नई दिल्ली: पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित 'एक राष्ट्र एक चुनाव' समिति की पहली आधिकारिक बैठक आज दिल्ली स्थित उनके आवास पर होने की संभावना है। इससे पूर्व केंद्रीय कानून मंत्रालय ने बीते शनिवार को पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति में आठ सदस्यों को नामित किया था, जो लोकसभा, विधानसभाओं, नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनाव एक साथ कराने के संबंध में आने वाली चुनौतियों पर विचार करेगी।
इस समिति में अध्यक्ष रामनाथ कोविंद के अलावा गृहमंत्री अमित शाह, कांग्रेस नेता अधीररंजन चौधरी, राज्यसभा में विपक्ष के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद, वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एनके सिंह, वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे, पूर्व लोकसभा महासचिव सुभाष सी कश्यप और पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी का नाम शामिल था।
हालांकि, लोकसभा में मुख्य विपक्षी दल की अगुवाई करने वाले अधीर रंजन चौधरी ने इस उच्च-स्तरीय समिति में शामिल होने से इनकार कर दिया था। उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि समिति के संदर्भ की शर्तें इसके निष्कर्षों की गारंटी देने के लिए तैयार की गई हैं।
वहीं सरकारी सूत्रों का कहना है कि अधीर रंजन चौधरी ने नामों की अधिसूचना आने से पहले ही समिति का हिस्सा बनने के लिए अपनी सहमति दे दी थी।
मालूम हो कि इस समिति का गठन पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले और साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले किया गया है।
दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' का विचार रख चुके हैं। नवंबर 2020 में पीठासीन अधिकारियों के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, "एक राष्ट्र, एक चुनाव न केवल बहस का विषय है बल्कि भारत के लिए एक आवश्यकता है। भारत में हर महीने एक चुनाव होता है, जिससे विकास बाधित होता है। आखिर देश का इतना धन क्यों बर्बाद हो।"
अब यदि रामनाथ कोविंद समिति 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' की दिशा में सकारात्मक रिपोर्ट देती है तो इसका मतलब यह हो सकता है कि पूरे भारत में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ होंगे।