शादी विवाह और जन्मदिन पर बजा सकते हैं डीजे, सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार को झटका, पाबंदी पर रोक लगा दी

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: November 20, 2019 07:58 PM2019-11-20T19:58:00+5:302019-11-20T19:58:00+5:30

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने तेज आवाज में डीजे बजाने से ध्वनि प्रदूषण होने के आधार पर 20 अगस्त को इन पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया था। न्यायमूर्ति उदय यू ललित और न्यायमूर्ति विनीत सरन की पीठ ने विवाह का मौसम शुरू होने से ठीक पहले प्राधिकारियों को निर्देश दिया की कानून के अनुसार डीजे आपरेटरों को इसकी अनुमति दी जाये।

DJs can play on weddings and birthdays, shock UP government in Supreme Court, ban banned | शादी विवाह और जन्मदिन पर बजा सकते हैं डीजे, सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार को झटका, पाबंदी पर रोक लगा दी

पीठ ने कहा कि इस मामले में अब 16 दिसंबर को आगे सुनवाई की जायेगी।

Highlightsआदेश की वजह से राज्य में डिस्क जॉकी बेरोजगार हो रहे हैं और उनके सामने आजीविका का संकट पैदा हो गया है।इस पर पूरी तरह प्रतिबंध की वजह से वे अपने परिवार का भरण-पोषण करने में असमर्थ हैं।

उत्तर प्रदेश में शादी विवाह और जन्म दिन के कार्यक्रमों के अवसर पर डीजे बजाकर जीविकोपार्जन करने वाले डिस्क जॉकियों को राहत प्रदान करते हुये उच्चतम न्यायालय ने इन पर लगाई गई पाबंदी पर रोक लगा दी है।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने तेज आवाज में डीजे बजाने से ध्वनि प्रदूषण होने के आधार पर 20 अगस्त को इन पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया था। न्यायमूर्ति उदय यू ललित और न्यायमूर्ति विनीत सरन की पीठ ने विवाह का मौसम शुरू होने से ठीक पहले प्राधिकारियों को निर्देश दिया की कानून के अनुसार डीजे आपरेटरों को इसकी अनुमति दी जाये।

बुन्देलखंड साउण्ड एंड डीजे एसोसिएशन के 13 सदस्यों की ओर से अधिवक्ता दुष्यंत पाराशर ने कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश की वजह से राज्य में डिस्क जॉकी बेरोजगार हो रहे हैं और उनके सामने आजीविका का संकट पैदा हो गया है। उन्होंने कहा कि शादी-विवाह, जन्म दिन और इसी तरह के अन्य आयोजनों के दौरान संगीत बजाने के दौरान मिलने वाली राशि ही इन डीजे की आजीविका का साधन था लेकिन इस पर पूरी तरह प्रतिबंध की वजह से वे अपने परिवार का भरण-पोषण करने में असमर्थ हैं।

पीठ ने इस तथ्य पर ध्यान दिया कि शीर्ष अदालत ने 14 अक्टूबर को राज्य सरकार से जवाब मांगते हुये डीजे बजाने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने के उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी थी। पीठ ने अपने आदेश में कहा कि यह मामला विचार के लिये लंबित होने के दौरान उन्हीं शर्तो पर अंतरिम निर्देश देते हैं और जब भी कोई आवेदन दायर किया जाता है तो उस पर संबंधित प्राधिकारी उस पर विचार करेंगे और यदि वह कानून सम्मत हो तो उच्च न्यायालय के निर्देश के बावजूद इसकी अनुमति दे सकते हैं।

पीठ ने कहा कि इस मामले में अब 16 दिसंबर को आगे सुनवाई की जायेगी। पाराशर ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि उच्च न्यायालय ने जनहित याचिका पर इस तरह का निर्देश नहीं दिया था बल्कि दो व्यक्तियों द्वारा एक विशेष रिहाइशी इलाके में ध्वनि प्रदूषण को लेकर दायर याचिका पर यह आदेश दिया। 

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