बिहार में डेंगू का कहर जारी, हर रोज लगभग 100-150 नए मरीजों की हो रही है पुष्टि

By एस पी सिन्हा | Updated: October 21, 2019 18:17 IST2019-10-21T18:17:46+5:302019-10-21T18:17:46+5:30

पटना जिले में डेंगू के शिकार सबसे ज्यादा लोग हुए हैं, यहां 1625 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हो चुकी है. वहीं, भागलपुर में 125 और नालंदा में भी 54 लोग डेंगू के शिकार हुए हैं.

Dengue havoc continues in Bihar, around 100-150 new patients are confirmed everyday | बिहार में डेंगू का कहर जारी, हर रोज लगभग 100-150 नए मरीजों की हो रही है पुष्टि

बिहार के लोग डेंगू के डर से दहशत के माहौल में जीने को मजबूर हैं.

Highlightsबिहार में डेंगू का डंक लगातार जानलेवा बनता जा रहा है. अभीतक डेंगू मरीजों की संख्या बढ़कर 2215 तक पहुंच चुकी है.

बिहार में डेंगू के डंक से लोग थर्रा उठे हैं. हालात ये हैं कि डेंगू का डंक लगातार जानलेवा बनता जा रहा है. जिसके चलते लोग दहशत के साये में जीने को मजबूर हैं. हालात ये हैं कि बिहार में अभीतक डेंगू मरीजों की संख्या बढ़कर 2215 तक पहुंच चुकी है. जबकि 2018 में डेंगू मरीजों की संख्या 1835 हीं थी. डेंगू के डंक से अब तक एक बच्चे समेत चार लोगों की मौत हो चुकी है. लेकिन स्वास्थ्य विभाग मौत की पुष्टि करने से बच रहा है. 

यहां उल्लेखनीय है कि पटना जिले में डेंगू के शिकार सबसे ज्यादा लोग हुए हैं, यहां 1625 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हो चुकी है. वहीं, भागलपुर में 125 और नालंदा में भी 54 लोग डेंगू के शिकार हुए हैं. सबसे दुखद बात तो यह है कि अक्टूबर माह खत्म होने को है, लेकिन एडिस मच्छर का प्रभाव कम नहीं हो रहा है और पूरे सरकारी तंत्र को मच्छर चुनौती देने में लगा है. 

हालात ये है कि चाहे सरकारी अस्पताल हो या फिर निजी अस्पताल. इसमें भी एलोपैथ चिकित्सा हो या फिर आयुर्वेद या होमियोपैथी पद्धति हर जगह डेंगू मरीज ही नजर आ रहा है और बिहार में डेंगू नासूर बनता जा रहा है. स्थिती यह है कि राज्य में हर रोज 100 से 150 नए मरीजों में डेंगू पुष्टि हो रही है. इस तरह से आंकड़ों में जरा भी गिरावट नहीं हो रही है. 

सबसे ज्यादा मरीज पीएमसीएच में भर्ती हैं तो राज्य के सदर अस्पतालों और निजी अस्पतालों में भी डेंगू मरीजों से बेड फुल है. डेंगू मरीज सिर्फ एलोपैथिक इलाज पर निर्भर नहीं हैं बल्कि आयुर्वेदिक चिकित्सा और होमियोपैथ चिकित्सा के जरिए भी डेंगू का इलाज करवा रहे हैं. बिहार आयुष चिकित्सा संघ के अध्यक्ष डॉ सुनील कुमार दूबे का दावा है कि प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए पपीते के पत्ते से बनी दवा कैरिपिल और प्लेटेंजा देने से डेंगू मरीजों की हालत में सुधार हो रहा है. यही वजह है कि आयुर्वेदिक अस्पतालों में भी डेंगू के मरीज बड़ी संख्या में भर्ती हो रहे हैं.

वहीं, होमियोपैथीक में युपटोरियम पर्फ दवा बाजार से गायब हो गई है. इसे डेंगू के लिए मुफीद माना जा रहा है. मरीज के परिजन भी मानते हैं कि होमियोपैथ और आयुर्वेदिक दवा से भी मरीज की हालत में सुधार हो रहा है. वहीं, पीएमसीएच के अधीक्षक डॉ राजीव रंजन प्रसाद का कहना है कि अक्टूबर माह में डेंगू मरीजों में कमी आनी चाहिए थी. लेकिन माह खत्म होने को है. लेकिन मच्छर प्रभावी है वजह देर तक जलजमाव रहना. 

जलजमाव की वजह से ही एडिस प्रभावी बना है क्योंकि अधिकतम तापमान घटकर 28 डिग्री तक पहुंच गया है, बावजूद आंकड़े कम नहीं हो रहे. पीएमसीएच में भर्ती कई ऐसे मरीज हैं जिनके परिवार के सभी सदस्य डेंगू से पीड़ित हैं और पीएमसीएच में इलाज करवा रहे हैं. डेंगू से खासकर राजेंद्रनगर, कंकडबाग, शिवपुरी, बोरिंग रोड, दीघा समेत कई इलाके प्रभावित हैं. जहां जलजमाव के बाद लोगों को दोहरी मार झेलनी पड रही है. 

पीएमसीएच के अधीक्षक डॉ राजीव रंजन प्रसाद भी मानते हैं कि पिछले साल की तुलना में इस बार मरीजों के आंकड़ों में इजाफा हुआ है, जिसको लेकर प्लेटलेट्स की भी खपत काफी गुणा बढी है. पीएमसीएच में भर्ती मरीजों में 30 प्रतिशत मरीजों को प्लेटलेट्स चढ़ाना पड़ रहा है. ऐसे में हालात ये हैं कि ब्लड बैंकों में प्लेटलेट्स की कमी हो गई है.

हालांकि, स्वास्थ्य विभाग की ओर से डेंगू से बचाव को लेकर जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं और ब्लीचिंग पाउडर के साथ फॉगिंग भी तेजी से किया जा रहा है. लेकिन बावजूद इसके डेंगू मरीजों के आंकड़ों में कमी आने के बदले ईजाफा होता जा रहा है. इससे बिहार के लोग डेंगू के डर से दहशत के माहौल में जीने को मजबूर हैं.

Web Title: Dengue havoc continues in Bihar, around 100-150 new patients are confirmed everyday

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