जलवायु परिवर्तन को लेकर पूरी दुनिया में विरोध प्रदर्शन, भारत में सड़कों पर उतरे लोग, जानवरों ने भी लिया हिस्सा
By भाषा | Published: September 21, 2019 06:25 AM2019-09-21T06:25:04+5:302019-09-21T06:25:04+5:30
दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे 15 वर्षीय विहान अग्रवाल का कहना है, ‘‘हम भविष्य हैं।’’ उसका कहना है, ‘‘हमें लगता है कि स्कूल जाने का कोई फायदा नहीं है अगर हमें जीने लायक भविष्य ही ना मिले।’’ दुनिया भर में प्रदर्शनों का आयोजन करने वालों का अनुमान है कि करीब 10लाख लोगों ने इसमें हिस्सा लिया।
जलवायु परिर्वतन के खिलाफ और अपने लिए बेहतर भविष्य और खुशहाल ग्रह की मांग को लेकर पूरी दुनिया में लाखों स्कूलों बच्चों सहित अन्य लोगों ने प्रदर्शनों में हिस्सा लिया। पर्यावरण और बेहतर भविष्य को लेकर आवाज बुलंद कर रही किशोर कार्यकर्ता ग्रेटा थुनबर्ग की इस बात से सभी सहमत नजर आए कि धरती सिर्फ मौजूदा पीढ़ी की नहीं है, वह आने वाली पीढ़ियों की भी धरोहर है। ऐसे में आपको इसे बर्बाद करने का कोई हक नहीं है। आपको इसे संवारना होगा और भविष्य की पीढ़ियों के लिए तोहफे के रूप में छोड़ना होगा।
दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे 15 वर्षीय विहान अग्रवाल का कहना है, ‘‘हम भविष्य हैं।’’ उसका कहना है, ‘‘हमें लगता है कि स्कूल जाने का कोई फायदा नहीं है अगर हमें जीने लायक भविष्य ही ना मिले।’’ दुनिया भर में प्रदर्शनों का आयोजन करने वालों का अनुमान है कि करीब 10लाख लोगों ने इसमें हिस्सा लिया। अकेले ऑस्ट्रेलिया में ही 3,00,000 लाख से ज्यादा बच्चों, अभिभावकों और समर्थकों ने रैलियों में भाग लिया। स्लोवाकिया में 500 प्रदर्शनकारियों में शामिल पांच साल के थिओ का कहना है, ‘‘मैं आपसे कहना चाहूंगा कि आप पेड़ों को नहीं काटें, कचरा कम निकालें और पेट्रोल से चलने वाली गाड़ियों का इस्तेमाल कम करें।’’
तोक्यो के सेन्ट्रल शॉपिंग डिस्ट्रिक्ट में मौजूद प्रदर्शनकारियों के हाथों में तख्तियां थीं, जिनपर लिखा था... ‘जलवायु परिवर्तन को अभी रोकें’ और ‘कोई दूसरा ग्रह नहीं है।’ एक कॉस्मेटिक कंपनी में काम करने वाली 32 वर्षीय चिका मरुता अपने सहकर्मियों के साथ इस प्रदर्शन में हिस्सा ले रही हैं। उनका कहना है, ‘‘इस ग्रह की खराब हालत के लिए हम वयस्क जिम्मेदार हैं।’’ मरुता ने कहा कि हमे अगली पीढ़ी के लिए अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी। स्वीडन की 16 वर्षीय स्कूली छात्रा थुनबर्ग ने नेताओं पर आरोप लगाया कि वे नुकसानदेह जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए समुचित प्रयास नहीं कर रहे हैं।’’
हड़ताल की पूर्व संध्या पर उसने कहा कि समाधान को नजरअंदाज किया जा रहा है। अपने समर्थकों को भेजे गए एक वीडियो संदेश में उन्होंने कहा, ‘‘सबकुछ मायने रखता है, आपके लिए क्या मायने रखता है।’’ प्रदर्शन में शामिल बच्चों से लेकर बजुर्गों तक सभी उनसे सहमत हैं। घाना की राजधानी अकरा में करीब 200 लोगों ने प्रदर्शन में हिस्सा लिया।
#ClimateStrike#Hobart#Tasmania
— Leah Galvin 🍎🍒🥑🥦🥕🌽🌰🍓🧀 (@leah_galvin) September 20, 2019
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एफ्रोबैरोमीटर के अध्ययन के मुताबिक देश की 44 प्रतिशत आबादी ने जलवायु परिवर्तन का नाम तक नहीं सुना है। प्रदर्शन का आयोजन करने वाली 29 वर्षीय एलेन लिंडसे अवुकु ने कहा, ‘‘घाना जैसे विकासशील देश सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। हमारे पास जलवायु परिवर्तन से निपटने लायक संसाधन नहीं हैं।’’ केन्या और उगांडा में भी सैकड़ों की संख्या में लोग सड़कों पर उतरे। प्रदर्शनकारियों के न्यूयॉर्क में बड़ी संख्या में जमा होने की संभावना है। वहां करीब 1,800 स्कूलों के 11 लाख छात्रों को कक्षाओं से छूट दी गयी है।
जलवायु परिवर्तन के खिलाफ इन प्रदर्शनों का सिलसिला वानुआतु, सोलोमन और किरिबाती द्वीपों से शुरू हुआ। वहां बच्चों ने नारे दिए, ‘‘हम डूब नहीं रहे हैं, हम लड़ रहे हैं।’’ मॉल में प्लास्टिक बैग के खिलाफ आंदोलन करने वाली थाईलैंड की ग्रेटा के नाम से मशहूर 12 वर्षीय लिली सतिद्तनसरन का कहना है, ‘हम भविष्य हैं और हमें बेहतर पाने का हक है।’’
पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में 1,000 लोगों के साथ प्रदर्शन में शामिल 16 वर्षीय रीजान अहमद का कहना है, ‘‘यह (समस्या) हमसे पहले की पीढ़ियों ने पैदा की है... सिर्फ एक पीढ़ी के कारण बहुत कुछ दांव पर लगा है और इन सभी को बदलना अगली पीढ़ी के हाथ में है।’’ गौरतलब है कि शनिवार को संयुक्त राष्ट्र में ‘यूथ क्लाइमेट समिट’ होनी है। शुक्रवार को पूरी दुनिया में हुए प्रदर्शनों ने इस और दिलचस्प बना दिया है।