गौरी लंकेश हत्याकांड: सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी पर केसीओसीए की धाराएं बहाल कीं, हाईकोर्ट का आदेश रद्द किया
By विशाल कुमार | Published: October 21, 2021 12:09 PM2021-10-21T12:09:11+5:302021-10-21T12:11:01+5:30
पत्रकार गौरी लंकेश की बहन कविता लंकेश की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने मोहन नायक पर से कर्नाटक संगठित अपराध नियंत्रण कानून के आरोपों को रद्द करने के कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया.
नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर, 2017 के मलंकेश हत्याकांड मामले में गुरुवार को आरोपी मोहन नायक के खिलाफ कर्नाटक संगठित अपराध नियंत्रण कानून (केसीओसीए) के प्रावधानों के तहत आरोपों को दोबारा जोड़ दिया है.
पत्रकार गौरी लंकेश की बहन कविता लंकेश की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने मोहन नायक पर से केसीओसीए के आरोपों को रद्द करने के कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया.
बीते 21 सितंबर को शीर्ष अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
तब पीठ ने मौखिक रूप से कहा था कि हम अस्थायी रूप से संकेत दे रहे हैं कि हम आदेश के अंतिम भाग को रद्द करने के इच्छुक हैं. पूर्व अनुमति पर भले ही हम उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निष्कर्ष को बरकरार रखें, आप उस गिरोह के सदस्य हैं या नहीं, और सामग्री का मिलान करने के बाद आरोपपत्र पेश करने के लिए संबंध में कोई भी तथ्य, जांच एजेंसी को जांच करने से नहीं रोकता है.
याचिका में इस साल 22 अप्रैल को हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई है जिसमें आरोपी मोहन नायक के खिलाफ जांच के लिए केसीओसीए के प्रावधान का इस्तेमाल करने के पुलिस प्राधिकार के 14 अगस्त 2018 के आदेश को रद्द कर दिया गया था.
कविता लंकेश के वकील ने दलील दी थी कि हाईकोर्ट ने इस निष्कर्ष पर पहुंचने में गलती की है कि केसीओसीए आरोपी के खिलाफ लागू नहीं होता.
लंकेश की पांच सितंबर 2017 की रात बेंगलुरु के राजराजेश्वरी नगर में उनके घर के पास गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.