कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा, "चुनाव अधिकारी आचार संहिता लागू होने के बाद ही जब्ती या तलाशी का अधिकार रखते हैं"

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: April 11, 2023 02:54 PM2023-04-11T14:54:50+5:302023-04-11T14:58:45+5:30

कर्नाटक हाईकोर्ट के जस्टिस नागप्रसन्ना ने एक मामले की सुनवाई करते हुए अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि चुनाव अधिकारियों के पास चुनाव की घोषणा के बाद ही किसी सामग्री की तलाशी लेने और उसे जब्त करने का अधिकार है लेकिन उससे पहले उन्हें इस तरह का कोई भी अधिकार नहीं प्राप्त है।

"Election Officers Have Power To Seizure Or Search After The Model Code Of Conduct Is In Force", Karnataka High Court Says | कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा, "चुनाव अधिकारी आचार संहिता लागू होने के बाद ही जब्ती या तलाशी का अधिकार रखते हैं"

फाइल फोटो

Highlightsकर्नाटक हाईकोर्ट ने चुनाव अधिकारियों की कार्यशैली के संबंध में दिया महत्वपूर्ण आदेश कोर्ट ने कहा आचार संहिता लागू होने से पूर्व चुनाव अधिकारियों द्वारा की गई तलाशी या जब्ती अवैध हैचुनाव अधिकारियों के पास चुनाव की घोषणा के बाद ही तलाशी या जब्ती का अधिकार है

बेंगलुरु: कर्नाटक हाईकोर्ट ने राजधानी बेंगलुरु में चुनाव अधिकारियों द्वारा आचार संहिता लागू होने से पूर्व किये गये जब्ती की कार्रवाई को गलत बताते हुए आदेश दिया कि चुनाव अधिकारी तभी जब्ती या तलाशी लेने का अधिकार रखते हैं, जब चुनावी आचार संहिता लागू हो गई हो।

हाईकोर्ट में सामाजिक कार्यकर्ता इस्तियाक अहमद द्वारा दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एम नागप्रसन्ना ने बेंगलुरु पुलिस को आदेश दिया कि वो अहमद के पास से जब्त की गई चावल की बोरियों को वापस करें। इसके साथ ही जस्टिस नागप्रसन्ना ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि चुनाव अधिकारियों के पास चुनाव की घोषणा के बाद ही किसी सामग्री की तलाशी लेने और उसे जब्त करने का अधिकार है।

जस्टिस एम नागप्रसन्ना ने कहा कि रिटर्निंग ऑफिसर या चुनाव अधिकारियों के पास चुनाव की घोषणा से पहले तलाशी या जब्ती का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि केवल इसलिए कि संबंधित अधिकारी को चुनाव कराने के लिए नियुक्त किया गया है, वे चुनावों की घोषणा से पहले संविधान से प्रदत्त शक्तियों का उपयोग नहीं कर सकते हैं।

जस्टिस नागप्रसन्ना ने कहा, "चुनावों की घोषणा के बाद उनके लिए पूरा डोमेन खुला है, लेकिन उसके पहले नहीं। रिटर्निंग ऑफिसर और पुलिस निरीक्षक ने आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत सामान्य परिस्थितियों में सामान की जब्ती का एक्शन लिया है, लेकिन वे इस तरह के अधिकार उन्हें नहीं हैं। इसलिए उनकी ओर से की गई तलाशी और जब्ती की कार्रवाई अवैध है।"

दरअसल शिवाजीनगर के रिटर्निंग ऑफिसर ने 19 मार्च 2023 को सामाजिक कार्यकर्ता इस्तियाक अहमद के आवास से 25 किलोग्राम चावल के 530 बैग को जब्त किया था। जिसके खिलाफ अहमद ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और रिटर्निंग अफसर द्वारा की गई कार्रवाई को चुनौती दी थी।

अहमद ने बताया कि रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा नोटिस का जवाब देने के बावजूद चावल की बोरियां वापस नहीं की गईं। सामाजिक कार्यकर्ता इस्तियाक अहमद का दावा है कि जब्त की गई चावल की बोरियां त्योहारों के दौरान जरूरतमंदों के बीच वितरण के लिए लाई गई थीं।

हाईकोर्ट ने अहमद को क्षतिपूर्ति बांड दाखिल करने का निर्देश दिया गया कि वह इस बात का भरोसा दिलाएं कि चुनाव के दौरान वो आदर्श आचार संहिता नहीं तोड़ेंगे। अहमद ने कहा, "जैसा कि हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि जब्ती का अधिकार रिटर्निंग ऑफिसर के क्षेत्र से बाहर है। लेकिन चूंकि अब चुनाव घोषित हो गए हैं और आचार संहिता लागू है। इसलिए कोर्ट ने कहा है कि चावल की बोरियां मिलने के बाद चुनाव तक उसका वितरण प्रतिबंधित रहेगा। इस कारण से कोर्ट ने हलफनामा पेश करने के लिए कहा है।

अदालत ने बेंगलुरु पुलिस को आदेश दिया है कि जब्त किए गए चावल के बोरों को फौरन याचिकाकर्ता इस्तियाक अहमद को वापस की जाएं लेकिन साथ में याचिकाकर्ता को चुनाव तक उन चावल के बोरों के वितरण पर रोक रहेगी और इस आदेश का याचिकाकर्ता को पालन करना होगा।

Web Title: "Election Officers Have Power To Seizure Or Search After The Model Code Of Conduct Is In Force", Karnataka High Court Says

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे