नॉन-नेट फेलोशिप खत्म करने की तैयारी में सरकार, शिक्षाविदों ने कहा- गरीब और ग्रामीण छात्रों को होगा नुकसान
By विशाल कुमार | Published: October 18, 2021 12:03 PM2021-10-18T12:03:57+5:302021-10-18T12:26:46+5:30
सरकार द्वारा नियुक्त एक पैनल ने केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शोध करने वाले छात्रों को दी जाने वाली नॉन-नेट (राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा) फेलोशिप को नेट पास फेलोशिप से बदलने की सिफारिश की है.
नई दिल्ली:छात्रवृत्ति पर होने वाले खर्चों में कटौती करने के लिए सरकार ने नॉन-नेट (राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा) फेलोशिप को खत्म करने की तैयारी कर ली है.
द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार द्वारा नियुक्त एक पैनल ने केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शोध करने वाले छात्रों को दी जाने वाली नॉन-नेट (राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा) फेलोशिप को नेट पास फेलोशिप से बदलने की सिफारिश की है.
अभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों में पीएचडी और एमफिल छात्र जूनियर रिसर्च फेलोशिप (जेआरएफ), नॉन-नेट फेलोशिप और कुछ अन्य छोटी छात्रवृत्ति के लिए पात्र होते हैं.
वहीं, शिक्षाविदों का कहना है कि अगर सिफारिश को स्वीकार कर लिया जाता है, तो इससे उन गरीब और ग्रामीण छात्रों को नुकसान होगा जो कोचिंग का खर्च नहीं उठा सकते हैं और इससे उनके बहुविकल्पीय परीक्षा को पास करने के अवसर कम हो जाते हैं.
इसके बजाय, शोध छात्र केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश पाने के लिए सब्जेक्टिव प्रवेश परीक्षा देते हैं और नॉन-नेट फेलोशिप के लिए योग्यता हासिल करते हैं. प्रवेश परीक्षा कुछ विश्वविद्यालयों द्वारा व्यक्तिगत रूप से और बाकी द्वारा एक समूह के रूप में आयोजित की जाती है.
फंड की कमी का हवाला देते हुए यूजीसी ने पहली बार अक्टूबर 2015 में नॉन-नेट फेलोशिप को खत्म करने का फैसला किया था. हालांकि, छात्रों के विरोध देखते हुए शिक्षा (तत्कालीन मानव संसाधन विकास) मंत्रालय ने फैसले को रोक दिया और बेहतर दिशानिर्देशों का सुझाव देने के लिए एक प्रोफेसर गौतम बरुआ के तहत एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया.
समिति को यह सुझाव देने के लिए भी कहा गया था कि क्या इस तरह की छात्रवृत्ति को राज्य के विश्वविद्यालयों तक बढ़ाया जा सकता है. तीन महीने का समयसीमा पाने वाली समिति ने पांच साल से अधिक समय लेकर इस साल जून में अपनी रिपोर्ट सौंपी.
इसने सिफारिश की कि नेट-द्वितीय फेलोशिप छात्रवृत्ति जेआरएफ का आधा हो और यह कि एमफिल के छात्रों को इससे वंचित कर दिया जाए क्योंकि यह खत्म होने वाला है.
यूजीसी ने 1 जुलाई को रिपोर्ट पर विचार किया लेकिन कोई फैसला नहीं लिया.