। इसे सुरिंदर शर्मा नाम के शख्स ने दर्ज कराया है। इसमें दोनों हाईप्रोफाइल लोगों के अलावा रियलिटी कंपनी डीएलएफ गुरुग्राम और ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज के नाम भी शामिल हैं। इसमें गुड़गांव के सेक्टर-83 में 3.5 एकड़ जमीन गलत कीमतों पर खरीदे जाने का आरोप है। लेकिन असल में यह मामला क्या है?

साल 2007 में हरियाणा की तत्कालीन भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार ने गुड़गांव सेक्टर 83 में कुछ गांवों में वाणिज्यिक कॉलोनियां विकसित करने के लिए टेंडर निकाले थे। इनमें ज्यादातर काम तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी को मिला था। लेकिन इस जमीन के सौदे में अनियमितताएं बरती गईं और इसमें किसी खास व्यक्ति को फायदा पहुंचाया गया, पहली बार इसका जिक्र 2012 में हुआ। इंडिया अगेंस्ट करप्‍शन के बैनर तले अरविंद केजरीवाल ने कुछ आरोप लगाए। लेकिन प्र‌ियंका के पति का मामला ज्यादातर उन सालों में उठा है जब चुनाव करीब रहे हैं। आइए जानते हैं रॉबर्ट वाड्रा का पूरा मामला, कब-कब क्या-क्या हुआ।

साल 2012: दिल्ली में चुनाव की हलचल और वाड्रा लैंड डील विवाद

दिल्‍ली में लगातार तीन कार्यकाल से शीला दी‌क्षित की अगुवाई वाली कांग्रेस की सरकार थी। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) कांग्रेस को टक्कर नहीं दे पा रही थी। तभी दिल्‍ली में एक बयार चली, इंडिया अगेंस्ट करप्‍शन। दिल्‍ली में 2013 के आखिर में विधानसभा चुनाव होने थे। लेकिन इसकी जमीन 2012 में तैयार होनी शुरू हो गई थी। अक्टूबर 2012 में अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाए कि रॉबर्ट वाड्रा को बीते कुछ सालों में जमीन के कई सौदों में गैर कानूनी तरीके से लाभ पहुंचा गया है।

उन्होंने कहा, दिल्ली व इसके आसपास कई जमीनों की खरीदारी में रियल इस्टेट कंपनी डीएलएफ ने रॉबर्ट वाड्रा को “गैर जमानती ब्याज मुक्त कर्ज” दिए। ऐसे आरोप लगाए गए कि राबर्ट वाड्रा ने यह फायदा गांधी परिवार के नाम पर उठाया।

साल 2013: राज्य और केंद्र के चुनावों की तैयारी और वाड्रा लैंड डील विवाद

साल 2014 में लोकसभा चुनाव होने थे। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) दो कार्यकालों से सत्ता में थी। हरियाणा के विधानसभा चुनाव भी 2014 में होने थे। वहां भी कांग्रेस की सरकार थी। इसलिए विपक्ष ने चुनावों की जमीन तैयार करनी 2013 में शुरू कर दी थी।

जून 2013 चले संसद के मॉनसून सत्र में विपक्ष के प्रमुख मुद्दों में रॉबर्ट वाड्रा सबसे अहम थे। संसद में बीजेपी नेता यशवंत सिन्हा ने वाड्रा का नाम लिए बगैर कहा, 'कम समय में हुई अत्याधिक आमदनी' के मामले को गंभीरता से लेना चाहिए। महज 44 साल की उम्र में ऊंची पहुंच रखने वाले ने बिना किसी बिजनेस स्कूल गए सैंकड़ों करोड़ रुपए कमाने की कला सीख ली है।"

इसी बीच हरियाणा सरकार और केंद्र की कांग्रेस सरकार में सबसे ज्यादा चर्चा में रहने वाले आईएसएस अफसर अशोक खेमका ने दम भरा। खेमका को वाड्रा के गुड़गांव डील विवाद मामले में व्हिसल-ब्लोअर कहा जाता है। सरकारी फैसलों पर सवाल खड़े करने के चलते 23 सालों में उनका 45 बार तबादला हुआ, ऐसा वह खुद दावा करते हैं। उन्होंने वाड्रा पर आरोप लगाया और एक रिपोर्ट भी पेश की, जिसमें उन्होंने रॉबर्ड वाड्रा और डीएलएफ के संबंधों के बारे में विस्तृत जानकारी थी। हालांकि यह रिपोर्ट कभी खुलकर सामने नहीं आई।

