विशेषज्ञों ने भारत में खाद्य पदार्थों पर डब्ल्यूएचओ के मानकों के अनुरूप लेबल लगाने की वकालत की
By भाषा | Updated: October 6, 2021 20:08 IST2021-10-06T20:08:19+5:302021-10-06T20:08:19+5:30

विशेषज्ञों ने भारत में खाद्य पदार्थों पर डब्ल्यूएचओ के मानकों के अनुरूप लेबल लगाने की वकालत की
नयी दिल्ली, छह अक्टूबर विशेषज्ञों ने बुधवार को कहा कि देश में खाद्य पदार्थ निर्माताओं के लिए हानिकारक अवयवों पर डब्ल्यूएचओ-मानक खाद्य लेबल लगाना अनिवार्य करना चाहिए ताकि बचपन में मोटापे, हृदय रोगों की शुरुआत और मधुमेह संबंधी समस्याओं से निपटा जा सके।
पीपुल्स विजिलेंस कमेटी ऑन ह्यूमन राइट्स (पीवीसीएचआर) द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, विशेषज्ञों ने कहा कि चिली और ब्राजील जैसे देशों के साक्ष्य स्पष्ट रूप से इंगित करते हैं कि पैक पर सामने की ओर सरल और अनिवार्य चेतावनी लेबल, जैसे 'उच्च नमक/चीनी या संतृप्त वसा', सार्वजनिक स्वास्थ्य की बेहतरी पर त्वरित प्रभाव डालते हैं, अस्वास्थ्यकर भोजन की खपत को कम करते हैं, उपभोक्ता की प्राथमिकताओं को बदलते हैं और उद्योगों को सुधार के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
उन्होंने भारत में पोषण संबंधी इन मानकों को तेजी से अपनाने की संयुक्त अपील की और इसे सर्वोच्च प्राथमिकता देने की वकालत की।
विशेषज्ञों ने कहा कि अत्यंत प्रसंस्कृत भोजन और पेय पदार्थों की अत्यधिक खपत के कारण बच्चों में मोटापा, कम उम्र में हृदय संबंधी बीमारियों की शुरुआत, मधुमेह और गैर-संक्रामक रोगों से निपटने के लिए भारत को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के हानिकारक अवयवों से संबंधित मानकों के अनुसार खाद्य पदार्थों पर लेबल लगाना अनिवार्य करना चाहिए।
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के आयुर्विज्ञान संस्थान में सामुदायिक चिकित्सा की प्रमुख डॉ संगीता कंसल ने कहा कि देश में 1.4 करोड़ से अधिक बच्चे मोटे या अधिक वजनी हैं और उनके भविष्य में सेहत संबंधी समस्याएं हो सकती हैं और वयस्क होने पर गैर-संक्रामक रोगों का जोखिम बढ़ सकता है।
उन्होंने इस लिहाज से खाद्य पदार्थों के लिए नियामक कदमों की जरूरत बताई।
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