डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन पर भी सुस्त अर्थव्यवस्था की मार, लक्ष्य पूरा करना होगा मुश्किल, जीएसटी रेट में भी कटौती की संभावना कम
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 19, 2019 08:32 IST2019-09-19T08:32:28+5:302019-09-19T08:32:28+5:30
मंदी का असर:अर्थव्यवस्था में सुस्ती का आलम ये भी है कि 15 सितंबर तक एडवांस टैक्स कलेक्शन में केवल 6 प्रतिशत का इजाफा हुआ जबकि इस दौरान पिछले साल यह 18 प्रतिशत था।

डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन पर सुस्त अर्थव्यवस्था की मार (फाइल फोटो)
इकॉनमी में आई सुस्ती का असर सरकार के राजस्व पर भी पड़ा है। एक आंकड़े के अनुसार सरकार की पहले पांच महीने में प्रत्यक्ष कर (Direct Tax) से होनी वाली आय में केवल 5 प्रतिशत (4.4 लाख करोड़) की बढ़ोत्तरी हुई है। यह पूरे साल के लक्ष्य का केवल एक तिहाई हिस्सा है। यह आंकड़े 1 अप्रैल से 1 सितंबर के बीच के हैं। इस लिहाज से देखा जाए तो अगले करीब 6 महीने में सरकार को 13.35 लाख करोड़ के बजट अनुमान को पूरा करने के लिए हासिल किये गये आय से दोगुने से भी अधिक राशि जुटानी होगी। पूरे साल में बजट के अनुसार नेट डायरेक्ट टैक्स में 17.3 प्रतिशत इजाफे का लक्ष्य है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन के लिहाज से 15 सितंबर अहम निर्धारित तारीख होती है क्योंकि इसके साथ ही एडवांस टैक्स के लिए चार किस्तों में से दो की समयसीमा खत्म हो जाती है। यही वह समय भी होता है जब कंपनियों को अपने कर देनदारी की 45 फीसदी राशि जमा करा देनी होती है। कंपनिया अपने देनदारी की 30 प्रतिशत और 25 प्रतिशत राशि क्रमश: अगले दो किस्तों में 15 दिसंबर और 15 मार्च तक जमा कराती हैं।
अर्थव्यवस्था में सुस्ती का आलम ये है कि 15 सितंबर तक एडवांस टैक्स कलेक्शन में केवल 6 प्रतिशत का इजाफा हुआ जबकि इस दौरान पिछले साल यह 18 प्रतिशत था। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, 'निश्चित रूप से अर्थव्यवस्था में सुस्ती का असर टैक्स कलेक्शन पर दिखने लगा है।'
जीएसटी रेट की संभावना कम
माना जा रहा है कि बेहद कम डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन से सरकार के राजस्व का गणित भी गड़बड़ा सकता है। जाहिर है इससे जीडीपी के 3.3 प्रतिशत तक राजकोषीय घाटा के लक्ष्य को हासिल करने में भी सरकार को परेशानी होगी। इस बीच शुक्रवार को जीएसटी काउंसिल की बैठक भी है। डायरेक्ट टैक्स की स्थिति को देखकर सरकार के लिए इंडस्ट्री की ओर की जा रही लगातार मांग के बावजूद जीएसटी रेट में कुछ खास कटौती करने का फैसला लेना भी लगभग असंभव लगता है।
बताते चले कि सरकार पिछले वित्तीय वर्ष में सरकार डायरेक्ट टैक्स को लेकर अपने लक्ष्य में 63,000 करोड़ रुपये से चूक गई थी। डायरेक्ट टैक्स आय में 2018-19 में आई कमी को देखते हुए सरकार ने टैक्स लक्ष्य को मौजूदा वित्तीय वर्ष के लिए घटा दिया है। डायरेक्ट टैक्स से आय के लक्ष्य को अब मौजूद वित्तीय वर्ष के लिए 13.35 लाख करोड़ कर दिया गया है। यह इसी साल फरवरी में पेश अंतरिम बजट में रखे गये शुरुआती अनुमान 13.8 लाख करोड़ से करीब 45,000 करोड़ रुपये कम है।