सरकार के साथ वार्ता के पहले कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों ने निकाली ट्रैक्टर रैली

By भाषा | Updated: January 7, 2021 22:58 IST2021-01-07T22:58:15+5:302021-01-07T22:58:15+5:30

Farmers held tractor rally against agricultural laws before talks with government | सरकार के साथ वार्ता के पहले कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों ने निकाली ट्रैक्टर रैली

सरकार के साथ वार्ता के पहले कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों ने निकाली ट्रैक्टर रैली

नयी दिल्ली/चंडीगढ़, सात जनवरी सरकार से बातचीत से पहले हजारों किसानों ने केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ बृहस्पतिवार को प्रदर्शन स्थल-सिंघू, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर और हरियाणा के रेवासन में ट्रैक्टर रैली निकाली। प्रदर्शनकारी किसानों ने कहा कि वे तीनों कानूनों में संशोधन के केंद्र के प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करेंगे।

प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों ने कहा कि 26 जनवरी को हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से राष्ट्रीय राजधानी में आने वाले ट्रैक्टरों की प्रस्तावित परेड से पहले यह महज एक ‘‘रिहर्सल’’ है।

सिंघू से टिकरी बॉर्डर, टिकरी से कुंडली, गाजीपुर से पलवल और रेवासन से पलवल की तरफ ट्रैक्टर रैलियां निकाली गयी।

किसान संगठनों और केंद्र के बीच शुक्रवार को आठवें दौर की वार्ता के पहले किसान नेताओं ने स्पष्ट कर दिया है कि तीनों कानूनों को वापस लेना चाहिए और फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी अधिकार बनाना चाहिए।

संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा, ‘‘हम सरकार द्वारा संशोधन की पेशकश को कभी स्वीकार नहीं करेंगे और अगर हमारी मांगें पूरी नहीं हुई तो हम आंदोलन और तेज करेंगे।’’ संयुक्त किसान मोर्चा आंदोलन कर रहे 40 किसान संगठन का प्रतिनिधि संगठन है।

सिंधू और टिकरी बॉर्डर से लेकर किसानों ने सुबह में कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेसवे की तरफ मार्च किया और फिर वापस आ गए।

अपने ट्रैक्टरों पर बैठे, प्रदर्शन कर रहे किसान अपने प्रदर्शन स्थलों से निकले, वाहनों पर उनका मनोबल बढ़ाने के लिए ‘स्पीकरों’’ में गाने बज रहे थे। उनके अन्य साथी किसान मूंगफली, नाश्ता, चाय, और समाचार पत्रों आदि सामान के साथ रास्तों में खड़े भी दिखे।

मोर्चा के वरिष्ठ सदस्य दर्शन पाल ने कहा कि 5,000 ट्रैक्टरों और अन्य वाहनों के साथ मार्च कर किसानों ने दुनिया को अपनी एकजुटता दिखा दी है कि वे थके नहीं हैं और अपने संकल्प पर दृढ़ हैं।

प्रदर्शन में शामिल कुछ संगठनों के युवा अपने ट्रैक्टरों में तिरंगा और संगठन का झंडा लगाए हुए थे। कुछ ने पोस्टर भी लगा रखे थे जिसपर लिखा था, ‘‘अन्नदाता नहीं तो अन्न नहीं।’’

भारतीय किसान यूनियन (एकता उगराहां) के प्रमुख जोगिंदर सिंह उगराहां ने कहा कि किसान तीन कानूनों को वापस लेने के अलावा किसी बात पर राजी नहीं होंगे।

भाकियू (एकता उगराहां) के नेता शिंगरा सिंह मान ने कहा कि ‘‘ट्रैक्टर रैली शांतिपूर्ण रही और यह पूरी तरह कामयाब रही।’’

प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों और तीन केंद्रीय मंत्रियों के बीच सोमवार को सातवें दौर की बैठक बेनतीजा रही थी क्योंकि किसान तीनों कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांग पर डटे हुए हैं। वहीं, सरकार ने देश के कृषि क्षेत्र की उन्नति के लिए नए कानून के विभिन्न फायदे बताए थे।

गाजीपुर से भाकियू नेता राकेश टिकैत की अगुवाई में ट्रैक्टर मार्च पलवल की तरफ बढ़ा है।

संयुक्त किसान मोर्चा के एक वरिष्ठ सदस्य अभिमन्यु कोहाड़ ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘आगामी दिनों में हम तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ अपना आंदोलन तेज करेंगे। आज के मार्च में हरियाणा से करीब 2500 ट्रैक्टर आए।’’

उन्होंने, ‘‘हम आगाह करना चाहते हैं कि अगर सरकार हमारी मांगें स्वीकार नहीं करेगी तो किसानों का प्रदर्शन आगे और तेज होगा।’’

टिकरी बॉर्डर प्रदर्शन स्थल पर कुछ लोगों ने मीडिया कर्मियों के साथ कथित तौर पर बदसलूकी की। संयुक्त किसान मोर्चा ने मीडिया के एक धड़े पर हमले की निंदा करते हुए कहा कि अनुशासन समिति मामले की जांच कर रही है और ऐसे लोगों को पुलिस के हवाले किया जाएगा।

पंजाब के होशियापुर से ट्रैक्टर रैली में हिस्सा लेने पहुंचे हरजिंदर सिंह ने कहा, ‘‘ सरकार एक के बाद एक बैठक कर रही है। उन्हें पता है हमें क्या चाहिए। हम चाहते हैं कि कानून वापस लिए जाए लेकिन हमें सिर्फ बेकार की बैठकें मिल रही हैं। इस रैली के जरिए, हम 26 जनवरी को क्या करेंगे उसकी महज झलक दिखा रहे हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘आज की रैली, केवल दिल्ली की सीमा पर हुई है, लेकिन एक बार जब हमारे किसान नेता राजधानी में दाखिल होने का निर्णय करेंगे, तो हम वह भी करेंगे।’’

संयुक्त किसान मोर्चा ने एक बयान में दावा किया कि देशभर में किसानों ने एकजुटता दिखाते हुए अपने-अपने क्षेत्रों में प्रदर्शन में भागीदारी की। साथ ही कहा कि उत्तरप्रदेश के कई जिलों में किसानों ने अपने संबंधित क्षेत्रों में ट्रैक्टर मार्च किया।

बयान में कहा गया कि सभी मार्च में बड़ी संख्या में महिलाओं ने भी भागीदारी की। राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड के विभिन्न क्षेत्रों के किसानों ने भी राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन में हिस्सा लिया।

किसान एक महीने से ज्यादा समय से दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर डटे हुए हैं। किसान कृषि कानूनों को निरस्त करने, फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी देने तथा दो अन्य मुद्दों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं।

इस साल सितम्बर में अमल में आए तीनों कानूनों को केंद्र सरकार ने कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश किया है। उसका कहना है कि इन कानूनों के आने से बिचौलिए की भूमिका खत्म हो जाएगी और किसान अपनी उपज देश में कहीं भी बेच सकेंगे।

दूसरी तरफ, प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों का कहना है कि इन कानूनों से एमएसपी का सुरक्षा कवच खत्म हो जाएगा और मंडियां भी खत्म हो जाएंगी तथा खेती बड़े कारपोरेट समूहों के हाथ में चली जाएगी।

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