कोविड के चलते बंगाल में दो बड़ी रथयात्रा समितियों ने सादे ढंग से आयोजन मनाने का निर्णय किया

By भाषा | Published: June 15, 2021 07:34 PM2021-06-15T19:34:47+5:302021-06-15T19:34:47+5:30

Due to Kovid, two big Rath Yatra committees in Bengal decided to celebrate the event in a simple way. | कोविड के चलते बंगाल में दो बड़ी रथयात्रा समितियों ने सादे ढंग से आयोजन मनाने का निर्णय किया

कोविड के चलते बंगाल में दो बड़ी रथयात्रा समितियों ने सादे ढंग से आयोजन मनाने का निर्णय किया

कोलकाता, 15 जून पश्चिम बंगाल की दो प्रमुख रथयात्राओं की आयोजन समितियों ने कोरोना वायरस महामारी के चलते इस उत्सव को बड़े स्तर पर नहीं मनाने का निर्णय किया है। इसका आयोजन मंदिर परिसर में ही सादे ढंग से किया जाएगा।

यह दूसरा वर्ष होगा जब जब रथयात्रा को बड़े और भव्य स्तर पर आयोजित नहीं किया जाएगा। आगामी 12 जुलाई को इसे सामान्य ढंग से आयोजित किया जाएगा। हुगली जिले की 625 साल पुरानी महेश रथयात्रा के आयोजकों ने भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और देवी सुभद्रा के रथों को बाहर नहीं निकालने का फैसला किया । इन रथों को वार्षिक रथ उत्सव के दौरान श्रद्धालु ग्रांड ट्रंक रोड पर खींचकर आगे ले जाते थे। इस बार उसके बजाय भगवान जगन्नाथ मंदिर के परिसरों और उससे सटे एक अस्थायी शिविर में पारंपरिक अनुष्ठान किये जायेंगे

जगन्नाथ मंदिर समिति महेश के कार्यकारी सचिव एवं सेवायत पियल अधिकारी ने मंगलवार को पीटीआई-भाषा से कहा कि इन देव प्रतिमाओं को रथयात्रा के दिन गर्भगृह से अस्थायी ‘मासेर बाड़ी’ (मौसी के घर) तक लाया जाएगा। वहां एक सप्ताह रूकने के बाद 19 जुलाई को रथों की वापसी होगी।

रथयात्रा के दिन ये तीनों देव प्रतिमाएं ‘मासेर बाड़ी’ (मौसी के घर) तक जाती हैं और वहां एक सप्ताह तक ठहरने के बाद उल्टोरथ पर लौट आती हैं।

अधिकारी ने बताया कि रथयात्राा में ‘शालिग्राम शिला (भगवान विष्णु के स्वरूप वाली पवित्र शिला)’ को रथयात्रा मार्ग एक किलोमीटर तक ले जाया जाएगा और उसे मासेर बाड़ी में रखा जाएगा। उल्टोरथ के दिन उसे मंदिर प्रांगण में वापस लाया जाएगा।

उन्होंने कहा, ‘‘ महेश में रथयात्रा के दौरान पांच-छह लाख लोग जुटते हैं। हम निराश हैं कि इस महामारी के चलते उसे बड़े भव्य तक तरीके से नहीं मना सकते। लेकिन , हम इस वायरस के फैलने का जोखिम नहीं ले सकते हालांकि इसे काफी हद तक नियंत्रण में ले आया गया है। ’’

उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं को मंदिर के बगल वाले ढांचे में निश्चित दूरी बनाते हुए और कोविड-19 नियमों के पालन के साथ देव प्रतिमाओं का दर्शन करने का अवसर दिया जाएगा।

अंतरराष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ (इस्कॉन) कोलकाता ने अपने स्वर्ण जयंती वर्ष में रथयात्रा पर विशेष योजना रद्द करने का फैसला किया है। इस्कॉन की ओर से राधारमण ने कहा, ‘‘ ...2015 से हम रेड रोड पर ऐसी रथयात्रा निकालने की तैयारी कर रहे थे जिसमें रथों के पीछे उड़ते हुए हनुमान का मॉडल हो। इसमें विदेश के श्रद्धालुओं और गणमान्य लोगों को बुलाने की योजना थी। किंतु यह सब थम गयी। ’’

दास ने कहा, ‘‘ प्रतीकात्मक यात्रा के तौर पर देव प्रतिमाओं को मंदिर परिसर के आसपास घूमाया जाएगा और सारे अनुष्ठान किये जाएंगे। हमारी योजना है कि देव प्रतिमाओं को रथों के स्थान पर कार में समीप के गुरूसाडे रोड पर ले जाया जाए। वहां एक छोटा पंडाल बनाया जाएगा और उसमें देव प्रतिमाओं को श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए रखा जाएगा।।

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