लोकसभा चुनाव 2019 अब तक का सबसे महंगा चुनाव, 60 हजार करोड़ रुपये हुये खर्च: रिपोर्ट
By पल्लवी कुमारी | Published: June 4, 2019 01:45 PM2019-06-04T13:45:13+5:302019-06-04T13:45:13+5:30
542 लोकसभा सीटों के लिए सात चरणों में चुनाव हुए थे। जो 11 अप्रैल से 19 मई तक चले थे और नतीजे 23 को आए थे। बीजेपी को लोकसभा चुनाव 2019 में 303 सीटें मिली हैं, वहीं कांग्रेस को सिर्फ 52 सीटें मिली हैं।
लोकसभा चुनाव 2019 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने प्रचंड बहुमत जीत कर सरकार बना लिया है। नरेन्द्र मोदी दोबारा प्रधानमंत्री बने हैं, उसके साथ ही कैबिनेट मंत्रियों के विभागों का भी बंटवारा हो चुका है। इसी बीच सेंटर फॉर मीडिया स्टटडी (सीएमएस) ने अपने रिपोर्ट में दावा किया है कि लोकसभा चुनाव-2019 सबसे महंगा चुनाव था। 2019 के चुनाव में 60 हजार करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। सीएमस ने रिपोर्ट में यह भी दावा है कि यह अब तक दुनिया का सबसे महंगा चुनाव है। 542 लोकसभा सीटों के लिए सात चरणों में चुनाव हुए थे। जो 11 अप्रैल से 19 मई तक चले थे और नतीजे 23 को आए थे।
सेंटर फॉर मीडिया स्टटडी ने अपने रिपोर्ट में यह भी दावा किया है कि इस चुनाव में कई तरीक से चुनाव प्रचार किए गए...जिसका स्तर भी काफी निम्म था। इस रिपोर्ट के बारे में जानकारी नई दिल्ली में IIC में आयोजित एक समारोह में दी गई। जिसमें पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी ने भी थे।
सीएमएस के अध्यक्ष एन भास्कर राव ने कहा, " चुनाव में जिस तरह से पैसे खर्च किए गए उससे हमें सीख लेना चाहिए। खर्च का पैमाना काफी डराने वाला है। हमें मजबूत लोकतंत्र बनाने के लिए सुधारात्मक कदम उठाने के बारे में सोचना चाहिए।
रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि 60 हजार करोड़ जो चुनाव में खर्च में हुए हैं, उसमें से सिर्फ 15 से 20 प्रतिशत ही चुनाव आयोग ने खर्च किया है। रिसर्च में यह भी पता चला है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में 30 हजार करोड़ रुपये खर्च हुए थे जो इस बार बढ़कर दोगुना हो गया है।
रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि 100 करोड़ रुपये हर लोकसभा क्षेत्र पर खर्च किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक 12 से 15 हजार करोड़ रुपये मतदाताओं पर खर्च किए गए है। विज्ञापन 20 से 25 हजार करोड़ रुपये लगाए गए हैं। इसके अलावा 5 हजार से 6 हजार करोड़ रुपये लॉजिस्टिक पर खर्च हुए है।
रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि 10 से 12 हजार करोड़ रुपये औपचारिक खर्च था। वहीं, 3 से 6 हजार करोड़ रुपये अन्य मुद्दों पर खर्च किए गए हैं।