आर्थिक हित मानव जीवन से अधिक महत्वपूर्ण नहीं, ऑक्सीजन के औद्योगिक उपयोग में तुरंत कटौती हो : अदालत

By भाषा | Updated: April 20, 2021 19:06 IST2021-04-20T19:06:13+5:302021-04-20T19:06:13+5:30

Economic interest no more important than human life, industrial use of oxygen should be cut immediately: court | आर्थिक हित मानव जीवन से अधिक महत्वपूर्ण नहीं, ऑक्सीजन के औद्योगिक उपयोग में तुरंत कटौती हो : अदालत

आर्थिक हित मानव जीवन से अधिक महत्वपूर्ण नहीं, ऑक्सीजन के औद्योगिक उपयोग में तुरंत कटौती हो : अदालत

नयी दिल्ली, 20 अप्रैल दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि आर्थिक हित मानव जीवन से ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं हैं। इसके साथ ही अदालत ने कोरोना मरीजों को ऑक्सीजन मुहैया कराने के लिए इस्पात व पेट्रोलियम उत्पादन में कुछ कमी करने का सुझाव दिया है।

न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने कहा कि अगर लॉकडाउन जारी रहा तो सब कुछ ठप हो जाएगा और ऐसी स्थिति में इस्पात, पेट्रोल और डीजल की क्या जरूरत होगी।

पीठ ने कहा "लॉकडाउन के दौरान क्या विकास होगा।" इसके साथ ही अदालत ने केन्द्र से सवाल किया कि ऑक्सीजन के औद्योगिक उपयोग पर रोक लगाने के लिए 22 अप्रैल तक का इंतजार क्यों किया जा रहा है।

अदालत ने कहा, ‘‘कमी अभी है। आपको अभी ऐसा करना होगा। इस्पात और पेट्रोलियम उद्योगों से कुछ ऑक्सीजन लेने की ओर देखिए। उनके पास बड़े ‘पॉकेट’ और बड़ी ‘लॉबी’ हैं, लेकिन उन्हें बताएं कि अगर उन्हें उत्पादन में कटौती करनी है, तो वे उत्पादन में कटौती कर सकते हैं। जीवन को बचाना होगा।’’

पीठ ने केन्द्र सरकार के एक वकील के उदाहरण का हवाला दिया, जिनके पिता अस्पताल में ऑक्सीजन पर थे, लेकिन इसकी कमी के मद्देनजर इसे बचाने के लिए कम दबाव में ऑक्सीजन दिया जा रहा था।

अदालत ने सवाल किया, "क्या आप उन्हें 22 अप्रैल तक रुकने को कह सकते हैं?"

पीठ ने कहा कि अगर कुछ नहीं किया गया, तो "हम एक बड़े संकट की ओर बढ़ रहे हैं... लगभग एक करोड़ लोगों की मौत हो सकती है। क्या हम इसे स्वीकार करने को तैयार हैं।"

पीठ ने उन अस्पतालों में कोविड बेड बढ़ाने का भी सुझाव दिया, जिनके पास अपनी ऑक्सीजन उत्पादन क्षमता है।

अदालत ने यह टिप्पणी उस समय की जब केन्द्र ने एक हलफनामे में कहा कि फिलहाल दिल्ली में ऑक्सीजन की आपूर्ति में कोई कमी नहीं है और ऑक्सीजन के औद्योगिक इस्तेमाल पर 22 अप्रैल से रोक लगा दी गई है।

स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से अदालत को बताया गया कि 20 अप्रैल तक की स्थिति के अनुसार मेडिकल ऑक्सीजन की आवश्यकता में 133 प्रतिशत की असामान्य बढ़ोतरी का अनुमान है। दिल्ली द्वारा बतायी गयी मांग का प्रारंभिक अनुमान 300 मीट्रिक टन का था जिसका संशोधित अनुमान बढ़कर 700 मीट्रिक टन हो गया।

केन्द्र ने उच्च न्यायालय को यह जानकारी भी दी कि उसने दिल्ली सरकार के अस्पतालों को करीब 1,390 वेंटिलेटर मुहैया करवाए हैं।

इससे पहले, दिल्ली उच्च न्यायालय ने केन्द्र सरकार से सवाल किया था कि क्या उद्योगों की ऑक्सीजन आपूर्ति कम करके उसे वह मरीजों को मुहैया करायी जा सकती है।

पीठ ने केन्द्र सरकार से कहा, ‘‘उद्योग इंतजार कर सकते हैं। मरीज नहीं। मानव जीवन खतरे में है।’’

पीठ ने कहा कि उसने सुना है कि गंगा राम अस्पताल के डॉक्टरों को कोविड-19 के मरीजों को दी जाने वाली ऑक्सीजन मजबूरी में कम करनी पड़ रही है क्योंकि वहां जीवन रक्षक गैस की कमी है।

मंत्रालय ने अदालत में दायर अपने हलफनामे में कहा है कि दिल्ली में मेडिकल ऑक्सीजन की क्षमता को बढ़ाने की खातिर पीएम केयर्स फंड की मदद से आठ प्रेशर स्विंग अड्सॉर्पशन (पीएसए) ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र लगाए जा रहे हैं।

उसने कहा, ‘‘इन संयंत्रों की मदद से मेडिकल ऑक्सीजन की क्षमता 14.4 मीट्रिक टन बढ़ जाएगी।

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Web Title: Economic interest no more important than human life, industrial use of oxygen should be cut immediately: court

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