"पिंजरे में बंद तोता रिहा होना चाहिए", मद्रास उच्च न्यायालय ने सीबीआई को स्वतंत्र बनाने का दिया निर्देश

By दीप्ती कुमारी | Updated: August 18, 2021 11:36 IST2021-08-18T11:30:25+5:302021-08-18T11:36:18+5:30

मद्रास उच्च न्यायालय ने अपने एक फैसले में केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि सीबीआई को एक स्वतंत्र संस्था के रूप में स्थापित किया जाए और उनकी प्रतिनियुक्ति के लिए भी एक अलग कैडर होना चाहिए ताकि वह निष्पक्ष रूप से अपना काम कर सके ।

Give cbi autonomy like cag ec madras highcourt to centre | "पिंजरे में बंद तोता रिहा होना चाहिए", मद्रास उच्च न्यायालय ने सीबीआई को स्वतंत्र बनाने का दिया निर्देश

फोटो सोर्स - सोशल मीडिया

Highlights मद्रास उच्च न्यायालय ने सीबीआई को एक स्वतंत्र संस्था बनाने का दिया निर्देश कोर्ट ने केंद्र को सीबीआई के लिए एक अलग बजटीय आवंटन की सिफारिश की उनकी प्रतिनियुक्ति को लेकर भी कोर्ट ने अलग कैडर बनाने की बात कही

मदुरै :  मद्रास उच्च न्यायालय ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को अधिक स्वायत्तता प्रदान करने के लिए केंद्र को निर्देश जारी किया है ताकि "पिंजरे में बंद तोते को रिहा" किया जा सके माना जाता है । सीबीआई को यहां पिंजरे में बंद तोते की तरह बताया गया है । 

कोर्ट ने केंद्र को दिए कई निर्देश

 अदालत द्वारा केंद्र सरकार को कई निर्देश जारी किए गए , जिसमें केंद्रीय एजेंसी को अधिक शक्तियों और अधिकार क्षेत्र के साथ वैधानिक दर्जा प्रदान करने वाला एक अधिनियम लाना शामिल था ताकि यह भारत के  चुनाव आयोग (ईसी) और नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) की तरह अधिक स्वतंत्र हो जाए और निष्पक्ष निर्णय ले सके ।  जस्टिस एन किरुबाकरण और जस्टिस बी की खंडपीठ ने कहा, "जब भी कोई संवेदनशील, जघन्य अपराध होता है और स्थानीय पुलिस द्वारा उचित जांच नहीं होती है, तो सीबीआई जांच के लिए हमेशा मांग उठती है । लोगों का ऐसा विश्वास है कि सीबीआई सही जांच करेगा । 

पीठ ने कहा कि "... बहुत दुख की बात है कि सीबीआई यह कहकर किसी जांच से अपने पैर खींच लेती है कि उसके पास उपलब्ध संसाधन और जनशक्ति नहीं है और वह जांच नहीं कर सकती है । यह अदालतों के समक्ष सीबीआई का सामान्य पुराना बचाव का तरीका  है।”

सीबीआई के लिए अलग कैडर हो

मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों ने सीबीआई के लिए एक अलग बजटीय आवंटन की सिफारिश की है। उन्होंने कहा कि एजेंसी के पास प्रतिनियुक्ति पर निर्भर रहने के बजाय अधिकारियों का एक समर्पित कैडर होना चाहिए ताकि वह अपने अनुसार नियुक्ति कर सकें । अदालत ने  पर भी ह भी कहा कि सीबीआई कई बाधाओं जैसे कि केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला , धन और सुविधाओं की कमी  का भी सामना कर रही है । 

आपको बताते दे कि 2013 में सर्वोच्च न्यायालय ने पहली बार यह कहा था कि '''सीबीआई एक पिंजरे में बंद ऐसा तोता है जो अपने मालिक की इच्छानुसार बोलता है " ।
 

Web Title: Give cbi autonomy like cag ec madras highcourt to centre

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