फिरोज गांधीः 'शॉर्पशूटर' सांसद जिनके खुलासों ने पीएम नेहरू और इंदिरा गांधी को भी कर दिया चकित!
By आदित्य द्विवेदी | Published: September 8, 2018 07:37 AM2018-09-08T07:37:01+5:302018-09-08T07:47:00+5:30
पुण्यतिथि विशेषः पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पति फिरोज गांधी के बारे में कुछ अनसुनी बातें...
नई दिल्ली, 8 सितंबरः अगर आप गूगल पर 'राष्ट्रीय दामाद' सर्च करेंगे तो रॉबर्ट वाड्रा से जुड़ी जानकारियां आपके सामने आ जाएंगी। रॉबर्ट वाड्रा सोनिया गांधी के दामाद और प्रियंका गांधी के पति हैं। बाबा रामदेव कभी चुटकी लेते हुए कहा करते थे, 'जिस तरह राष्ट्रीय पशु-पक्षी हैं उसी तरह से राष्ट्रीय दामाद हैं। जिनके पास हजारों करोड़ रुपये की जमीन है।' अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में रंजन भट्टाचार्य के बारे में भी कुछ ऐसी ही 'राष्ट्रीय दामाद' वाली बातें प्रचलित थी। अगर कुछ देर के लिए राष्ट्रीय दामाद की थ्योरी पर भरोसा कर लें तो देश का पहला राष्ट्रीय दामाद फिरोज गांधी को कहा जा सकता है। देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के दामाद और प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा के पति फिरोज गांधी की आज पुण्यतिथि है। कमजोरों के पक्ष में खड़ी एक ऐसी शख्सियत जो सही का साथ देने के लिए सत्ता के खिलाफ भी खड़ा हो जाता था।
आजाद भारत के पहले 'व्हिसिल ब्लोवर'
फिरोज गांधी को आजाद भारत का पहला व्हिसिल ब्लोवर कहा जा सकता है। उन्होंने एलआईसी घोटाले का खुलासा किया था जिसके बाद नेहरू के करीबी तत्कालीन वित्तमंत्री टीटी कृष्णमाचारी श्रीकांत को इस्तीफा देना पड़ा था। फिरोज़ गांधी के इस रवैये से नेहरू खुश नहीं थे। लेकिन फिरोज अपने स्टैंड पर अडिग रहे। उन्होंने 16 दिसंबर 1957 को संसद में एलआईसी घोटाले पर कहा था, 'मिस्टर स्पीकर, आज मैं सदन में शार्प शूटिंग करूंगा। यह कुछ लोगों को चुभ सकता है क्योंकि जब मैं प्रहार करता हूं तो वो बहुत मारक होता है और उम्मीद से कहीं ज्यादा।'
बनती-बिगड़ती लव स्टोरी
फिरोज उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद शहर में एक संपन्न पारसी परिवार से ताल्लुक रखते थे। उनके खानदान की नेहरू परिवार से जान पहचान थी। 16 साल के फिरोज को 13 साल की इंदिरा से प्यार हो गया। प्यार को मन में दबाकर रखने से बेहतर उन्होंने जाहिर करना समझा लेकिन इंदिरा ने उसे स्वीकार नहीं किया। इंग्लैंड में पढ़ाई के दौरान इंदिरा और फिरोज का प्यार परवान चढ़ा और फिर दोनों ने साथ रहने का फैसला कर लिया। लेकिन जवाहर लाल नेहरू इस रिश्ते के पक्ष में नहीं थे।
महात्मा गांधी ने दिया अपना सरनेम
शादी से पहले तक फिरोज का सरनेम भुवाली था लेकिन महात्मा गांधी ने उन्हें अपना नाम दिया। इंदिरा और फिराज की शादी मार्च 1942 में हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार हुई। इसके बाद दोनों ने गांधी सरनेम अपना लिया। इंदिरा गांधी के अडिग फैसले को नेहरू ने भी अपनी मौन स्वीकृति दे दी। स्वतंत्रता संग्राम में दोनों को जेल भी जाना पड़ा लेकिन जल्द ही भारत आजाद हो गया।
महज 48 साल की उम्र में निधन
फिरोज गांधी काम की धुन में ऐसे लगते थे कि स्वास्थ्य की चिंता ही रहती। उन्होंने तीन मूर्ति भवन छोड़कर सरकारी सांसद आवास में रहना शुरू कर दिया था। इंदिरा गांधी की नाराजगी भी उनको चिंतित करती थी। दो हार्ट अटैक उन्हें आ चुके थे और खान-पान में लापरवाही के चलते उन्हें तीसरा अटैक भी पड़ा। उन्हें आनन-फानन अस्पताल पहुंचाया गया लेकिन डॉक्टर भी बचा नहीं सके। 8 सितंबर 1960 को महज 48 साल की उम्र में उनकी मौत हो गई।
आजाद भारत के अधिकांश समय सत्ता पर कांग्रेस पार्टी का शासन रहा है और उस पर गांधी परिवार की प्रमुखता। लेकिन गांधी परिवार को जनक की खूब अवहेलना की गई। फिरोज गांधी के नाम पर शायद ही कोई सड़क, कोई योजना कोई संग्रहालय आपको दिखाई दे जाए!
*इन अनसुने किस्सों का संदर्भ बर्टिल फॉल्क की किताब 'फिरोजः द फॉरगॉटेन गांधी' है।