केजरीवाल पर 'अपमानजनक' टिप्पणी के लिए छात्रा पर जुर्माना लगाने का आदेश वापस लेने का निर्देश

By भाषा | Updated: July 5, 2021 22:03 IST2021-07-05T22:03:43+5:302021-07-05T22:03:43+5:30

Direction to withdraw order imposing fine on student for 'derogatory' remarks on Kejriwal | केजरीवाल पर 'अपमानजनक' टिप्पणी के लिए छात्रा पर जुर्माना लगाने का आदेश वापस लेने का निर्देश

केजरीवाल पर 'अपमानजनक' टिप्पणी के लिए छात्रा पर जुर्माना लगाने का आदेश वापस लेने का निर्देश

नयी दिल्ली, पांच जुलाई उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सोमवार को अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ कथित रूप से ऑनलाइन ''अपमानजनक टिप्पणी'' करने की आरोपी आंबेडकर विश्वविद्यालय की छात्रा के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की जाए।

इस संबंध में छात्रा पर जुर्माना लगाया गया था, लेकिन सिसोदिया के निर्देश के बाद विश्वविद्यालय ने अपना पिछला आदेश वापस ले लिया।

सोमवार को छात्रा से बात करने वाले शिक्षा मंत्री सिसोदिया ने यह आदेश भी दिया कि दिल्ली सरकार के तहत आने वाले सभी विश्वविद्यालयों को प्रासंगिक निर्देश जारी किए जाएं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भविष्य में अपनी राय व्यक्त करने के लिए छात्रों के खिलाफ तब तक ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की जाए जब तक उनकी राय देश के सामाजिक ताने-बाने को नुकसान न पहुंचाती हो और संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ न हो।

गौरतलब है कि पिछले साल 23 दिसंबर को वार्षिक दीक्षांत समारोह के दौरान मुख्यमंत्री के खिलाफ कथित रूप से ''अप्रिय टिप्पणी'' करने के लिए, विश्वविद्यालय की अंतिम वर्ष की छात्रा नेहा पर पिछले सप्ताह 5,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया था। केजरीवाल समारोह में मुख्य अतिथि थे।

सिसोदिया ने एक आधिकारिक आदेश में कहा, ''मेरे संज्ञान में लाया गया है कि मुख्यमंत्री और मेरे खिलाफ कुछ टिप्पणी करने के लिए आंबेडकर विश्वविद्यालय दिल्ली की एक छात्रा के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है। पहली बात, सरकार या विश्वविद्यालय से अलग दृष्टिकोण व्यक्त करने के लिए किसी भी छात्र के खिलाफ तब तक कोई कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए जब तक कि उक्त बयान हमारे देश के सामाजिक ताने-बाने को नुकसान न पहुंचाए या हमारे संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ न हो। ”

उन्होंने कहा, "दूसरी बात, जैसा कि मीडिया में बताया जा रहा है कि छात्रा सरकार के खिलाफ अपना दृष्टिकोण व्यक्त कर रही थी, ऐसे में उसके खिलाफ कोई कार्रवाई शुरू करने से पहले मामले को हमारे संज्ञान में लाया जाना चाहिए था। विश्वविद्यालय छात्रों के लिए स्वतंत्र रूप से अपनी आवाज उठाने, राय रखने, परिचर्चा करने और अपने विचारों को विकसित का सुरक्षित स्थान होना चाहिए। किसी भी छात्र को विश्वविद्यालय के भीतर अपने विचार व्यक्त करने के अधिकार का प्रयोग करने के लिए दंडित नहीं किया जाना चाहिए।''

सिसोदिया ने कहा, "मैं मेरे देश या हमारे किसी भी विश्वविद्यालय से ऐसी उम्मीद नहीं रखता। अगर हमारे देश में राजनीतिक नेताओं के खिलाफ आलोचना और असंतोष की आवाज व्यक्त नहीं की जा सकती है, तो हम एक लोकतांत्रिक नहीं बल्कि तानाशाही वाले देश में रहते हैं। और यह अपने आप में, एक कारण है कि प्रत्येक छात्र और प्रत्येक नागरिक के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार सुरक्षित होना चाहिए।''

उपमुख्यमंत्री ने उच्च शिक्षा प्रधान सचिव को इस मामले को देखने और यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि छात्र पर लगाया गया जुर्माना रद्द कर दिया जाए और उसपर उसकी टिप्पणी के लिये कोई कार्रवाई न हो।

विश्वविद्यालय के अधिकारियों के अनुसार छात्रा पर जुर्माना लगाने के आदेश को दिल्ली सरकार के इस आदेश के बाद वापस ले लिया गया है।

विश्वविद्यालय ने पिछले हफ्ते एक बयान में कहा था कि लोग यूट्यूब पर उसके नौवें दीक्षांत समारोह में शामिल हुए थे।

विश्वविद्यालय ने कहा, "कार्यक्रम के दौरान, छात्रा ने यूट्यूब चैट रूम का उपयोग करके इसे बाधित करना शुरू कर दिया। छात्रा द्वारा की गई टिप्पणियां अपमानजनक/ अप्रिय / अरुचिकर थीं। दीक्षांत समारोह किसी भी छात्र के शैक्षणिक चक्र में सबसे शुभ कार्यक्रम होता है। छात्रा का आचरण अशोभनीय और उन मूल्यों के खिलाफ था जिन पर डॉ बीआर आंबेडकर विश्वविद्यालय (एयूडी) खड़ा है।''

बयान में कहा गया था, "यह कार्रवाई इसलिए की गई क्योंकि छात्रा का आचरण आंबेडकर विश्वविद्यालय के छात्रों के लिए निर्धारित और अधिसूचित अनुशासन संहिता का उल्लंघन था।"

वाम समर्थित अखिल भारतीय छात्र संघ (आइसा) ने आरोप लगाया था कि "विश्वविद्यालय की फीस वृद्धि और आरक्षण नीति के कार्यान्वयन में विसंगतियों के खिलाफ ऑनलाइन विरोध" के लिए छात्रा पर 5,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया था।

छात्रा ने ट्वीट किया, ''उपमुख्यमंत्री श्री मनीष सिसोदिया ने व्यक्तिगत रूप से संपर्क किया और आश्वासन दिया कि मेरे खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। विश्वविद्यालय प्रशासन को अब तुरंत जुर्माने वाला आदेश वापस लेना चाहिए।

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