देहरादून: पिछले महीने उत्तराखंड के हरिद्वार में आयोजित धर्म संसद में एक धर्म विशेष के खिलाफ भड़काऊ भाषणबाजी करने के मामले में पांच सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है जो इसकी जांच करेगा।
गढ़वाल के उप महानिरीक्षक करण सिंह नागन्याल ने रविवार को कहा कि एसआईटी का नेतृत्व पुलिस अधीक्षक स्तर का एक अधिकारी करेगा और दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
शनिवार को अधिकारियों ने बताया था कि गाजियाबाद के डासना मंदिर के पुजारी यति नरसिम्हानंद और संत सिंधु सागर के नाम भी प्राथमिकी में जोड़े गए हैं। नरसिम्हानंद इस कार्यक्रम के आयोजक थे।
अधिकारियों ने बताया था कि प्राथमिकी में धारा 153 ए (धर्म, नस्ल, जन्मस्थान, आवास, भाषा के आधार पर विभिन्न समुदायों के बीच वैमनस्य फैलाना) के अलावा भारतीय दंड संहिता की धारा 295 (पूजा स्थल या किसी पवित्र वस्तु को नुकसान पहुंचाना) भी जोड़ी गयी है।
बहरहाल, अधिकारी ने यह बताने से इनकार कर दिया कि प्राथमिकी में नयी धारा क्यों जोड़ी गयी है। उन्होंने कहा कि यह जांच का हिस्सा है जिसे साझा नहीं किया जा सकता।
प्राथमिकी में दो नए नाम जोड़ने के साथ ही अब तक मामले में पांच लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया है। इनमें वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र त्यागी, साध्वी अन्नपूर्णा, धर्मदास, यती नरसिम्हानंद और सिंधु सागर शामिल हैं।
हरिद्वार के वेद निकेतन धाम में 16-19 दिसंबर के दौरान धर्मसंसद में वक्ताओं ने कथित रूप से मुसलमानों के विरूद्ध भड़काऊ भाषण दिया था।