एक्सक्लूसिव: महाराष्ट्र राज्यपाल द्वारा आवंटित राशि पर नहीं बना प्रस्ताव, विदर्भ के पिछड़े इलाकों में 50 करोड़ रुपये होने थे खर्च
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: December 26, 2019 09:32 IST2019-12-26T09:05:22+5:302019-12-26T09:32:46+5:30
नगर परिषदों की उदासीनता अब भी कायम है, हालात को देखते हुए राज्यपाल कोश्यारी ने मुंबई में बैठक बुलाई है.

भगत सिंह कोश्यारी (फाइल फोटो)
कमल शर्मा
महाराष्ट्र राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने संविधान की धारा 371 (2) के तहत मिले विशेषाधिकार के तहत विदर्भ को 50 करोड़ की राशि आवंटित की है, लेकिन छह महीने बाद निधि के खर्च होने की बात तो दूर, इस बात का प्रस्ताव ही मंजूर नहीं हो सका है कि निधि कहां खर्च होगी. निधि के वापस जाने की आशंका से चिंतित राज्यपाल ने नए साल के पहले सप्ताह में राजभवन, मुंबई में बैठक आहूत की है.
राज्यपाल के निर्देश पर प्रदेश के प्लानिंग डिपार्टमेंट ने 22 जुलाई 2019 को यह निधि आवंटित की. यह निधि विदर्भ की उन 60 तहसीलों पर खर्च होनी थी जो मानव संसाधन सूचकांक में काफी पिछड़े हुए हैं. इसके साथ ही क-वर्ग को इसका लाभ मिलना था. शिक्षा, रोजगार के अवसर तलाशने एवं स्वास्थ्य सेवाओं पर यह निधि खर्च होनी चाहिए. वर्धा छोड़कर विदर्भ के सभी जिलों के जिलाधिकारी को इसकी जानकारी दी गई.
हर जिलाधिकारी को विदर्भ विकास बोर्ड को प्रस्ताव भेजकर यह स्पष्ट करना था कि जिले में निधि कहां खर्च होगी, लेकिन मंडल को एक भी जिले ने प्रस्ताव नहीं भेजा. मंडल ने दो बार पत्र लिखकर पुन: प्रस्ताव आमंत्रित किया लेकिन कोई पहल नहीं हुई है. राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने इस पर नाराजगी जताते हुए विधानमंडल के शीत सत्र के दौरान जल्द प्रस्ताव भेजने को कहा. आखिर प्रस्ताव आने का क्रम आरंभ हुआ. लेेकिन वाशिम, यवतमाल जिले के प्रस्ताव का अब भी इंतजार है. नगर परिषदों की उदासीनता अब भी कायम है, हालात को देखते हुए राज्यपाल कोश्यारी ने मुंबई में बैठक बुलाई है.
निधि वापस जाने की आशंका
दिसंबर लगभग बीतने को है. चालू वित्तीय वर्ष 31 मार्च को समाप्त हो रहा है. अगर तब तक निधि खर्च नहीं होगी तो वह वापस चली जाएगी. जिले तक निधि पहुंचने की लंबी प्रक्रिया को देखते हुए इस आशंका से इनकार नहीं किया जा रहा. निधि के लिए जिलों को पहले विदर्भ विकास मंडल को प्रस्ताव भेजना है. मंडल इनकी जांच कर विभागीय आयुक्त को स्वीकृत प्रस्ताव भेजेगा. वहां से यह प्रस्ताव मानव विकास आयुक्तालय, औरंगाबाद जाएंगे. आयुक्तालय की स्वीकृति के बाद उन्हें राजभवन भेजा जाएगा जहां से निधि का जिलावार आवंटन होगा.
विदर्भ विकास मंडल ने जताई चिंता
राज्यपाल की निधि के प्रशासन के चक्र में फंसने को लेकर विदर्भ विकास मंडल ने चिंता जताई है. मंडल की बैठक में इस संदर्भ में गहन चर्चा के बाद फैसला किया गया कि जिलाधिकारियों एवं नगर पालिका से संपर्क साधकर जल्द प्रस्ताव विभागीय आयुक्त को भेजे जाएंगे. बैठक में अध्यक्ष चैनसुख संचेती, सदस्य सचिव हेमंत पवार, विशेषज्ञ सदस्य कपिल चंद्रायण आदि मौजूद थे.