आजादी के बाद भी इस गांव में नहीं बना है पक्का मकान, नहीं मिला है उज्ज्वला गैस का कनेक्शन, नहीं है एक भी शौचालय, जानिए क्या है वजह
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: April 4, 2022 04:28 PM2022-04-04T16:28:24+5:302022-04-04T16:42:02+5:30
मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में एक ऐसा गांव है, जहां आज भी न तो कोई पक्का मकान बना है, न ही गांव में शौचायल की सुविधा है और न ही किसी घर को उज्वला कनेक्शन के तहत गैस सिलेंडर मिला है। इस गांव को आज भी किसी सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। गरीबों के हक का प्रशासन खा रही है या सरकार, किसी को यह बात पता ही नहीं है।
मुरैना: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने शासनकाल में गरीबों के कल्याण के लिए पूरे देश में कई योजनाओं को लॉन्च किया लेकिन मध्य प्रदेश में एक ऐसा भी गांव है, जो विकास की छाया से कोसों दूर गरीबी और मुफलिसी की छूप में तप रहा है।
जानकारी के मुताबिक गांव में अभी तक न तो पक्का मकान बना है, न ही शौचायल की सुविधा है और न ही किसी घर को उज्वला कनेक्शन के तहत गैस सिलेंडर मिला है।
जी हां, मुरैना जिले के एक गांव को आज भी किसी सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। गरीबों के हक का प्रशासन खा रही है या सरकार, किसी को यह बात पता ही नहीं है।
यह मामला मुरैना जिले के ‘पुठा का पुरा’ गांव का है। सूचना के मुताबिक इस गांव में अनुसूचित जाति वर्ग के 40 परिवार रहते हैं। अधिकांश परिवार आज भी कच्चे घरों और झोपड़ियों में गुजारा कर रहा है।
इनमें से किसी भी परिवार को अब तक पीएम आवास योजना के तहत न तो पक्का घर मिला है और न ही स्वच्छता अभियान के तहत गांव के किसी भी घर में शौचालय नहीं है। यही कारण है कि आज भी गांव का हर सदस्य शौच के लिए खुले में जाने को मजबूर है।
ऐसा नहीं है कि इस गांव के गरीब परिवारों ने आवास योजना या शौचालय के लिए आवेदन नहीं किया है। गांव के माधौसिंह सखबार का कहना है कि पीएम आवास योजना के लिए कई बार आवेदन कर चुके हैं, लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है। ग्राम पंचायत ने कई घरों में शौचालय बनाने की बात कही, लेकिन वह भी नहीं बन सका है।
महिलाओं को चूल्हे के धुएं से मुक्ति दिलाने के लिए सरकार ने उज्ज्वला योजना के तहत मुफ्त में एलपीजी सिलेंडर नहीं बांटे हैं। गांव की बैजंती बाई जाटव ने बताया कि उज्ज्वला योजना के पहले और दूसरे चरण में यहां किसी भी परिवार को मुफ्त गैस सिलेंडर नहीं मिला। ग्राम रामकिशोरी बताती है कि चूल्हे पर धुएं के बीच खाना बनाना पड़ता है, चूल्हे के लिए लकड़ी लेने के लिए गांव से दो किलोमीटर दूर जाना पड़ता है।
पाल ग्राम पंचायत के सरपंच मोहरश्री जाटव का कहना है कि लाभार्थी को स्वयं शौचालय का निर्माण करना पकड़ा है। उसके बाद उसे 12 हजार रुपये मिलते हैं।
‘पुठा का पुरा’ में किसी ने शौचालय नहीं बनाया तो उन्हें पैसे कैसे मिलेंगे। किसी कारण से इस गांव में दोनों चरणों में पीएम आवास उपलब्ध नहीं था। इस बार यहां के जरूरतमंद परिवारों को आवास उपलब्ध कराया जाएगा।
जिला आपूर्ति एवं नियंत्रक अधिकारी बीएस तोमर का कहना है कि उज्जवला योजना के सिलेंडर के लिए हर गांव से जरूरतमंद चिन्हित हुए। इस गांव के लोग किस कारण रह गए, इसकी जानकारी ली जाएगी। किसी की गलती से हुआ है तो उस पर कार्रवाई होगी। हम प्रयास करेंगे के अगले चरण में इस गांव के हर पात्र परिवार को सिलेंडर मिले।