विकास पर्यावरण का शत्रु नहीं, दिल्ली मेट्रो ने यह साबित किया हैः जावड़ेकर

By भाषा | Updated: December 18, 2019 15:26 IST2019-12-18T15:26:57+5:302019-12-18T15:26:57+5:30

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि बीते वर्षों में पर्यावरण संरक्षण को लेकर तमाम तरह की भ्रामक धारणायें फैलायी गईं। उन्होंने कहा, “पिछले कुछ सालों में ऐसा लगने लगा कि पर्यावरण की रक्षा और विकास एक दूसरे के विरोध में हैं। जयराम रमेश के समय में विशेषकर यह बात ज़्यादा फैली।”

Development is not an enemy of environment, Delhi Metro has proved this: Javadekar | विकास पर्यावरण का शत्रु नहीं, दिल्ली मेट्रो ने यह साबित किया हैः जावड़ेकर

जावड़ेकर ने कहा कि 2014 से पहले पर्यावरण के विषय पर वैश्विक मंचों पर भारत की छवि हर मुद्दे का विरोध करने वाला देश होने के कारण नकारात्मक देश की थी।

Highlightsदिल्ली मेट्रो ने यह साबित किया है कि पर्यावरण संरक्षण करते हुए विकास संभव है।उन्होंने कहा कि भारत इस क्षेत्र में नेतृत्व की वैश्विक भूमिका का निर्वाह करने में सक्षम हो सका है।

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बुधवार को कहा कि पर्यावरण संरक्षण और विकास एक दूसरे के विरोधी नहीं हैं, दोनों में विरोधाभासी संबंध होने की धारणा पूर्व पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश के कार्यकाल में ज़्यादा व्यापक पैमाने पर फैली।

जावड़ेकर ने कहा कि बीते वर्षों में पर्यावरण संरक्षण को लेकर तमाम तरह की भ्रामक धारणायें फैलायी गईं। उन्होंने कहा, “पिछले कुछ सालों में ऐसा लगने लगा कि पर्यावरण की रक्षा और विकास एक दूसरे के विरोध में हैं। जयराम रमेश के समय में विशेषकर यह बात ज़्यादा फैली।”

जावड़ेकर ने इस धारणा को पूरी तरह से ग़लत बताते हुए कहा कि दिल्ली मेट्रो ने यह साबित किया है कि पर्यावरण संरक्षण करते हुए विकास संभव है। उन्होंने कहा कि 20 साल पहले शुरू हुई दिल्ली मेट्रो परियोजना में अब तक मेट्रो का विस्तार 274 स्टेशन और 311 किमी क्षेत्रफल में हो गया है।

उन्होंने कहा कि आँकड़े बताते हैं कि मेट्रो के काम में जितने पेड़ काटने पड़े, उससे पाँच गुना अधिक नए पेड़ 20 साल में लगाकर हरित क्षेत्र को बढ़ाया जा सका। उन्होंने कहा कि इससे साबित होता है कि विकास पर्यावरण का शत्रु नहीं है। इसी को अपनी विकास नीति का मूलमंत्र बताते हुए जावड़ेकर ने कहा कि भारत ने पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में दुनिया को जलवायु परिवर्तन के संकट से उबरने का रास्ता सुझाया है।

उन्होंने कहा कि भारत इस क्षेत्र में नेतृत्व की वैश्विक भूमिका का निर्वाह करने में सक्षम हो सका है। जावड़ेकर ने कहा कि 2014 से पहले पर्यावरण के विषय पर वैश्विक मंचों पर भारत की छवि हर मुद्दे का विरोध करने वाला देश होने के कारण नकारात्मक देश की थी।

उन्होंने कहा कि पेरिस समझौते में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समस्या का समाधान सुझाते हुए अंतरराष्ट्रीय सौर संगठन (आईएलए) के गठन की सकारात्मक पहल की और आज 78 देश इसके सदस्य हैं। उन्होंने कहा कि इसके बाद से भारत दुनिया को पर्यावरण संरक्षण के उपाय सुझा रहा है।

जावड़ेकर ने हालांकि कार्बन उत्सर्जन में सबसे आगे रहे विकसित देशों द्वारा अभी भी क्षतिपूर्ति की जिम्मेदारी पूरी शिद्दत से नहीं निभाने का ज़िक्र करते हुए कहा कि हाल ही में मैड्रिड सम्मेलन में उन्होंने यह बात प्रमुखता से रखते हुए विकसित देशों से दस अरब अमेरिकी डालर की अपनी हिस्सेदारी का पैसा विकासशील देशों को देने की ज़िम्मेदारी को पूरा करने की अपील की। 

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