अहमदाबाद:गुजरात की साबरमती नदी में प्रदूषण को रोकने के लिए 2014-15 से 2017-18 तक करीब 200 करोड़ की राशि खर्च किए जाने के बाद भी वह प्रदूषित बनी हुई है जो कि केंद्र सरकार ने भेजी थी. इसके बजाय स्थिति इतनी बदतर हो गई है कि गुजरात हाईकोर्ट ने अधिकारियों को लताड़ लगाई है.
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, गुजरात हाईकोर्ट ने साबरमती रिवरफ्रंट पर प्रदूषण के लिए अहमदाबाद नगर निगम (एएमसी) और गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (जीपीसीबी) को फटकार लगाई है और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (एसटीपी) में प्रयोगशालाओं के कामकाज के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी है जो रिवरफ्रंट में फेंके जा रहे प्रदूषित पानी पर रोक लगाने में नाकाम रहे.
हाईकोर्ट ने पाया कि साबरमती में प्रदूषण का मूल कारण अधिकारियों की ओर से जवाबदेही की कमी है क्योंकि अधिकारियों और उद्योगों के बीच एक सांठगांठ प्रतीत होती है जो नदी की धारा में अनुपचारित अपशिष्टों को बहाते हैं, जिससे उसका पानी प्रदूषित होता है.
जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस वैभवी नानावती की खंडपीठ अनुपचारित सीवेज और औद्योगिक अपशिष्टों के निर्वहन के कारण नदी में बड़े पैमाने पर प्रदूषण पर स्वत: संज्ञान लेने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही है. अदालत ने एक संयुक्त टास्क फोर्स (जेटीएफ) का भी गठन किया है, जिसने अपनी रिपोर्ट एसटीपी और अपशिष्ट उपचार संयंत्रों की विफलताओं पर प्रकाश डाला है.