साल 2014: लोकसभा चुनाव-हरियाणा विधानसभा चुनाव और वाड्रा लैंड डील विवाद

रॉबर्ट वाड्रा की लैंड डील विवाद आम जनता के सामने 2014 के लोकसभा चुनाव प्रचारों के दौरान आया। कई मौकों पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के प्रधानमंत्री उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने 'दामादश्री' कहकर उछाला था। हरियाणा विधानसभा चुनाव में भी प्रमुख मुद्दों में रॉबर्ट वाड्रा छाए रहे। हालांकि उन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। महज उनके गैरकानूनी लाभ प्राप्त करने की बातें होती रहीं।

साल 2015: हरियाणा-दिल्ली-केंद्र के चुनाव संपन्न और वाड्रा लैंड डील विवाद ठंडे बस्ते में

साल 2015 में केंद्र और हरियाणा दोनों में बीजेपी की सरकार आ गई थी। अपने वायदे के मुताबिक दोनों सरकारों पर रॉबर्ट वाड्रा पर कार्रवाई का दबाव था। नतीजतन जून 2015 में टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग ने लाइसेंस दिए जाने में कथ‌ित तौर पर अनियमितताओं की जांच के लिए न्यायमूर्ति एस एन ढींगरा कमीशन का गठन किया गया। इसे इस तरह से लिया गया कि खुद जस्टिस ढींगरा को यह बयान जारी करना पड़ा कि मामले पर आयोग बना देने का मतलब यह नहीं होता कि मामले को ठंडे बस्ते में डाल‌ दिया गया है।

ढींगरा कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बहनोई रॉबर्ट वाड्रा को हुड्डा सरकार में की गई डील में गैरकानूनी ढंग से करीब 50.50 करोड़ रुपये का मुनाफा पहुंचाया गया। जबकि उन्होंने पूरी लैंड डील में एक भी पैसे खर्च नहीं किए।

लेकिन आयोग की रिपोर्ट की कार्रवाई आगे नहीं बढ़ी।

हां, स‌ितंबर 2015 में सीबीआई ने इस मामले पर एक मामला दर्ज किया। इसमें तत्कालीन हरियाणा सरकार व संबंधित अज्ञात लोकसेवकों की शहर पर निजी बिल्डरों ने मानेसर, नौरंगपुर और गुड़गांव के किसानों और जमीन धारकों से गलत रेट पर करीब 400 एकड़ जमीन खरीद ली गई थी।

इसमें वाड्रा और हुड्डा पर आईपीसी की धाराओं 420(धोखाधड़ी), 120बी (अपराधिक साजिश), 467 (जालसाजी) और 468 (धोखाधड़ी के लिए जालसाजी), 471 (नकली दस्तावेजों को इस्तेमाल असली के रूप में करना) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 आदि के तहत मामले दर्ज किए गए। लेकिन बाद में इनमें सबूतों के अभाव में कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं हो पाई।

हालांकि इसमें सीधे तौर पर रॉबर्ट वाड्रा का नाम नहीं था। यह मामला 27 अगस्त 2004 से 24 अगस्त 2007 के बीच सरकारी अधिग्रहण के दौरान लोगों को डर-धमकाकर कथित रूप से खरीदे जाने का था। और आरोपियों में हरियाणा सरकार और संबंधित लोकसेवक थे।

साल 2016-17: दिल्ली-हरियाणा-केंद्र में चुनाव नहीं तो वाड्रा लैंड डील विवाद का अता-पता नहीं 

वाड्रा लैंड डील मामला साल 2016 और 2017 में एकदम शांत रहा। मामले पर न तो सरकार ना ही किसी नागरिक ने कोई सुध ली। जाहिर है इन दोनों ही सालों में बीजेपी की बहुमत वाली केंद्र और हरियाणा सरकारें सत्ता में थीं और चुनाव की कोई आहट नहीं थी।

साल 2018: केंद्र और हरियाणा चुनाव की आहट और वाड्रा लैंड डील विवाद

लोकसभा चुनाव 2019 के शुरुआती महीनों में होने हैं। इसी साल के आखिर तक हरियाणा विधानसभा चुनाव भी होंगे। अब एक बार फिर से रॉबर्ट वाड्रा चर्चा में हैं। हरियाणा के मानेसर के पुलिस उपायुक्त राजेश कुमार ने बताया कि पूर्व हरियाणा सीएम भुपेंद्र सिंह हुड्डा और कांग्रेस अध्यक्ष के बहनोई के खिलाफ 31 अगस्त को एक एफआईआर खेड़कीदौला पुलिस स्टेशन में दर्ज करवाई गई है। इसे सुरिंदर शर्मा नाम के शख्स ने दर्ज कराया है। इसमें दोनों हाईप्रोफाइल लोगों के अलावा रियलिटी कंपनी डीएलएफ गुरुग्राम और ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज के नाम भी शामिल हैं।

