नई दिल्ली, 1 अक्टूबर: तमिलनाडु में जन्मे डॉ गोविंदप्पा वेंकटस्वामी की आज 100वीं जयंती है। इस मौके पर सोमवार को गूगल ने गूगल डूडल (Dr Govindappa Venkataswamy 100th Birth Anniversary google doodle) बनाकर उन्हें सम्मानित किया है। डॉ गोविंदप्पा बहुत ही प्रसिद्ध नेत्र सर्जन थे। उन्होंने अपना सारा जीवन नेत्रहीनों का अंधापन दूर करने में समर्पित कर दिया।
डॉ गोविंदप्पा को उनके मरीज और दोस्त 'डॉ वी' कहकर बुलाते थे। उनका जन्म 1 अक्टूबर 1918 तमिलनाके गांव में किसान परिवार के घर हुआ था। उन्होंने अपने पूरे जीवन में इलाज के जरिए लाखों नेत्रहीनों को आंखों की रोशनी दी है।
चेन्नई में स्टेनली मेडिकल कॉलेज से मेडिकल की डिग्री लेने के बाद डॉ गोविंदप्पा भारतीय सेना की मेडिकल कोर में शामिल हो गए। इसी दौरान वह गठिया की चपेट में आ गए। इसके बाद जब वह मरीजों की सर्जरी करने में असमर्थ रहे तो उन्होंने नेत्र विज्ञान की स्टडी शुरू कर दी।
तब गठिया से ग्रस्त होने के कारण वह अपने हाथ के लिए एक विशेष रूप का यंत्र इस्तेमाल करते थे। इस यंत्रों की सहायता से ही वह एक दिन में 100 मोतियाबिंद की सर्जरी करने में सक्षम हुए। इसके बाद देखते देखते वह देश के सफल मोतियाबिंद सर्जन के रूप में प्रसिद्ध हो गए। डॉ गोविंदप्पा ने लगभग 25 साल तक मोतियाबिंद सर्जरी करने का काम किया।
डॉ गोविंदप्पा वेंकटस्वामी 'अरविंद आई हॉस्पिटल' के संस्थापक हैं। इस हॉस्पिटल को दुनिया के बड़े आंखों के अस्पताल के तौर पर जाना जाता है। डॉ गोविंदप्पा के कामों के लिए उन्हें साल 1973 में भारत सरकार ने 'पद्मश्री' से नवाजा था। 7 जुलाई 2006 को तमिलनाडु के एक शहर मदुरई में इनका निधन हो गया।