डीयू ने राज्य बोर्ड के विषयों को ‘कट-ऑफ’ गणना में शामिल करने के संबंध में दिशानिर्देश जारी किए

By भाषा | Updated: October 6, 2021 19:58 IST2021-10-06T19:58:47+5:302021-10-06T19:58:47+5:30

DU issues guidelines regarding inclusion of state board subjects in 'cut-off' calculation | डीयू ने राज्य बोर्ड के विषयों को ‘कट-ऑफ’ गणना में शामिल करने के संबंध में दिशानिर्देश जारी किए

डीयू ने राज्य बोर्ड के विषयों को ‘कट-ऑफ’ गणना में शामिल करने के संबंध में दिशानिर्देश जारी किए

नयी दिल्ली, छह अक्टूबर दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के कॉलेजों में केरल राज्य बोर्ड के छात्रों के बड़ी संख्या में दाखिले के साथ, विश्वविद्यालय ने ‘कट-ऑफ’ अंकों की गणना में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के तहत पढ़ाए जाने वाले विषयों के समकक्ष अन्य राज्य बोर्डों के विषयों को शामिल करने पर दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

एक समिति है, जो यह तय करती है कि राज्य बोर्डों के कौन से विषय सीबीएसई विषयों के समान होंगे और ‘कट-ऑफ’ अंकों की गणना करते समय उनका समावेश- सर्वश्रेष्ठ-चार अंकों के औसत में होगा।

विश्वविद्यालय में दाखिला कमेटी के अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने कहा, ‘‘अगर वह (समिति) कहती है कि एक विषय समकक्ष नहीं है, तो इसे ‘सर्वश्रेष्ठ चार’ में शामिल नहीं किया जा सकता है।’’

मंगलवार को कॉलेजों के साथ बैठक कर उनसे सूची साझा की गई।

गुप्ता ने एक उदाहरण देते हुए कहा कि सीबीएसई ने व्यावहारिक गणित (एप्लाइड मैथमैटिक्स) को एक विषय के रूप में शुरू किया है ताकि उन छात्रों की मदद की जा सके, जो गणित से अच्छी तरह वाकिफ नहीं हैं, जिसका अर्थ है कि यह गणित की तुलना में आसान है।

उन्होंने कहा, ‘‘सीबीएसई ने यह भी लिखा है कि एप्लाइड मैथमैटिक्स के छात्र भौतिकी (ऑनर्स), रसायन विज्ञान (ऑनर्स) और गणित (ऑनर्स) के लिए पात्र नहीं होंगे। समिति ने इस पर विचार किया और पाया कि एप्लाइड मैथमैटिक्स को अर्थशास्त्र (ऑनर्स) के लिए नहीं माना जा सकता है। पाठ्यक्रम के लिए गणित के कठिन स्तर की आवश्यकता होती है, लेकिन इसे बी.कॉम (ऑनर्स) के लिए माना जा सकता है।’’

गुप्ता ने कहा कि समिति समानता पर निर्णय लेते समय सिद्धांत और व्यावहारिक घटक, पाठ्यक्रम आदि जैसे कारकों पर विचार करती है।

उदाहरण के लिए, महाराष्ट्र राज्य माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में गणित और सांख्यिकी शीर्षक वाला एक विषय है, जिसे दिशानिर्देशों के अनुसार सीबीएसई गणित के समकक्ष माना जाएगा, जबकि नगालैंड स्कूली शिक्षा बोर्ड के ‘फंडामेंटल्स ऑफ बिजनेस मैथमैटिक्स’ को सीबीएसई में गणित के भी समकक्ष माना जाएगा।

इस बीच, ‘स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया’ ने मांग की कि सीबीएसई और इसका मूल्यांकन दाखिले में निर्णायक कारक नहीं होना चाहिए। छात्र संगठन ने कहा, ‘‘डीयू सभी पात्रता मानदंडों को पूरा करने वाले छात्रों को दाखिला देने के लिए बाध्य है और यह शर्म की बात है कि आवेदकों के साथ उनके बोर्ड के आधार पर भेदभाव किया जा रहा है, जबकि इन अलग-अलग बोर्डों के आवेदकों द्वारा की गई मेहनत समान है।’’

दिल्ली विश्वविद्यालय के स्नातक पाठ्यक्रमों के लिए 2.87 लाख से अधिक छात्रों ने आवेदन किया है, जो पिछले साल 3.53 लाख आवेदनों से कम है।

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Web Title: DU issues guidelines regarding inclusion of state board subjects in 'cut-off' calculation

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