गोवा के राजस्व, वित्त विभागों की आपत्तियों के बावजूद भूमि स्वामित्व विधेयक को मिली मंजूरी: आरटीआई
By भाषा | Updated: August 31, 2021 16:41 IST2021-08-31T16:41:28+5:302021-08-31T16:41:28+5:30

गोवा के राजस्व, वित्त विभागों की आपत्तियों के बावजूद भूमि स्वामित्व विधेयक को मिली मंजूरी: आरटीआई
गोवा के राजस्व और वित्त विभागों ने ‘भूमि पुत्र’ से संबंधित विवादास्पद विधेयक पर आपत्ति जतायी थी और कहा था कि यह ‘‘प्रशासनिक रूप से मंजूर नहीं था’’ तथा विधानसभा में विधेयक पारित होने पर ‘‘अप्रत्याशित व्यापक प्रभाव’’ हो सकता है। सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत सरकार से मिले जवाब में इसका खुलासा हुआ है। राज्य विधानसभा ने पिछले महीने गोवा भूमिपुत्र अधिकारिणी विधेयक, 2021 को पारित किया। इस विधेयक में 30 साल से अधिक समय से राज्य में छोटी आवासीय इकाइयों में रहने वाले ‘भूमिपुत्रों’ को स्वामित्व अधिकार प्रदान करने के लिए एक तंत्र बनाने का प्रावधान किया गया। मौजूदा प्रारूप में इस कानून की विपक्षी दलों सहित विभिन्न हलकों से आलोचना हुई, जिसके बाद मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने कहा था कि इसका नाम बदलकर ‘भूमि अधिकारिणी विधेयक’ रखा जाएगा और अगले विधानसभा सत्र के दौरान इसे फिर से पेश किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा था कि विधेयक गोवावासियों के लिए फायदेमंद है और विपक्षी दलों की टिप्पणियों को खारिज कर दिया कि इसका उद्देश्य प्रवासी वोट बैंक को खुश करना है। हालांकि, कांग्रेस की प्रदेश इकाई के आरटीआई सेल के प्रभारी डोमिनिक नोरोन्हा को पिछले सप्ताह राज्य के राजस्व विभाग से आरटीआई के तहत प्राप्त दस्तावेजों से पता चला है कि राजस्व मंत्री जेनिफर मोनसेराटे और राजस्व सचिव संजय कुमार ने एक फाइल पर यह टिप्पणी की थी जिसमें कहा गया था कि विधेयक ‘‘प्रशासनिक रूप से स्वीकृत नहीं है।’’ विपक्षी दल कांग्रेस को दिए जवाब में कुमार ने कहा ‘‘विधेयक को राजस्व मंत्री (जेनिफर मोनसेराटे) द्वारा प्रशासनिक रूप से अनुमोदित नहीं किया गया। विधेयक की पूरी जांच नहीं की गई है और इसका अप्रत्याशित व्यापक प्रभाव हो सकता है।’’ राजस्व सचिव ने टिप्पणी में कहा था कि ‘‘समय की कमी के कारण, विधेयक की पूरी तरह से जांच नहीं की गई और इसका अप्रत्याशित व्यापक प्रभाव हो सकता है। कांग्रेस ने कहा कि राज्य के वित्त विभाग के अवर सचिव प्रणव भट्ट ने यह भी टिप्पणी दर्ज की थी कि ‘‘इस प्रारूप में प्रस्ताव की अनुशंसा नहीं की जाती है तथा अधिक विवरण की आवश्यकता है क्योंकि भूमि एक बहुमूल्य संसाधन है। इस तरह विधेयक को पेश करने की अनुशंसा नहीं की जाती है।’’ इस मामले पर टिप्पणी के लिए मुख्यमंत्री सावंत या प्रदेश भाजपा प्रमुख सदानंद तानावडे से संपर्क नहीं हो सका।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।