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डीएमके सांसदों ने कहा-तमिल भाषा संस्कृत से नहीं निकली है, संस्कृत वैज्ञानिक भाषा और सभी भाषाओं की जननीः निशंक

By भाषा | Updated: December 12, 2019 18:17 IST

इस बीच संसदीय कार्य राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि यह विषय तमिल और संस्कृत भाषा के बीच टकराव का नहीं है। अगर सदस्य तमिल संस्थान की मांग करेंगे तो सरकार उस पर भी विचार करेगी। इससे पहले कांग्रेस के बेनी बहनान ने संस्कृत विश्वविद्यालय के विचार का समर्थन करते हुए कहा कि हमें धर्म और भाषा को नहीं मिलाना चाहिए।

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ठळक मुद्देपोखरियाल ने कहा कि केंद्रीय विश्वविद्यालय बनने से विज्ञान के साथ संस्कृत का ज्ञान जुड़ेगा और देश फिर से विश्वगुरू बनेगा।उन्होंने कहा कि यह विधेयक देश को श्रेष्ठ बनाने की दिशा में एक कदम है।

संस्कृत और तमिल भाषा को लेकर लोकसभा में भाजपा-द्रमुक सदस्यों के बीच नोकझोंक

लोकसभा में गुरुवार को भाजपा और द्रमुक के सदस्यों के बीच संस्कृत और तमिल भाषा के मुद्दे पर नोकझोंक की स्थिति बन गयी जहां केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक और भाजपा सांसद सत्यपाल सिंह ने संस्कृत को वैज्ञानिक भाषा और सभी भाषाओं की जननी कहा तो द्रमुक ने इसका विरोध करते हुए कहा कि तमिल भाषा संस्कृत से नहीं निकली है।

लोकसभा में मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ने देश में तीन संस्कृत संस्थानों जिन्हें मानद् विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त है, को केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय बनाने के प्रावधान वाला ‘केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय विधेयक, 2019’ चर्चा और पारित किये जाने के लिए रखा।

उन्होंने कहा कि इस विधेयक के पारित होने के बाद राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, लाल बहादुर शास्त्री विद्यापीठ और तिरुपति स्थित राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ को केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय का दर्जा मिल जाएगा। अभी तीनों संस्थान संस्कृत अनुसंधान के क्षेत्र में अलग-अलग कार्य कर रहे हैं।

पोखरियाल ने कहा कि केंद्रीय विश्वविद्यालय बनने से विज्ञान के साथ संस्कृत का ज्ञान जुड़ेगा और देश फिर से विश्वगुरू बनेगा। उन्होंने कहा कि यह विधेयक देश को श्रेष्ठ बनाने की दिशा में एक कदम है। उन्होंने कहा कि संस्कृत वैज्ञानिक भाषा है और श्रेष्ठ भाषा है।

द्रमुक के सदस्यों ने इस दौरान विरोध दर्ज कराया। विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा के सत्यपाल सिंह ने कहा कि संस्कृत आदि भाषा है और सभी भाषाओं के मूल में संस्कृत है। वेदों और संस्कृत से भारत का आधार है। उन्होंने कहा कि संस्कृत देवों और पूर्वजों की भाषा है और यह वैज्ञानिक भाषा है एवं सर्वमान्य है।

हालांकि द्रमुक के सदस्य भाजपा सांसद के पूरे भाषण के दौरान टोका-टोकी करते दिखे। सत्यपाल सिंह ने कहा कि उन्होंने ही पिछली मोदी सरकार में मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री रहते हुए संस्कृत के केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने का प्रस्ताव रखा था।

उन्होंने कहा कि जब तक देश में वेदों का पठन-पाठन रहा, देश विश्वगुरू रहा। द्रमुक के ए राजा ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि वह किसी भाषा के खिलाफ नहीं हैं लेकिन कोई एक भाषा सर्वोत्तम नहीं हो सकती। कोई भाषा दूसरी भाषा पर हावी नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि हम संस्कृत विरोधी नहीं। देश में दो तरह की विचारधाराएं हैं, एक आर्य और संस्कृत वाली, दूसरी द्रविण और तमिल भाषा वाली। उन्होंने कहा कि तमिल भाषा संस्कृत से नहीं आई।

उन्होंने कहा कि कि संस्कृत 2500 साल से ज्यादा पुरानी नहीं है जबकि द्रविड़ भाषाओं के 4500 साल से अधिक पुराने होने के प्रमाण मिलते हैं। राजा ने आरोप लगाया कि इस विधेयक में सरकार की छिपी हुई मंशा है और इसमें संस्कृत के माध्यम से विज्ञान की शिक्षा की बात कही गयी है जिससे अचंभा होता है। उन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में संस्कृत विभाग में मुस्लिम प्रोफेसर की नियुक्ति के विरोध का मुद्दा उठाते हुए कहा कि भाजपा के सदस्य संस्कृत को देवभाषा होने की बात करते है। लेकिन क्या यह केवल हिंदुओं की भाषा है? ऐसा है तो हम इस बात को स्वीकार नहीं करते।

इस बीच संसदीय कार्य राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि यह विषय तमिल और संस्कृत भाषा के बीच टकराव का नहीं है। अगर सदस्य तमिल संस्थान की मांग करेंगे तो सरकार उस पर भी विचार करेगी। इससे पहले कांग्रेस के बेनी बहनान ने संस्कृत विश्वविद्यालय के विचार का समर्थन करते हुए कहा कि हमें धर्म और भाषा को नहीं मिलाना चाहिए।

उन्होंने भी बीएचयू के संस्कृत विभाग में मुस्लिम प्रोफेसर की नियुक्ति के विरोध का मुद्दा उठाया। बहनान ने केरल में अपने संसदीय क्षेत्र चालाकुडी में स्थित श्री शंकराचार्य विश्वविद्यालय को भी केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा देने की मांग की। उन्होंने यह आशंका भी जताई कि क्या इस विधेयक में सरकार का शिक्षा के भगवाकरण का बचाव करने का तो एजेंडा नहीं है। 

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