प्रख्यात लेखिका मन्नू भंडारी का निधन
By भाषा | Updated: November 15, 2021 20:44 IST2021-11-15T20:44:58+5:302021-11-15T20:44:58+5:30

प्रख्यात लेखिका मन्नू भंडारी का निधन
नयी दिल्ली, 15 नवंबर हिंदी की प्रख्यात लेखिका मन्नू भंडारी का सोमवार को हरियाणा में, गुड़गांव के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। वह 91 वर्ष की थीं।
‘महाभोज’, ‘आपका बंटी’ और ‘यही सच है’ जैसे प्रसिद्ध उपन्यासों की रचनाकार मन्नू भंडारी पिछले कुछ दिनों से बीमार थीं। उनकी बेटी रचना यादव ने पीटीआई-भाषा को फोन पर बताया, “ वह करीब 10 दिन से बीमार थीं। उनका हरियाणा के एक अस्पताल में इलाज चल रहा था, जहां आज दोपहर उन्होंने अंतिम सांस ली। ”
रचना ने बताया कि मन्नू भंडारी का अंतिम संस्कार मंगलवार को दिल्ली के लोधी रोड स्थित विद्युत श्मशान घाट में दोपहर साढ़े 12 बजे किया जाएगा।
तीन अप्रैल 1931 को मध्य प्रदेश के भानपुरा में जन्मीं भंडारी के दिवंगत पति राजेंद्र यादव भी प्रसिद्ध साहित्यकार थे। भंडारी ने अपनी शुरुआती शिक्षा अजमेर में ली। उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से स्नातक किया था और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से हिंदी में एमए किया। उन्होंने दिल्ली के प्रतिष्ठित मिरांडा हाउस कॉलेज में अध्यापिका के पद पर भी अपनी सेवाएं दीं। राजेंद्र यादव को भंडारी के साथ मिलकर ‘नयी कहानी’ के नाम से हिन्दी साहित्य में एक नयी विधा का सूत्रपात करने का श्रेय दिया जाता है।
‘रॉली बुक्स’ की प्रिया कपूर ने पीटीआई-भाषा से कहा, “मन्नु भंडारी भारतीय साहित्य का एक बड़ा नाम थीं। वह बदलते शहरी भारत को सजग और संवेदनशील दृष्टि से समझने का प्रयास करती थीं। साथ ही उनकी दृष्टि पितृवादी परंपराओं से लोहा लेने वाली महिलाओं और उस पारिवारिक जीवन पर थी जो एक युवा देश के नये मूल्यों से प्रभावित हो रहे हैं। उनकी रचनाएं आज भी प्रासंगिक हैं।”
कपूर के प्रकाशन ने इस साल शुरू में ‘वाइज़ विमन एंड अंदर स्टोरिज़: द बेस्ट ऑफ मन्नू भंडारी’ प्रकाशित की थी, जिसका अनुवाद विद्या प्रधान ने किया था।
भंडारी महिलाओं को एक नई रोशनी में चित्रित करने के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने लघु कथाएं, उपन्यास और नाटकों को कलमबद्ध किया। उनके आख्यानों ने उन संघर्षों और कठिनाइयों को उजागर किया है जिनका महिलाओं ने अतीत में लगातार सामना किया है।
हिंदी में उनकी उत्कृष्ट साहित्यिक उपलब्धियों के लिए उन्हें ‘दिल्ली शिखर सम्मान’ और केके बिड़ला फाउंडेशन के ‘व्यास सम्मान’ सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
उनके प्रसिद्ध उपन्यास 'यही सच है' पर 1974 में 'रजनीगंधा' नाम से फिल्म बनाई गई थी। इसने 1975 में कई फिल्मफेयर पुरस्कार जीते थे।
कई लोगों ने ट्विटर पर अपनी प्रिय लेखिका के निधन पर दुख व्यक्त किया।
विवेक टूटेजा ने ट्वीट किया, “ साहित्य जगत के लिए बड़ी क्षति है। मुझे याद है कि मैंने ‘रजनीगंधा’ देखी थी और सोच रहा था कि यह कितनी प्रगतिशील थी। तभी मुझे पता चला कि यह मन्नू भंडारी की एक कहानी पर आधारित है। मन्नू जी की आत्मा को शांति मिले।”
पवन झा ने लिखा, “ मन्नू भंडारी को उनकी रचनाओं पर बनाई गई फिल्मों के लिए याद किया जाएगा।”
भंडारी के परिवार में उनकी बेटी रचना यादव हैं।
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