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भारत में पहली बार मिला फंगस का ये खतरनाक नया स्ट्रेन, दिल्ली के एम्स में दो मरीजों की मौत

By विनीत कुमार | Updated: November 23, 2021 09:58 IST

भारत में फंगस के एक नए स्ट्रेन से संक्रमण का पहला मामला सामने आया है। इससे संक्रमित दो मरीजों की हाल में मौत हो गई। दोनों का इलाज दिल्ली के एम्स में चल रहा था।

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ठळक मुद्देभारत में एस्परगिलस लेंटुलस फंगस से सक्रमण से दो मरीजों की मौत।फंगस की इस प्रजाति पर दवाओं का भी खास असर नहीं होता है, 2005 के बाद कई देशों में मिले हैं मामले।जानकारों के अनुसार पिछले एक दशक में कई ऐसे फंगस की पहचान हुई है जो जानलेवा साबित हो सकते हैं।

नई दिल्ली: दिल्ली के एम्स डॉक्टरों ने क्रोनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पलमनरी डिजिज (COPD) से पीड़ित दो मरीजों में एस्परगिलस लेंटुलस (Aspergillus lentulus) की मौजूदगी की पुष्टि की है। दोनों मरीजों की मौत इलाज के दौरान हो गई।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक एस्परगिलस लेंटुलस दरअसल एस्परगिलस फंगस की एक प्रजाति है जो फेफड़ों में संक्रमण पैदा करता है। इस पर मौजूदा दवाओं का असर नहीं होता है। इसका पहली बार 2005 में मेडिकल जर्नल्स में जिक्र किया गया था। 

भारत में इस फंगस से संक्रमण का पहला ममला

इसके बाद से कई देशों में मनुष्यों में इसके संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है। हालांकि, डॉक्टरों के अनुसार यह पहली बार है जब भारत में एस्परगिलस की इस प्रजाति से किसी के संक्रमित होने की बात सामने आई है।

इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल माइक्रोबायोलॉजी (आईजेएमएम) की प्रकाशित एक केस रिपोर्ट के मुताबिक जान गंवाने वाले दो मरीजों में से एक की उम्र 50 के आसपास थी। दूसरे मरीज की उम्र 40 की दहाई में थी। दोनों को सीओपीडी था। पहले व्यक्ति को एक निजी अस्पताल से एम्स रेफर किया गया था। उस पर ऑक्सीजन थेरेपी के अलावा एंटीबायोटिक्स और एंटीफंगल के इस्तेमाल के बावजूद संक्रमण कम नहीं हुआ था। इसके बाद उसे रेफर किया गया।

दवाओं का नहीं हुआ फंगस पर असर

आईजेएमएम की रिपोर्ट में कहा गया है कि मरीज को एम्स में एम्फोटेरिसिन बी और मौखिक वोरिकोनाजोल इंजेक्शन दिया गया था। फंगल संक्रमण से मरने से पहले एक महीने से अधिक समय तक उसकी ​​स्थिति में कोई खास सुधार नहीं देखा गया।

वहीं, दूसरे मरीज को बुखार, खांसी और सांस लेने में तकलीफ की शिकायत के बाद एम्स की इमरजेंसी वार्ड में ले जाया गया। उन्हें एम्फोटेरिसिन बी भी दिया गया था, लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ और एक सप्ताह बाद मल्टी-ऑर्गन फेल्योर से मरीज की मृत्यु हो गई।

आईजेएमएम की रिपोर्ट में कहा गया है, 'हमारी जानकारी के अनुसार, एस्परगिलस लेंटुलस की वजह से सीओपीडी रोगी में इनवेसिव पल्मोनरी एस्परगिलोसिस का भारत में ये पहला मामला है।' इस रिपोर्ट को एम्स के माइक्रोबायोलॉजी विभाग से जावेद अहमद, गगनदीप सिंह, इमाकुलता जेस और मृगनयनी पांडेय सहित पल्मोनोलॉजी विभाग से अनंत मोहन, जन्य सचदेव, प्रशांत मणि और भास्कर रामा द्वारा लिखा गया है।

अधिक जानलेवा होने लगे हैं अब फंगस

WHO के फंगस पर अनुसंधान के विभाग के अध्यक्ष डॉ अरुणालोक चक्रवर्ती के अनुसार हमारे पर्यावरण में फंगस की एक लाख से अधिक प्रजातियां हैं। लगभग एक दशक पहले तक इनमें से 200 से 300 को बीमारी का कारण माना जाता था। हालांकि अब 700 से अधिक ऐसे फंगस की पहचान की जा चुकी है जो बीमारियों का कारण बन सकती हैं। इनमें से कुछ पर उपलब्ध दवाओं का भी असर नहीं होता है।

डॉक्टरों के मुताबिक आने वाले दिनों में फंगल संक्रमण के और खतरनाक होने की आशंका है। कुछ जानकारों के मुताबिक फंगल संक्रमण में वृद्धि के प्रमुख कारणों में से एक भारत में एंटीबायोटिक दवाओं का अत्यधिक उपयोग भी है। यह अच्छे और बुरे दोनों तरह के बैक्टीरिया को मार देता है। ऐसे में फंगस के विकास के लिए अनुकूल परिस्थितियों का निर्माण शरीर में हो जाता है जो बीमारियों का कारण बनते हैं।

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