नई दिल्लीः आरबीआई द्वारा 2000 रुपए के नोट वापस लिए जाने को लेकर सरकार ने 'मिथक और तथ्य' शेयर किए हैं। My Gov India ने ट्विटर पर तस्वीरों के जरिए लोगों को जागरूक किया है। सरकार ने कहा कि ₹2000 मूल्यवर्ग के बैंक नोटों को चलन से वापस लेने के साथ, इसे लेकर कई भ्रांतियाँ हैं और हम यहाँ अपनी मिथक-विघटन शृंखला के साथ तथ्यों पर प्रकाश डाल रहे हैं।
सरकार ने कहा है कि ₹2000 के नोट 30 सितंबर, 2023 के बाद भी लीगल टेंडर बने रहेंगे। आपकी मुद्रा वैध बनी रहेगी। इसको लेकर घबराए नहीं। सरकार ने कहा कि यह नोटबंदी नहीं है बल्कि 2,000 रुपए के नोट को कम मूल्य के नोटों से बदला जा रहा है। 2,000 के नोट 30 सितंबर के बाद भी बदले जा सकते हैं इसके लिए कोई फीस नहीं लगेगी।
सरकार ने आगे कहा, ₹2000 के नोटों को छोटे मूल्यवर्ग में बदलना विमुद्रीकरण नहीं है। यह सहज लेन-देन को सुविधाजनक बनाने और उभरती जरूरतों को पूरा करने के लिए बस एक कदम है।
इस बीच एसबीआई ने बताया है कि एक बार में ₹20,000 तक के ₹2000 के नोट बदलने के लिए फॉर्म व आईडी प्रूफ की जरूरत नहीं होगी। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पूर्व प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा ने खुलास किया है कि नोटबंदी के समय पीएम मोदी ₹2,000 के नोट जारी करने के पक्ष में नहीं थे। उन्होंने कहा, अपनी टीम की सलाह पर पीएम ने नोट जारी करने की अनुमति दी...उन्होंने कहा था कि यह व्यवस्था कुछ समय तक ही रहेगी।