मेडिकल पाठ्यक्रम में दोनों हाथ होने की अनिवार्यता को चुनौती दी गई : अदालत ने केन्द्र का रुख पूछा

By भाषा | Updated: December 17, 2020 16:21 IST2020-12-17T16:21:21+5:302020-12-17T16:21:21+5:30

Essentials of having both hands in medical curriculum challenged: court asks Center | मेडिकल पाठ्यक्रम में दोनों हाथ होने की अनिवार्यता को चुनौती दी गई : अदालत ने केन्द्र का रुख पूछा

मेडिकल पाठ्यक्रम में दोनों हाथ होने की अनिवार्यता को चुनौती दी गई : अदालत ने केन्द्र का रुख पूछा

नयी दिल्ली, 17 दिसंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने सामान्य मेडिकल दाखिला नियम के तहत मेडिकल पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए दोनों हाथों की अनिवार्यता को चुनौती देने वाली याचिका पर बृहस्पतिवार को केन्द्र से जवाब मांगा है।

मुख्य न्यायाधीश डी. एन. पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने एक महिला की याचिका पर स्वास्थ्य मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय, सामाजिक न्याय मंत्रालय, राष्ट्रीय मेडिकल आयोग, सफदरजंग अस्पताल और लेडी हार्डिंग अस्पताल को नोटिस भेजकर उनका रूख जानना चाहा है।

जन्म से ही सिर्फ एक हाथ वाली बैभवी शर्मा ने राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट-यूजी), 2020 पास की है और उन्हें दिव्यांग श्रेणी में नयी दिल्ली के लेडी हार्डिंग कॉलेज में एमबीबीएस के पाठ्यक्रम में सीट आवंटित की गई। शर्मा ने ही मेडिकल पाठ्यक्रम में दोनों हाथ होने की अनिवार्यता को चुनौती दी है।

अधिवक्ता मृणाल गोपाल एल्कर के माध्यम से दी गई अर्जी में कहा गया है, ‘‘दुर्भाग्यवश डॉक्टर बनने का उसका सपना चूर-चूर होने वाला है क्योंकि स्नातक मेडिकल दाखिला नियम, 1997 के तहत उसे अयोग्य घोषित कर दिया गया है। इस नियम के तहत अभ्यर्थी के दोनों हाथ सलामत होने चाहिए और दोनों हाथ संवेदना, ताकत और अन्य लिहाज से मेडिकल रूप से पूर्णतया स्वस्थ्य होने चाहिए।’’

सुनवाई के दौरान पीठ ने शर्मा के वकील से पूछा कि एक हाथ या बिना हाथ वाला व्यक्ति कैसे डॉक्टर बनेगा और कहा कि कुछ ऐसे पेशे भी हैं जहां विशेष दिव्यांगता वाले व्यक्ति को काम नहीं दिया जा सकता है।

शर्मा के वकील ने कहा कि प्रशासन को प्रत्येक मामले को उसके गुण-दोष के आधार पर देखना चाहिए और वह नियम में तय शर्तों के आधार पर सभी पर प्रतिबंध नहीं लगा सकते हैं।

अर्जी में दावा किया गया है कि विकलांगता के बावजूद, ‘‘उसका एकाडमिक रिकॉर्ड हमेशा अच्छा रहा है, वह तैर सकती है, साईकिल चला सकती है और स्केटिंग कर सकती है। वह बिना किसी सहायता के अपना पूरे दिन का रोजमर्रा का काम निपटा सकती है।’’

शर्मा ने अर्जी में अदालत से अनुरोध किया है कि वह केन्द्र को उक्त शर्त को वापस लेने/रद्द करने या स्थगित करने का निर्देश दे।

यहां तक कि वह अपना दिव्यांगता प्रमाणपत्र भी वापस लेने की मांग कर रही हैं जिसके कारण उन्हें दाखिले के लिए योग्य नहीं माना जा रहा है।

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