बिहार के गया में दुकानदारों ने खुद लिख लिया नाम, दुकानों के नेम प्लेट को लेकर उपजे विवाद के बीच लिया फैसला

By एस पी सिन्हा | Updated: July 21, 2024 14:33 IST2024-07-21T14:31:26+5:302024-07-21T14:33:05+5:30

सावन के महीने में गया से काफी संख्या में कांवरिया देवघर के लिए रवाना होते हैं। वहीं बोधगया के महाबोधि मंदिर में भी सावन महीने में लाखों श्रद्धालु बोधगया आते हैं और महाबोधि मंदिर के गर्भगृह में स्थापित भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं।

Gaya Bihar shopkeepers wrote their own names controversy over name plates of shops | बिहार के गया में दुकानदारों ने खुद लिख लिया नाम, दुकानों के नेम प्लेट को लेकर उपजे विवाद के बीच लिया फैसला

बिहार के गया में दुकानदारों ने खुद लिख लिया नाम

Highlightsबिहार के गया में दुकानदारों ने खुद लिख लिया नामदुकानों के नेम प्लेट को लेकर उपजे विवाद के बीच लिया फैसलाबिहार में सरकार के द्वारा अभी तक ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया गया है

पटना: उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के द्वारा कांवड़ यात्रा वाले रूट की सभी खाने-पीने की दुकानों पर दुकानदारों को अपना नेमप्लेट लगाने का आदेश दिए जाने को लेकर गर्माई सियासत के बीच बिहार में भी इसकी मांग उठने लगी है। हालांकि बिहार में सरकार के द्वारा अभी तक ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया गया है। इस बीच गया के दुकानदारों ने स्वत: ही अपनी दुकानों पर अपनी पहचान लिखनी शुरू कर दी है। बिहार के बोधगया के फल दुकानदारों ने आपसी सौहार्द का संदेश देते हुए स्वेच्छा से अपनी दुकानों पर नेम प्लेट लगाना शुरू कर दिया है। 

उल्लेखनीय है कि सावन के महीने में गया से काफी संख्या में कांवरिया देवघर के लिए रवाना होते हैं। वहीं बोधगया के महाबोधि मंदिर में भी सावन महीने में लाखों श्रद्धालु बोधगया आते हैं और महाबोधि मंदिर के गर्भगृह में स्थापित भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। इसको देखते हुए बोधगया के स्थानीय दुकानदारों ने आपसी सौहार्द की मिसाल कायम की है। हिंदू और मुस्लिम दुकानदारों ने अपनी स्वेच्छा से फल की दुकानों के आगे अपना नेमप्लेट लगा दिया है तथा कुछ फल दुकानदार तो अपना फल दुकान का नाम 20 वर्षो से लिखा रखे हैं। 

स्थानीय फल दुकानदारों ने बताया कि सभी धर्मों के लोग उनकी दुकानों से खरीदारी करने आ रहे हैं। बोधगया के एक फल दुकानदार बच्चू मालाकार ने बताया कि यहां पर देश और विदेश के भी ग्राहक साथ-साथ सावन महीने में बड़ी संख्या में कांवरिया आते हैं। यहा किसी तरह का भेदभाव नहीं है। बोधगया में तो पूरे विश्व के लोग आते है और अभी सावन महिना शुरू होने वाला है तो कांवरिया भी आएंगे। बच्चू ने कहा कि ऐसे भी पहचान के लिए नेम प्लेट लगाना ही चाहिए, इसमें कोई हर्ज नहीं है। वही पंकज कुमार ने बताया कि दुकानों में नेमप्लेट तो जरुरी होना चाहिए ताकि किसी तरह की बात हो तो उसकी पहचान हो सके। 

नेमप्लेट लगाने से किसी भी तरह का गड़बड़ नहीं होगा। यहां कावरिया लोग आते हैं। बोधगया हिन्दू और बौद्ध धर्म दोनों का आस्था का केंद्र है और नेमप्लेट से यहां किसी भी तरह का भेदभाव नहीं होगा। स्थानीय लोग भी कहते हैं कि बोधगया का इतिहास रहा है की यहां सभी धर्म के लोग एक साथ रहते हैं और एक-दूसरे से कोई भेदभाव नहीं रखते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि दुकानदारों ने इस तरह का काम करके आपसी सौहार्द की मिसाल कायम की है। 

लोगों का कहना है कि इससे व्यक्ति को अपनी आस्था के हिसाब से सामान खरीदने में सहूलियत मिलती है और इससे सभी धर्मों का सम्मान होता है। बता दें कि भाजपा विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल ने कहा कि कई बार परिचय पूछने पर विवाद हो जाता है और लड़ाई झगड़े की नौबत आ जाती है।

Web Title: Gaya Bihar shopkeepers wrote their own names controversy over name plates of shops

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