यह पूरी तरह से नया मामला है। किसी शख्स ने पहली बार इस डील में शिकोहपुर गांव की चर्चा की है। एफआईआर दर्ज कराने वाले सुरेंद्र शर्मा ने बताया कि 2007 में स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी कंपनी ने शिकोहपुर गांव में ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज के जरिए गुड़गांव के सेक्टर-83 में 3.5 एकड़ जमीन गलत कीमतों पर खरीदा।

उल्लेखनीय है कि अभी तक के आरोप पत्रों में गुड़गांव के मानेसर, नौरंगपुर और लखनौला गांवों की चर्चा होती थी।

पिछले ही सप्ताह रिपब्लिक टीवी ने अपनी एक रिपोर्ट में यह दावा किया था कि उसे रॉबर्ट वाड्रा की दस्तखत वाले कागजात मिले हैं। उसका दावा है कि इन दस्तावेजों में रॉबर्ट वाड्रा के हस्ताक्षर हैं। यह दस्तावेज 2008 के हैं। जब रॉबर्ट वाड्रा स्काइलाइट हॉस्पिटैलिटी नाम की कंपनी की डायरेक्टर थे। वह अब भी हैं। 

इन दस्तावेजों के अनुसार वाड्रो ने अपनी कंपनी के एक कर्मचारी सुशील कुमार को तत्कालीन हरियाणा की भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार के साथ काम करने के‌ लिए भेजा था। सुशील ने ही हरियाणा लैंड डील में सबसे अहम भूमिका निभाई थी।

सुशील कुमार ने गुड़गांव की जमीन और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग ‌डिपार्टमेंट के बीच हुई लैंड डील के कागजात सुर‌क्षित किए थे। उन्होंने इस मामले के सभी आवश्यक प्रमाणपत्रों को वाड्रा की कंपनी के लिए सुरक्षित किया था।

इसी साल फरवरी में सीबीआई के पास भी हुड्डा समेत 33 अन्य लोगों के खिलाफ 1500 करोड़ रुपए से अधिक के मानेसर जमीन सौदे में कथित भ्रष्टाचार के मामले में आरोप पत्र दायर किया गया था।

धीरे-धीरे एक बार फिर से रॉबर्ट वाड्रा मुख्य धारा की मीडिया की सुर्खियों में हैं। इस बार उन्होंने कहा है कि इस मामले को महज देश की जनता का ध्यान भटकाने के लिए उछाला जा रहा है। जबकि भुपेंद्र सिंह हुड्डा का कहना है कि जानबूझ कर हर बार चुनाव के पहले इस मामले को उछाला जाता है।

राबर्ट वाड्रा की मां भी लपेटे में

रिपब्लिक टीवी की ओर से किए गए दावे में कई विवादित दस्तावेजों में रॉबर्ट वाड्रा की मां मौरीन वाड्रा के हस्ताक्षर होने की भी बात की जा रही है। जो कि वाड्रा की कई कंपनियों को-डायरेक्टर हैं। इनमें से कई कंपनियां जांच के घेरे में हैं, खासतौर पर 2015 में ढींगरा कमीशन के गठन के बाद। इन कंपनियों पर कथ‌ित तौर पर विवादित लैंड डील और खुद को गैरकानूनी ढंग से मुनाफा पहुंचाने के मामले हैं। रिपब्लिक टीवी का दावा है कि कागजात मिलने के बाद उन्होंने रॉबर्ट वाड्रा से बात करने की कोशिश की। लेकिन उन्होंने इस पर उनके पत्रकारों को कुछ भी कहने से मना कर दिया।

रॉबर्ट वाड्रा की बिकानेर लैंड डील में भी विवाद

रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी ने राजस्‍थान की वसुंधरा राजे सरकार से भी बिकानेर में लैंड डील की थी। जो बाद में विवादों में आ गई थी। मामला बीकानेर के कोलायत इलाके में कथित रूप से रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी द्वारा 275 बीघा भूमि खरीदे जाने के बारे में था।

एक स्‍थानीय तहसीलदार ने इसमें मनी लॉ‌ण्‍ड्रिंग होने की आशंका जताते हुए एक केस दर्ज कराया था। इसके बाद राज्य पुलिस की ओर से एक मुकदमा दर्ज किए जाने के बाद केंद्र जाचं एजेंसी को इसपर लगा दिया था। हालांकि ईडी को राबर्ट वाड्रा के खिलाफ कुछ नहीं मिला था।

English summary :
Gurugram Manesar Land Deal Case: Robert Vadra once again under discussion after registering an FIR related to Gurgaon-Manesar Land Deal on Rahul Gandhi's brother-in-law Robert Vadra and former Haryana CM Bhupendra Singh Hooda. Rajesh Kumar, Deputy Commissioner of Police of Haryana said, FIR logged in Kher Kidwala police station.


Web Title: Gurugram-manesar Land deal case, Roberts Vadra Land deel case

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