1995 में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या, 29 वर्षों से जेल में बंद बलवंत सिंह राजोआना, सुप्रीम कोर्ट ने कहा-अब तक फांसी क्यों नहीं दी?

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 24, 2025 21:00 IST2025-09-24T20:57:39+5:302025-09-24T21:00:28+5:30

पीठ ने नटराज से पूछा, ‘‘आपने अब तक उसे फांसी क्यों नहीं दी? इसके लिए कौन जिम्मेदार है? कम से कम हमने तो फांसी पर रोक नहीं लगाई है।’’

Former Punjab CM Beant Singh murdered in 1995 Balwant Singh Rajoana in jail 29 years Supreme Court said why not been hanged till now | 1995 में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या, 29 वर्षों से जेल में बंद बलवंत सिंह राजोआना, सुप्रीम कोर्ट ने कहा-अब तक फांसी क्यों नहीं दी?

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Highlightsमौत की सजा को आजीवन कारावास में बदलने की याचिका पर सुनवाई कर रही है।नटराज ने कहा कि वह निर्देश लेंगे और पीठ को स्थिति से अवगत कराएंगे।मुकुल रोहतगी ने कहा कि उनके मुवक्किल की दया याचिका पर कोई फैसला नहीं हुआ है।

नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को पूछा कि 1995 में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के लिए मौत की सजा पाए बलवंत सिंह राजोआना को अब तक फांसी क्यों नहीं दी गई। राजोआना पिछले लगभग 29 वर्षों से जेल में बंद है। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के. एम. नटराज ने न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति संदीप मेहता और न्यायमूर्ति एन. वी. अंजारिया को अपराध की गंभीरता से अवगत कराया। पीठ ने नटराज से पूछा, ‘‘आपने अब तक उसे फांसी क्यों नहीं दी? इसके लिए कौन जिम्मेदार है? कम से कम हमने तो फांसी पर रोक नहीं लगाई है।’’

शीर्ष अदालत राजोआना की दया याचिका पर फैसले में देरी के आधार पर उसकी मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदलने की याचिका पर सुनवाई कर रही है। राजोआना की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि उनके मुवक्किल की दया याचिका पर कोई फैसला नहीं हुआ है। नटराज ने कहा कि वह निर्देश लेंगे और पीठ को स्थिति से अवगत कराएंगे।

रोहतगी ने कहा, ‘‘कोई नहीं जानता कि क्या हो रहा है।’’ उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत ने पहले कहा था कि दया याचिका पर समय पर फैसला किया जाना चाहिए। रोहतगी ने कहा, "यदि मृत्युदंड को खत्म करना है तो उसे कम किया जाना चाहिए। यदि सजा कम की जाती है तो वह बाहर आ सकते हैं।" रोहतगी ने कहा कि राजोआना एक भारतीय नागरिक हैं और यह "भारत-पाकिस्तान का मुद्दा" नहीं है।

उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत ने पाया है कि राजोआना ने खुद दया याचिका दायर नहीं की थी, बल्कि यह एक गुरुद्वारा समिति की ओर से दायर की गई है। पीठ ने मामले की सुनवाई 15 अक्टूबर के लिए स्थगित कर दी और कहा कि केंद्र के अनुरोध पर मामले को स्थगित नहीं किया जाएगा। बीस जनवरी को उच्चतम न्यायालय ने केंद्र से राजोआना की दया याचिका पर निर्णय लेने को कहा था।

केंद्र ने तब मामले की संवेदनशीलता का हवाला देते हुए कहा था कि दया याचिका विचाराधीन है। पिछले साल 25 सितंबर को शीर्ष अदालत ने राजोआना की याचिका पर केंद्र, पंजाब सरकार और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के प्रशासन से जवाब मांगा था। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह और 16 अन्य लोगों की 31 अगस्त, 1995 को चंडीगढ़ में स्थित प्रशासनिक सचिवालय के प्रवेश द्वार पर हुए विस्फोट में मौत हो गई थी। एक विशेष अदालत ने जुलाई, 2007 में राजोआना को मौत की सजा सुनाई थी।

राजोआना की याचिका में उसकी रिहाई के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी। तीन मई, 2023 को, उच्चतम न्यायालय ने उसकी मौत की सजा को कम करने से इनकार करते हुए कहा था कि सक्षम प्राधिकारी उसकी दया याचिका पर विचार कर सकता है। अपनी नयी याचिका में, राजोआना ने 28 साल आठ महीने जेल में बिताए जाने का हवाला दिया,

जिसमें से 15 साल से अधिक समय तक वह मौत की सजा पाए अपराधी के रूप में रहा है। राजोआना ने कहा कि मार्च 2012 में, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति ने संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत उसकी सजा को माफ करने की मांग करते हुए एक दया याचिका दायर की थी।

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