जम्मू-कश्मीर में परिसीमन को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की
By अंजली चौहान | Published: February 13, 2023 01:12 PM2023-02-13T13:12:15+5:302023-02-13T13:22:50+5:30
गौरतलब है कि याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया था कि परिसीमन भारत के संविधान की योजना का उल्लंघन था। खासकर की अनुच्छेद 170(3) का जिसने 2026 के बाद पहली जनगणना तक परिसीमन किया जाना चाहिए था।
नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में विधानसभा संसदीय सीटों के परिसीमन को चुनौती देने वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। सोमवार को मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला सुनाया है। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एएस ओका की खंडपीठ ने फैसला सुनाया।
खंडपीठ ने कहा कि परिसीमन पर उसके फैसले का उन मामलों पर असर नहीं पड़ेगा, जहां संविधान पीठ के समक्ष अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती दी जा रही है। कोर्ट ने कहा, "इस फैसले में ऐसा कुछ भी नहीं लगाया जाएगा जो अनुच्छेद 370 के तहत शक्तियों के प्रयोग की अनुमति देता है।"
दरअसल, जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को खत्म करने और केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में जम्मू-कश्मीर के विभाजन पर सुप्रीम कोर्ट में अलग-अलग सुनवाई की जा रही है।
कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि हमने यह शर्त दी है कि पुनर्गठन अधिनियम का मुद्दा इस अदालत के समक्ष लंबित है और हमने इसके गुण-दोष के आधार पर कुछ नहीं कहा है। अन्यथा याचिका खारिज की जाती है।
याचिकाकर्ताओं ने दिया तर्क
गौरतलब है कि याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया था कि परिसीमन भारत के संविधान की योजना का उल्लंघन था। खासकर की अनुच्छेद 170(3) का जिसने 2026 के बाद पहली जनगणना तक परिसीमन किया जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि साल 2008 में परिसीमन आदेश पारित होने के बाद, कोई और परिसीमन लागू नहीं किया जा सकता था। याचिका में आगे कहा गया कि 2008 के बाद, परिसीमन संबंधी सभी चीजें केवल चुनाव आयोग की तरफ से किए जा सकते हैं न कि परिसीमन आयोग की तरफ से।
इस संबंध में पिछले साल दिसंबर महीने में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के लिए परिसीमन 2026 तक का इंतजार नहीं किया जा सकता क्योंकि इस क्षेत्र में तत्काल लोकतंत्र देने का सरकार का लक्ष्य है।
बताते चलें कि पिछले साल 5 मई को, तीन सदस्यीय परिसीमन आयोग ने यूटी के नए चुनावी मानचित्र को अंतिम रूप दिया था, जिसमें 43 सीटों को हिंदू-बहुल जम्मू और 47 को मुस्लिम-बहुल कश्मीर में रखा गया था। इस प्रकार जम्मू-कश्मीर विधानसभा की सीट 83 से बढ़ाकर 90 कर दी गई थी।