SBI के अर्थशास्त्रियों ने कहा: देश के 10 राज्यों में रह रहे 35 से 50 लाख रेहड़ी पटरी वाले, इन दो राज्यों में है सर्वाधिक संख्या
By भाषा | Published: May 15, 2020 01:56 PM2020-05-15T13:56:54+5:302020-05-15T13:56:54+5:30
भारतीय स्टेट बैंक के अर्थशास्त्रियों की मानें तो बिहार में 5.3 लाख रेहड़ी पटरी वाले, राजस्थान में 3.1 लाख व महाराष्ट्र में 2.9 लाख की संख्या है।
मुंबई: भारतीय स्टेट बैंक के अर्थशास्त्रियों शुक्रवार को कहा कि उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा रेहड़ी पटरी वाले हैं, जो देश की कुल संख्या के मुकाबले एक चौथाई हैं। सरकार ने कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन से प्रभावित रेहड़ी पटरी वालों के लिए 5,000 करोड़ रुपये की विशेष ऋण सुविधा का ऐलान किया है।
इसके एक दिन बाद जारी टिप्पणी के मुताबिक दस राज्यों में 35 लाख से 50 लाख रेहड़ी पटरी वालों को इस योजना से फायदा होगा। उन्हें अपना व्यापार फिर शुरू करने के लिए 10,000 रुपये का कर्ज दिया जाएगा। एसबीआई की टिप्पणी के मुताबिक उत्तर प्रदेश में 7.8 लाख रेहड़ी पटरी वाले हैं, जबकि पश्चिम बंगाल में इनकी संख्या 5.5 लाख है। देश के कुल रेहड़ी पटरी वालों में दोनों राज्यों की सामूहिक हिस्सेदारी 27 प्रतिशत है।
इसके मुताबिक बिहार में 5.3 लाख रेहड़ी पटरी वाले, राजस्थान में 3.1 लाख, महाराष्ट्र में 2.9 लाख, तमिलनाडु में 2.8 लाख, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में 2.1 लाख, गुजरात में दो लाख, केरल और असम में 1.9 लाख, ओडिशा में 1.7 लाख, हरियाणा में 1.5 लाख और मध्य प्रदेश तथा पंजाब में 1.4 लाख रेहड़ी पटरी वाले हैं।
अर्थशास्त्रियों ने कहा कि उनके अनुमान आवधिक श्रम बल सर्वेक्षणों से गैर-कृषि क्षेत्र में स्व-रोजगार के आंकड़ों पर आधारित हैं।
बता दें कि कोरोना वायरस की महामारी के चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को दूसरी बार मीडिया से मुखातिब हुईं। उन्होंने गुरुवार को आर्थिक पैकेज के अंतर्गत किसानों, प्रवासी मजदूरों और महिलाओं को दी जाने वाली राहत के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि खोमचे, रेहड़ी-पटरी वालों के लिए एक माह के भीतर विशेष ऋण योजना लॉन्च होगी, 50 लाख खोमचे वालों के लिए 5,000 करोड़ का प्रावधान किया गया है।
इससे पहले, वित्त मंत्री सीतारमण ने बताया कि 23 राज्यों के 67 करोड़ लाभार्थियों के लिए एक देश, एक राशन कार्ड सिस्टम की व्यवस्था लागू की जाएगी। यह योजना सार्वजनिक वितरण से जुड़ी 83 फीसदी आबादी को कवर करेगी। उन्होंने बताया कि 23 राज्यों में मौजूद 67 करोड़ राशनकार्ड धारक (जो कुल PDS आबादी का 83 फीसदी है) अगस्त, 2020 तक नेशनल पोर्टेबिलिटी के तहत आ जाएंगे और मार्च, 2021 से पहले 100 फीसदी नेशनल पोर्टेबिलिटी हासिल कर ली जाएगी।