डोकलाम विवाद: रक्षा मंत्री सीतारमण ने कहा- चीन से भले ही बातचीत हो, लेकिन थलसेना को चौकन्ना रहने की जरुरत
By कोमल बड़ोदेकर | Updated: March 18, 2018 05:20 IST2018-03-18T05:17:07+5:302018-03-18T05:20:09+5:30
बीते साल डोकलाम में भारत और चीन की थलसेना के बीच 73 दिनों तक गतिरोध रहा था। इसके बाद दोनों देशों के बीच जटिल वार्ता प्रक्रिया हुई और अगस्त में ये गतिरोध खत्म हुआ था।

डोकलाम विवाद: रक्षा मंत्री सीतारमण ने कहा- चीन से भले ही बातचीत हो, लेकिन थलसेना को चौकन्ना रहने की जरुरत
नई दिल्ली, 18 मार्च। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को एक न्यज चैनल के कार्यक्रम के दौरान कहा कि, वह नहीं मानती हैं कि चीन के साथ डोकलाम के मुद्दे पर हुआ गतिरोध दोबारा कायम होगा। भारत ने विभिन्न स्तरों पर चीन से संवाद प्रक्रिया स्थापित की है। लेकिन इस दौरान उन्होंने साफ तौर पर यह भी कहा कि, भले ही दोनों ही देशों के बीच संवाद स्थापित हुआ हो लेकिन थलसेना को हरपल चौकस रहने की जरूरत नहीं है।
उन्होंने कहा कि, ‘मैं निश्चित तौर पर कहती हूं कि मैं डोकलाम-2 के बारे में नहीं सोच रही। लेकिन विभिन्न स्तरों पर संवाद जारी है। आपकी स्थापित प्रक्रियाएं हैं। एक स्थायी प्रतिनिधि हैं जिन्होंने करीब 20 अलग-अलग बैठकें की हैं। फिर सीमा पर तैनात जवानों की भी बैठक होती है, फ्लैग अफसरों की बैठक होती है। यह सब होता है और हाल में थलसेना प्रमुख ने भी कहा है कि हमने वार्ता बहाल की है। हम विभिन्न स्तरों पर लगातार संवाद कर रहे हैं।’
बता दें कि बीते साल डोकलाम में भारत और चीन की थलसेना के बीच 73 दिनों तक गतिरोध रहा था। इसके बाद दोनों देशों के बीच जटिल वार्ता प्रक्रिया हुई और अगस्त में ये गतिरोध खत्म हुआ था। रक्षा मंत्री सीतारमण ने कहा कि विभिन्न स्तरों पर संवाद के बावजूद थलसेना को हर पल चौकस रहने की जरूरत है।
गौरतलब है कि चीन ने पिछले वर्ष जून में भूटान के दावे वाले क्षेत्र में सड़क निर्माण की कोशिश की थी, जिसका भारतीय सेना ने विरोध किया था। इस घटना के बाद सिक्कम क्षेत्र के डोकलाम में दोनों देशों की सेनाएं 73 दिन तक एक-दूसरे के आमने-सामने आ गईं थी। दोनों देश की सेनाओं के बीच यह गतिरोध 16 जून को शुरू हुआ था और 28 जून को समाप्त हुआ था।