भंडारा अस्पताल में आग : काली दीवारें आग की भयावहता बताती हैं, पूर्व मंत्री ने लापरवाही का आरोप लगाया

By भाषा | Updated: January 9, 2021 19:10 IST2021-01-09T19:10:45+5:302021-01-09T19:10:45+5:30

Fire at Bhandara Hospital: Black walls reveal the horrors of the fire, former minister accused of negligence | भंडारा अस्पताल में आग : काली दीवारें आग की भयावहता बताती हैं, पूर्व मंत्री ने लापरवाही का आरोप लगाया

भंडारा अस्पताल में आग : काली दीवारें आग की भयावहता बताती हैं, पूर्व मंत्री ने लापरवाही का आरोप लगाया

भंडारा (महाराष्ट्र), नौ जनवरी महाराष्ट्र के एक पूर्व मंत्री ने आरोप लगाया है कि यहां एक अस्पताल में आग लगने की घटना में मारे गये दस शिशुओं में से कुछ के परिजनों ने बिजली के वोल्टेज में उतार-चढ़ाव की शिकायत की थी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। वैसे वार्ड में काली हो चुकी दीवारें और जले हुए फर्नीचर शुक्रवार की रात को लगी आग की भयावहता बयां करते हैं।

मीडिया को दूर रखने के लिए अस्पताल पहुंचने वाले मार्ग पर अवरोधक लगा दिये गये हैं। अस्पताल के आसपास लोगों की भीड़ नजर आयी जो उन 10 शिशुओं के बारे में जानने के लिए परेशान नजर आये। शुक्रवार देर रात इस अस्पताल की विशेष नवजात देखभाल इकाई में आग लगने से एक से तीन महीने के 10 शिशुओं की मौत हो गई ।

भंडारा में जितनी भयावह घटना हुई है, उसे लेकर शहर के लोग हलकान हैं और समाज के विभिन्न वर्गों के लोग शोक व्यक्त कर रहे हैं।

अस्पताल में पूर्व और वर्तमान मंत्रियों समेत नेताओं को आने-जाने दिया जा रहा है। उनके अलावा बमुश्किल ही किसी को जाने दिया जा रहा था। अस्पताल के अधिकारियों ने इस त्रासदी के बारे में चुप्पी साध रखी है।

चिंता बढ़ने के बीच केवल वे लोग ही संवाददाताओं के लिए अस्पताल में घटी घटना के बारे में थोड़ी-बहुत सूचनाएं हासिल करने का एकमात्र जरिया हैं जिन्हें अंदर जाने दिया गया।

महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री एवं भाजपा नेता चंद्रशेखर बावनकुले ने दावा किया कि आग लगने की घटना में मृत बच्चों के रिश्तेदारों ने संबंधित वार्ड में पिछले सात दिनों से बिजली के वोल्टेज में हो रहे उतार-चढ़ाव के बारे में अस्पताल प्रशासन को जानकारी दी थी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गयी।

बावनकुले ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘मैंने मृत शिशुओं के रिश्तेदारों से बात की। उन्होंने बताया कि अस्पताल के उस वार्ड में पिछले सात दिनों से बिजली के वोल्टेज में उतार-चढ़ाव हो रहा था। इन रिश्तेदारों ने अस्पताल के कर्मियों से इलेक्ट्रिक स्वीच आदि की जांच करने का अनुरोध किया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गयी।’’

उच्च स्तरीय जांच की मांग करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि अस्पताल में समुचित अग्नि सुरक्षा इंतजाम और सुरक्षित इलेक्ट्रिक उपकरण नहीं थे।

पूर्व मंत्री ने यह आरोप भी लगाया कि अस्पताल के लिए एक करोड़ रूपये मूल्य का अग्निसुरक्षा उपकरण खरीदने का प्रस्ताव सरकार के प्रधान सचिव (स्वास्थ्य) एवं स्वास्थ्य निदेशक के पास इस साल मई से लंबित है, लेकिन अब भी वह मंजूरी का बाट जोह रहा है।

वैसे तो अधिकतर लोगों को अस्पताल में नहीं जाने दिया गया लेकिन वार्ड की तस्वीरों से आग और उसके प्रभाव की भयावहता की कहानी सामने आयी।

दीवारें काली पड़ गयीं और बस बीच-बीच में कहीं कहीं पीली धारियां नजर आ रही हैं। ज्यादातर फर्नीचर जल गये । केवल धातु के स्ट्रेचर और ड्रिप स्टैंड जैसे अन्य सामान्य बचे नजर आ रहे हैं।

राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने कहा कि तीन शिशुओं की जलने से तथा सात शिशुओं की दम घुटने से मौत हो गई जबकि सात शिशुओं को बचा लिया गया।

जिला सिविल सर्जन प्रमोद खंडाते ने बताया कि भंडारा जिला अस्पताल में शुक्रवार देर रात एक बजकर 30 मिनट के आसपास आग लग गयी। इकाई में 17 बच्चे थे, जिनमें से सात को बचा लिया गया।

उन्होंने बताया कि सबसे पहले एक नर्स ने अस्पताल के नवजात शिशु देखभाल विभाग से धुआं उठते देखा और उसने डॉक्टरों और अन्य कर्मचारियों को चौकस किया और वे पांच मिनट के भीतर वहां पहुंच गए।

उन्होंने बताया कि दमकल कर्मियों ने इकाई के ‘इनबाउंड वार्ड’ से सात बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया, लेकिन 10 बच्चों को नहीं बचाया जा सका।

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Web Title: Fire at Bhandara Hospital: Black walls reveal the horrors of the fire, former minister accused of negligence

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