चिराग पासवान और पशुपति कुमार पारस के बीच घटने लगी दूरियां, चिराग ने हाजीपुर सीट की जिद छोड़ी, जमुई से ही लड़ने का किया ऐलान
By एस पी सिन्हा | Published: August 6, 2023 02:30 PM2023-08-06T14:30:09+5:302023-08-06T14:35:22+5:30
एनडीए में चिराग पासवान के शामिल होते ही उनके चाचा पशुपति कुमार पारस के साथ बढ़ी दूरी अब कम होती हुई दिखाई दे रही है।
पटना: एनडीए में चिराग पासवान के शामिल होते ही उनके चाचा पशुपति कुमार पारस के साथ उनकी दूरी अब कम होती हुई दिखाई दे रही है। हाजीपुर सीट को लेकर चाचा और भतीजा के बीच जारी जंग अब थमता नजर आ रहा है। इसकी झलक आज जमुई में देखने को मिली।
अमृत भारत स्कीम के तहत रेलवे स्टेशन के पुनर्विकास की योजना के शिलान्यास कार्यक्रम दौरान चिराग ने जमुई के लोगों को भरोसा दिया कि वे अगले लोकसभा चुनाव में एक बार फिर से यहीं से चुनाव लड़ेंगे। ऐसे में उनके हाजीपुर या अन्य किसी संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ने की अटकलबाजी पर पूर्ण विराम लग गया है।
उन्होंने कहा कि वे जवानी में यहां(जमुई) आए हैं और अब बुढ़ापे तक यहीं के रहेंगे। दरअसल चिराग पासवान ने हाल के दिनों में कई बार यह कहा है कि हाजीपुर संसदीय सीट का उनके पिता वर्षों तक संसद में प्रतिनिधित्व करते रहे हैं। ऐसे में वह चाहते हैं कि उनके चाचा पशुपति पारस अब हाजीपुर की सीट लोजपा (रामविलास) के लिए छोड़ दें।
चाचा और भतीजा के बीच हाजीपुर सीट को लेकर कई बार तीखी बयानबाजी भी हुई। ऐसे में अंदेशा लगाया जा रहा था कि चिराग अगले चुनाव में हाजीपुर सीट से मैदान में उतर सकते हैं। इसे लेकर जमुई में पिछले कुछ समय से लगातार चर्चाओं का बाजार गर्म है कि चिराग अब जमुई से चुनाव नहीं लड़ेंगे। इसबीच तमाम अटकलों पर विराम लगाते हुए चिराग ने अब साफ कर दिया कि उनकी जमुई छोड़ने की कोई योजना नहीं है।
चिराग का कहना है कि वे जमुई में युवावस्था में आए थे और यहीं से पहली बार संसद गए थे और अब यहीं से वे बुढ़ापे तक चुनाव लडेंगे। जैसे उनके पिता ने कई दशकों तक हाजीपुर सीट का प्रतिनिधित्व किया वैसे ही वह भी जमुई को लेकर तय कर चुके हैं।
उधर, हाजीपुर में पशुपति कुमार पारस ने कहा कि वह इस सीट को किसी भी कीमत पर छोड़ने वाले नही हैं। वह हर हाल में हाजीपुर से ही चुनाव लड़ेंगे। ऐसे अब यह कहा जाने लगा है कि एनडीए में आने का बाद चिराग का दिल और मन भी बदल गया है।