‘गुजरात आयुर्वेद शैक्षणिक एवं शोध संस्थान परिसर’ को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा, मोदी सरकार ने दी मंजूरी
By भाषा | Published: January 8, 2020 05:42 PM2020-01-08T17:42:28+5:302020-01-08T17:42:28+5:30
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। बैठक के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने संवाददाताओं से कहा कि यह आयुर्वेद के क्षेत्र में राष्ट्रीय महत्व का पहला संस्थान होगा।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को जामनगर स्थित ‘गुजरात आयुर्वेद शैक्षणिक एवं शोध संस्थान परिसर’ को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। बैठक के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने संवाददाताओं से कहा कि यह आयुर्वेद के क्षेत्र में राष्ट्रीय महत्व का पहला संस्थान होगा।
उन्होंने कहा कि इस उद्देश्य के लिये संसद में एक विधेयक भी लाया जायेगा। जावड़ेकर ने बताया कि यह आयुर्वेद संस्थान के क्लस्टर के रूप में होगा। सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, इसके तहत गुजरात आयुर्वेद विश्वविद्यालय परिसर, जामनगर में आयुर्वेद संस्थानों जैसे आयुर्वेद में परा स्नातक शिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान, श्री गुलाबकुनवर्बा आयुर्वेद महाविद्यालय और फार्मेसी इकाई समेत आयुर्वेद फार्मास्यूटिकल्स साइंसेज और महर्षि पतंजलि योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा शिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान को आयुर्वेद शिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान के स्वस्थ वृत्त विभाग में शामिल कर इसे (आयुर्वेद शिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान) राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा देने को मंज़ूरी दे दी है।
आयुर्वेद शिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान, जामनगर को राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित करने के लिए इससे संबंधित विधेयक को संसद के आगामी सत्र में पेश किया जाएगा। इसमें कहा गया है कि भारत में जन स्वास्थ्य चुनौतियों का समाधान करने में आयुष व्यवस्थाओं की तेजी से बढ़ती भूमिका को देखते हुए इसे राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित करने से सार्वजनिक स्वास्थ्य में आयुर्वेद की भूमिका और महत्व को प्रोत्साहन मिलेगा।
प्रस्तावित संस्थान को राष्ट्रीय महत्व का दर्जा मिलने से इसे आयुर्वेद शिक्षण का स्तर बढ़ाने, राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मांग के अनुरुप विभिन्न पाठ्यक्रम तैयार करने, उन्नत मूल्यांकन कार्य पद्धति अपनाने में स्वायत्तता मिल सकेगी।