पलामू बाघ आरक्ष में नर बाघ की मौजूदगी के साक्ष्य मिले
By भाषा | Published: November 11, 2021 01:34 PM2021-11-11T13:34:31+5:302021-11-11T13:34:31+5:30
मेदिनीनगर (झारखंड), 11 नवंबर बाघों के लिए प्रसिद्ध झारखंड के एकमात्र वन्यजीव अभयारण्य विश्व प्रसिद्ध ‘पलामू बाघ आरक्ष’ (पीटीआर) में नर बाघ की मौजूदगी के पुख्ता साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।
पीटीआर के क्षेत्रीय निदेशक कुमार आशुतोष ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि गत सोमवार की शाम बारेसाढ़ के जंगल में युवा बाघ को प्रत्यक्ष देखे जाने के बाद उसकी मौजूदगी के पुख्ता साक्ष्य हासिल करने में वन कर्मचारियों के 15 सदस्यीय दल को लगाया गया था, जिसे नर बाघ की मौजूदगी के पुख्ता साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।
उन्होंने बताया कि वनरक्षियों ने उक्त बाघ के मल एवं पदचिह्न प्राप्त किए हैं जो प्रारंभिक जांच में नर बाघ के पाए गए।
क्षेत्रीय निदेशक ने बताया कि इस नर बाघ के पदचिह्न मिट्टी एवं बालू में प्राप्त हुए हैं जो मादा बाघ से अपेक्षाकृत बड़े हैं और उनसे ही देखे गये बाघ के नर बाघ होने की पुष्टि हुई है।
उन्होंने बताया कि मल को एकत्रित किया गया है और इसे विशेष परीक्षण के लिए देहरादून स्थित वन्यप्राणी संस्थान (वाइल्ड लाईफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया) की प्रयोगशाला में भेजा जाएगा।
इससे पूर्व पलामू बाघ आरक्ष में सोमवार शाम यह युवा बाघ देखा गया जिसके बाद वन कर्मियों में खुशी की लहर दौड़ गयी थी।
मेदिनीनगर में पलामू बाघ आरक्ष के क्षेत्रीय निदेशक कुमार आशुतोष ने ‘पीटीआई-भाषा’ को आरक्ष में सोमवार को युवा बाघ देखे जाने की जानकारी दी थी। उन्होंने बताया था कि एक तंदरुस्त एवं जवान बाघ बारेसाढ़ के जंगल में सोमवार शाम को देखा गया था। वन क्षेत्र अधिकारी (रेंजर) तरुण कुमार सिंह के नेतृत्व में वनरक्षियों के दल ने इस बाघ को उस वक्त देखा था जब बाघ सड़क पार कर रहा था।
उन्होंने बताया कि अनेक वर्षों बाद पीटीआर में बाघ देखे जाने के बाद पलामू बाघ आरक्ष (पीटीआर) में अधिकारियों एवं कर्मचारियों के बीच खुशी की लहर व्याप्त है।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2018 में अन्तर्राष्ट्रीय बाघ दिवस के अवसर पर वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा भारत में मौजूद बाघों की संख्या में पलामू बाघ आरक्ष में एक भी बाघ पाये जाने का उल्लेख नहीं था। पीटीआर में बाघों की उपस्थिति के बारे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संबोधन में भी कोई जिक्र नहीं था जबकि अन्य आरक्ष एवं अभयारण्यों में बाघों की बढ़ती संख्या का उल्लेख किया गया था।
झारखंड उच्च न्यायालय ने हाल में एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा था कि जब पीटीआर में कोई बाघ है ही नहीं तो उसे बाघ आरक्ष कहने का क्या अर्थ है?
निदेशक ने बताया था कि मेदिनीनगर-महुआडांड़ मार्ग में बाघ को वन दल ने लगभग दस फीट की दूरी से देखा जो आहिस्ता-आहिस्ता सड़क को पार कर एक जंगल से दूसरे जंगल में चला गया।
बाघ को देखते ही वनकर्मियों ने अपनी गाड़ियों को बंद कर दिया और उसके जाने के मार्ग पर नजर रखी। वन्यकर्मियों का यह दल वन्यजीवों के सुरक्षार्थ नियमित गश्त पर था ।
उन्होंने बताया कि यह आरक्ष देश में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (1972) के तहत उस समय से बाघों के संरक्षण एवं संवर्धन की दिशा में सक्रिय है जब देश में एक साथ नौ बाघ परियोजनाओं को क्रियान्वित किया गया था ।
पलामू बाघ आरक्ष के छिपादोहर जंगल में इससे पूर्व जून, 2017 में नर बाघ देखा गया था। इसके बाद नवंबर, 2019 में बेतला में यहां एक बूढ़ी बाघिन देखी गयी थी जिसे 15 फरवरी, 2021 को जंगली भैंसों ने घेर कर मार दिया था। मारी गयी बाघिन ‘आशा’ के मुंह में बहुत कम दांत मिले थे।
राज्य के लातेहार जिलान्तर्गत पलामू बाघ आरक्ष कुल 1129.93 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है और इसी के भीतर देश का एकमात्र ‘भेड़िया अभयारण्य’ है, जहां फिलहाल लगभग सौ भेड़िए हैं । यह अभयारण्य महुआडांड़ प्रखण्ड के 63.256 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है ।
पीटीआर में कुल 174 प्रजातियों के पक्षी एवं 47 प्रजातियों के स्तनपायी जीव पाये जाते हैं और इसके भीतर स्थित बेतला राष्ट्रीय उद्यान को पहली अक्टूबर से आम लोगों के लिए खोला गया है।
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