सेवा शर्तें वैधानिक जरूरतों के अनुरूप नहीं होने पर कर्मचारी दे सकते हैं चुनौती: न्यायालय

By भाषा | Updated: September 3, 2021 20:47 IST2021-09-03T20:47:23+5:302021-09-03T20:47:23+5:30

Employees can challenge if service conditions are not in line with statutory requirements: Court | सेवा शर्तें वैधानिक जरूरतों के अनुरूप नहीं होने पर कर्मचारी दे सकते हैं चुनौती: न्यायालय

सेवा शर्तें वैधानिक जरूरतों के अनुरूप नहीं होने पर कर्मचारी दे सकते हैं चुनौती: न्यायालय

उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि एक नियोक्ता हमेशा ‘हावी’ होता है लेकिन यदि कर्मचारी को लगता है कि सेवा शर्तें और नियम कानून के तहत वैधानिक आवश्यकता के अनुरूप नहीं हैं तो वह उन्हें चुनौती देने के लिए स्वतंत्र है। शीर्ष अदालत ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय के अगस्त 2013 के एक फैसले को रद्द करते हुए अपने फैसले में यह टिप्पणी की। उच्च न्यायालय ने एक विश्वविद्यालय के फार्मास्युटिकल विज्ञान विभाग के शिक्षकों की याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें अगस्त 2011 के एक विज्ञापन के अनुरूप खुले चयन की प्रक्रिया पर तथा नियुक्ति के आदेश में कथित मनमानीपूर्ण शर्तें रखने पर प्रश्न उठाया गया था। न्यायमूर्ति यू यू ललित और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की पीठ ने कहा कि कर्मचारी रोजगार की सेवा शर्तों में मनमानेपन की शिकायत बमुश्किल ही करता है। उसने कहा कि अदालत इस तथ्य का न्यायिक संज्ञान ले सकती है कि यदि कोई कर्मचारी रोजगार की सेवा शर्तों पर प्रश्न उठाता है तो उसकी नौकरी जा सकती है। पीठ ने कहा कि मोलभाव की शक्ति नियोक्ता के पास होती है और कर्मचारी के पास उसकी शर्तों को स्वीकार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता। अगर यही कारण है तो कर्मचारी उन शर्तों को चुनौती देने के लिए स्वतंत्र हैं जो कानून के तहत वैधानिक आवश्यकता के अनुरूप नहीं हैं। पीठ ने कहा कि कर्मचारी को उस स्तर पर पूछताछ से रोक नहीं है जहां वह खुद को पीड़ित पाता है। उन शिक्षकों ने शीर्ष अदालत में याचिकाएं दाखिल कीं जिन्हें 2004 से 2007 के बीच उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम, 1973 के तहत प्रदत्त चयन प्रक्रिया का पालन करते हुए नियुक्त किया गया था। पीठ ने कहा कि जनवरी 2009 में विश्वविद्यालय को केंद्रीय संस्थान का दर्जा मिल गया और उसने अगस्त 2011 में फार्मास्युटिकल विज्ञान विभाग समेत विभिन्न विभागों में शिक्षकों के पदों पर नियुक्ति के लिए आवेदन आमंत्रित करते हुए विज्ञापन निकाला। याचिकाकर्ताओं ने खुले चयन की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया था।

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Web Title: Employees can challenge if service conditions are not in line with statutory requirements: Court

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