अजीत जोगी को झटका, आदिवासी नहीं पूर्व मुख्यमंत्री, प्रमाण पत्र खारिज, न्यायालय में चुनौती देने का फैसला किया

By भाषा | Updated: August 27, 2019 19:35 IST2019-08-27T19:29:53+5:302019-08-27T19:35:17+5:30

अधिकारियों ने बताया कि जोगी की जाति के मामले में बनी उच्च स्तरीय ‘प्रमाणीकरण छानबीन समिति’ ने पूर्व मुख्यमंत्री के कंवर आदिवासी होने के प्रमाण पत्र को खारिज कर दिया है। अधिकारियों ने बताया कि छानबीन समिति ने पाया कि अजीत प्रमोद कुमार जोगी अपने कंवर अनुसूचित जनजाति के सदस्य होने के दावे को साबित करने में असफल रहे हैं।

Former tribal chief Ajit Jogi, not tribal, certificate rejected, decided to challenge in court | अजीत जोगी को झटका, आदिवासी नहीं पूर्व मुख्यमंत्री, प्रमाण पत्र खारिज, न्यायालय में चुनौती देने का फैसला किया

उच्च न्यायालय ने इस मामले में छानबीन समिति का आदेश निरस्त करते हुए एक बार फिर समिति का गठन करने का निर्देश दिया था।

Highlightsजोगी की जाति प्रमाण पत्रों को जून 2017 में निरस्त कर दिया गया था।अधिकारियों ने बताया कि समिति के आदेश के खिलाफ जोगी ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय बिलासपुर में रिट याचिका दायर की थी।

छत्तीसगढ़ में उच्च स्तरीय प्रमाणीकरण छानबीन समिति ने पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के कंवर आदिवासी होने के प्रमाण पत्र को खारिज कर दिया है। इधर जोगी ने इस आदेश को न्यायालय में चुनौती देने का फैसला किया है।

राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों ने मंगलवार को यहां बताया कि जोगी की जाति के मामले में बनी उच्च स्तरीय ‘प्रमाणीकरण छानबीन समिति’ ने पूर्व मुख्यमंत्री के कंवर आदिवासी होने के प्रमाण पत्र को खारिज कर दिया है। अधिकारियों ने बताया कि छानबीन समिति ने पाया कि अजीत प्रमोद कुमार जोगी अपने कंवर अनुसूचित जनजाति के सदस्य होने के दावे को साबित करने में असफल रहे हैं।

इसलिए ‘छत्तीसगढ़ अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग (सामाजिक प्रास्थिति के प्रमाणीकरण का विनियमन) अधिनियम 2013’ के अधीन नियम 2013 के उपनियम 23 (2) में विहित प्रावधान के अनुसार जोगी के पक्ष में जारी किये गये ‘कंवर’ अनुसूचित जनजाति के जाति प्रमाण पत्रों को निरस्त कर दिया गया है।

उन्होंने बताया कि इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने वर्ष 2011 में जोगी की जाति की छानबीन के लिए उच्च स्तरीय ‘प्रमाणीकरण छानबीन समिति’ का गठन करने का निर्देश दिया था। तब छानबीन समिति ने जोगी को जारी कंवर अनुसूचित जनजाति से संबंधित जाति प्रमाण पत्रों को विधि संगत नहीं पाया था। इसके फलस्वरूप जोगी की जाति प्रमाण पत्रों को जून 2017 में निरस्त कर दिया गया था।

अधिकारियों ने बताया कि समिति के आदेश के खिलाफ जोगी ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय बिलासपुर में रिट याचिका दायर की थी। उच्च न्यायालय ने इस मामले में छानबीन समिति का आदेश निरस्त करते हुए एक बार फिर समिति का गठन करने का निर्देश दिया था। इस आदेश के बाद राज्य शासन ने फरवरी वर्ष 2018 में समिति का पुनर्गठन किया था।

उन्होंने बताया कि आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति विकास विभाग के सचिव डीडी सिंह की अध्यक्षता में बनी उच्च स्तरीय प्रमाणीकरण छानबीन समिति ने जोगी को जारी जाति प्रमाण पत्र को निरस्त करने का आदेश दिया है। उच्च अधिकारियों ने बताया कि छानबीन समिति ने छत्तीसगढ़ अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग (सामाजिक प्रास्थिति के प्रमाणीकरण का विनियमन) नियम 2013 के नियम 23 (3) एवं 24 (1) में विहित प्रावधानों के अनुसार कार्यवाही संपादित करने के लिए बिलासपुर जिले के कलेक्टर को प्राधिकृत किया है।

वहीं नियम 2013 के नियम-23 (5) में विहित प्रावधान के अनुसार मिथ्या सामाजिक प्रास्थिति प्रमाण पत्रों को समपहृत :जप्त: किए जाने की कार्यवाही सुनिश्चित करने के लिए उच्च स्तरीय प्रमाणीकरण छानबीन समिति के सतर्कता प्रकोष्ठ के उप पुलिस अधीक्षक को अधिकृत किया गया है।

इस आदेश के बाद पूर्व मुख्यमंत्री जोगी ने इस मामले को लेकर न्यायालय में चुनौती देने का फैसला किया है। अजीत जोगी ने कहा कि विधिवत रूप से उन्हें निर्णय की कॉपी नहीं मिली है। उनका मानना है कि यह निर्णय भूपेश बघेल उच्च स्तरीय छानबीन समिति का निर्णय है।

जोगी ने कहा कि जब वह भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी थे तब तक उनके खिलाफ यह मामला नहीं उठा। राजनीति में आने के बाद यह मामला सामने आया। जब वह राज्यसभा के लिए चुने गए तब उनकी जाति का मुद्दा मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के इंदौर बैंच के समक्ष आया।

उनके पक्ष में इंदौर, जबलपुर तथा बिलासपुर उच्च न्यायालय से छह बार फैसले आए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके खिलाफ में भाजपा के नेता रहे दिलीप सिंह भूरिया कमेटी ने रिपोर्ट दी थी। उसके बाद रमन सिंह सरकार के कार्यकाल में दो बार रिपोर्ट आई। मैं तब से अब तक न्यायालय में इन फैसलों को चुनौती देते रहा हूं और अब पुन: मैं इस मामले को उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय तक चुनौती दूंगा।

पूर्व मुख्यमंत्री की जाति को लेकर विवाद छत्तीसगढ़ में पिछले लगभग दो दशकों पुराना है। भारतीय जनता पार्टी के नेता संत कुमार नेताम ने 2001 में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति जनजाति आयोग से जोगी की जाति को लेकर शिकायत की थी। नेताम के मुताबिक जोगी ने फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर स्वयं को आदिवासी बताया है।

वहीं इस मामले को लेकर भाजपा के वरिष्ठ आदिवासी नेता और वर्तमान में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष नंद कुमार साय ने न्यायालय में परिवार दायर किया था। बाद में यह मामला उच्चतम न्यायालय चला गया। और वर्ष 2011 में न्यायालय ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि जाति की छानबीन के लिए हाई पावर कमेटी बनाई जाए और वह अपना फैसला दे।

तब रमन सिंह सरकार ने आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग की विशेष सचिव रीना बाबासाहेब कंगाले की अध्यक्षता में जाति प्रमाण पत्र उच्चस्तरीय छानबीन समिति का गठन किया था। 

Web Title: Former tribal chief Ajit Jogi, not tribal, certificate rejected, decided to challenge in court

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