संपादकीय: सिंचाई घोटाले की फाइल बंद होने का क्या है औचित्य

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: November 27, 2019 11:44 IST2019-11-27T11:44:47+5:302019-11-27T11:44:47+5:30

आजादी के इतने सालों बाद भी सरकारी योजनाओं का लाभ गरीब को नहीं मिल रहा है. महंगाई, गरीबी, भूख और बेरोजगारी जैसे मसले वर्षो से जस के तस हैं

Editorial: Why Maharashtra Irrigation scam files were closed | संपादकीय: सिंचाई घोटाले की फाइल बंद होने का क्या है औचित्य

संपादकीय: सिंचाई घोटाले की फाइल बंद होने का क्या है औचित्य

राज्य में राजनीतिक घमासान अभी थमा नहीं है, लेकिन देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार में उपमुख्यमंत्री बनने के 48 घंटे के अंदर एनसीपी नेता अजित पवार के खिलाफ सिंचाई घोटाला मामले में चल रही जांच को महाराष्ट्र भ्रष्टाचार रोधी शाखा (एसीबी) ने बंद कर दिया.

हालांकि, एसीबी ने सफाई देते हुए कहा कि ये मामले टेंडरों की रूटीन जांच से जुड़े थे जिनमें पूरी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था. इन मामलों में किसी राजनेता के खिलाफ जांच नहीं हो रही थी. 

जिन नौ मामलों को बंद किया गया, वे कथित तौर पर हजारों करोड़ रुपए के घोटाले से जुड़े दो दर्जन एफआईआर को प्रभावित नहीं करेंगे. यह सफाई आम आदमी के गले उतरने वाली नहीं है. राज्य की जनता को याद होगा कि साल 1999 से 2009 तक अजित पवार के पास सिंचाई मंत्रलय था. इस दौरान मंत्रलय ने करीब 70 हजार करोड़ का खर्च किया था. आरोप लगे थे कि खर्च के अनुपात में काम नहीं हुए. 

आरोप ये भी लगे थे विदर्भ और रायगढ़ जिले में जो डैम बने हैं उनकी कीमत बढ़ा कर प्रस्ताव पास किए गए थे. कई ऐसे डैम बनाए गए जिनकी जरूरत नहीं थी और वे नेताओं के दबाव में बनाए गए थे. महाराष्ट्र के इस सिंचाई घोटाले की देश-भर में गूंज हुई थी. खेद का विषय है कि देश में आए दिन किसी न किसी घोटाले का पर्दाफाश होता है. अधिकतर घोटालों के आरोपी कानून की पकड़ से बाहर रह जाते हैं. 

इसका मुख्य कारण है कि मामलों की सुनवाई अदालतों में लंबित पड़ी रह जाती है. देश में भ्रष्टाचार के मामलों की लंबी फेहरिस्त है, लेकिन इन मामलों में सजा पाने वालों के नाम गिने-चुने ही हैं. ऐसा लगता है कि जनता से मिली ताकतों को निजी स्वार्थ के लिए इस्तेमाल करने के लिए ये एक हो जाते हैं. 

घोटालों, भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों में तथाकथित कमीशन, जांच समिति बैठाने का नाटक कर जनता को बरगलाया जाता है. जनता ने जिन नेताओं को देश के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक विकास के लिए चुना है वे अपने सरकारी बंगला-गाड़ी और घोटालेबाजी में मसरूफ हैं. 

आजादी के इतने सालों बाद भी सरकारी योजनाओं का लाभ गरीब को नहीं मिल रहा है. महंगाई, गरीबी, भूख और बेरोजगारी जैसे मसले वर्षो से जस के तस हैं. इस देश में जितना धन भ्रष्टाचार-घोटालों में बर्बाद हो रहा है, उस रकम से लाखों अस्पताल, शिक्षण संस्थान, गरीबों के लिए आवास और अन्य कई योजनाएं, तकनीकी संस्थाएं, कृषि योजनाएं और देश के विकास के लिए तमाम संयंत्र स्थापित किए जा सकते हैं. 

विचार करना होगा कि क्या वजह है कि हमारी व्यवस्था घोटालों का कारण बनती है? घोटालों के आरोपी आखिर बच कैसे जाते हैं? साथ ही, घोटालों की जांच की रफ्तार भी तेज होनी चाहिए ताकि आरोपियों को शीघ्र सजा मिल सके.

Web Title: Editorial: Why Maharashtra Irrigation scam files were closed

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