बगैर ठोस वजह के डिजिटल डिवाइस की जांच की मांग प्राइवेसी का उल्लंघन: कोर्ट
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 2, 2025 22:32 IST2025-08-02T22:31:51+5:302025-08-02T22:32:40+5:30
केस में सबूत के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया गया है और जो 19 अगस्त, 2022 और 2 सितंबर, 2022 को जब्त किए गए थे।

सांकेतिक फोटो
नई दिल्लीः दिल्ली आबकारी घोटाला मामले में राउज एवेन्यू की विशेष सीबीआई अदालत की जज दिग्विनय सिंह ने कहा कि बगैर ठोस वजह के डिजिटल डिवाइस की जांच की मांग प्राइवेसी के अधिकार का उल्लंघन है। इस तरह अदालत ने अमनदीप सिंह ढल्ल की ओर से अन्य सह-आरोपियों और गवाहों के मोबाइल और डिजिटल डिवाइस की जांच की इजाजत देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि आरोपी की यह मांग सिर्फ बिना किसी ठोस आधार के जांच करने की कोशिश है, जो किसी के प्राइवेसी के अधिकार का उल्लंघन कर सकती है। साथ ही कोर्ट ने मोबाइल और जब्त सामान 30 दिन बाद लौटाने का निर्देश दिया। यह केस में सबूत के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया गया है और जो 19 अगस्त, 2022 और 2 सितंबर, 2022 को जब्त किए गए थे।
सह आरोपी समीर महेंन्द्रू व अरुण पिल्लई की आप आपत्ति स्वीकार
कोर्ट में सह आरोपी समीर महेंन्द्रू की ओर से अधिवक्ता ध्रुव गुप्ता की ओर से यह आपत्ति दी गई थी कि उनके मोबाइल डिवाइस की जांच करना प्राइवेसी कानून का उल्लंघन है। उनके मोबाइल में घरेलू चैट के अलावा कई बिजनेस संवाद भी हैं। जिसका दुरुपयोग संभव है। इसी तरह की आपत्ति सह आरोपी अरुण पिल्लई समेत सनी मारवाह और अश्विनी भाटिया की ओर से कोर्ट में दी गई थी।
इन आपत्तियों को स्वीकार करते हुए कोर्ट ने आरोपी अनमदीप सिंह ढल्ल को डिजिटल डिवाइस की जांच की अनुमति देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने यह भी कहा कि डिवाइस को क्लोन करने की मांग भी प्राइवेसी के उल्लंघन के कारण खारिज की जाती है।
पहले डिवाइस देखने की सशर्त अनुमति दी गई थी
कोर्ट ने 4 जून को आरोपी अमनदीप सिंह ढल्ल को 20 डिजिटल डिवाइस देखने की सशर्त अनुमति दी थी, जिनका ट्रायल में इस्तेमाल नहीं हुआ था। इनमें से कुछ डिवाइस सह-आरोपी समीर महेन्द्रू , अरुण पिल्लई और अन्य गवाहों के थे। कोर्ट ने साफ किया था कि डिवाइस के मालिकों की सहमति जरूरी होगी। साथ ही आरोपी अमनदीप सिंह ढल्ल को यह बताना होगा कि वह डिवाइस का कौन-सा हिस्सा देखना चाहता है।
डिवाइस जांच की आपत्ति पर कोर्ट की टिप्पणी
कोर्ट ने कहा कि आरोपी अमनदीप सिंह ढल्ल ने यह नहीं बताया कि वह किस हिस्से की जांच करना चाहता है और उसका क्या मकसद है। उसने यह भी नहीं बताया कि वह सह-आरोपी समीर महेन्द्रू, अरुण पिल्लई के डिवाइस से किसी भी तरह से जुड़ा हुआ था या नहीं।
ऐसे में यह मांग सिर्फ इस उम्मीद में की गई है कि शायद कुछ मिल जाए, जो कानूनन मंजूर नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा कि सीबीआई पहले ही इन डिवाइस की जांच कर चुकी है और कुछ नहीं मिला। ऐसे में दोबारा जांच की इजाजत देना एक समानांतर ट्रायल जैसा होगा, जो कि आपराधिक न्याय प्रक्रिया के लिए खतरनाक हो सकता है।